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चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश में चुनावी बिगुल फूंक दी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञानभवन में तारीखों का ऐलान किया। भाजपा शासित पहाड़ी राज्य में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को मतगणना होगी। इस बीच एबीपी न्यूज और सी-वोटर ने ताजा ओपनियन पोल भी पेश किया है। राज्य में पिछले 37 सालों से एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस सरकार का चलन रहा है। यहां जनता हर 5 साल में सरकार बदलती रही है।
जयराम ठाकुर के काम से कितने लोग खुश?
ओपिनियन पोल के मुताबिक, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कामकाज से अधिकतर लोग खुश हैं। सीएम का कामकाज कैसा है, इसके जवाब में 38 फीसदी लोगों ने ‘अच्छा’ कहा। 29 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री के काम को औसत बताया तो 33 फीसदी ने खराब माना। यानी 71 फीसदी लोग मुख्यमंत्री के कामकाज से संतुष्ट हैं।
सीएम के रूप में पहली पसंद कौन?
सर्वे में लोगों से जब सीएम पद की पहली पसंद को लेकर सवाल किया गया तो 32 फीसदी ने जयराम ठाकुर को सबसे बेहतर बताया। 26 फीसदी लोग अनुराग ठाकुर को सीएम देखना चाहते हैं। कांग्रेस नेता प्रतिभा सिंह को 18 फीसदी लोगों ने अपनी पसंद के रूप में बताया तो 24 फीसदी लोग अन्य किसी चेहरे को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं।
सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?
ओपनियन पोल के मुताबिक, 49 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया है। 15 फीसदी बिजली, सड़क पानी को सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं। 7 फीसदी ने भ्रष्टाचार और 29 फीसदी ने अन्य को वजह बताया है।
किस पार्टी को कितने वोट फीसदी?
सी-वोटर के ओपनियन पोल के मुताबिक, 37 सालों से हिमाचल में सरकार बदलने की प्रथा इस बार बदल सकती है। सर्वे के मुताबिक, भाजपा को 46 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है। कांग्रेस को 35.2 फीसदी वोट मिल सकते हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी को 6.3 फीसदी वोट शेयर से संतोष करना पड़ सकता है। अन्य को 12.5 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान है।
किस पार्टी को कितनी सीटें
ओपिनियन पोल के मुताबिक, हिमाचल में भाजपा को 38-46 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है। कांग्रेस को 20-28 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान लगाया गया है। आम आदमी पार्टी को 0-1 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। अन्य के खातों में 0-3 सीटें जा सकती हैं।
2017 का चुनाव परिणाम क्या था
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 44 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। आम आदमी पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी तो अन्य को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।