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चिड़ावा। रबी फसल में परंपरागत यूरिया की कमी को ध्यान में रखते हुए इफ्को ने नवाचार करते हुए यूरिया को तरल नैनो यूरिया के रूप में उपलब्ध करवाई है। खेतड़ी रोड रेलवे फाटक के पास रतेरवाल सीड्स के गोदाम पर हुई किसान गोष्ठी के दौरान रतेरवाल सीड्स के संचालक कृष्ण कुमार शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नैनो यूरिया विश्व का एक अनूठा उर्वरक है जिसे किसानों की अपनी सहकारी संस्था इफको द्वारा पहली बार तैयार किया गया है। जिले की सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियों व क्रय विक्रय सहकारी समितियों पर यह उपलब्ध रहेगा। नैनो यूरिया की छोटी बोतल जो एक यूरिया बैग के बराबर काम करेगी तथा दक्षता के मामले में नैनो यूरिया 3 गुना अधिक अच्छी साबित होगी। एक बोतल को 125 लीटर पानी में घोलकर डेढ़ बीघा जमीन में छिड़काव किया जा सकता है। नैनो यूरिया से फसल की पैदावार बढ़ेगी तथा बैग के मुकाबले लागत भी कम आएगी।

बारानी खेती के लिए तो पहले से ही नैनो यूरिया का प्रयोग किया जा रहा है जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। परंपरागत यूरिया जल, जमीन व वायु तीनों को प्रदूषित करता है जबकि नैनो यूरिया किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलाता। परंपरागत यूरिया मात्र 30 प्रतिशत पौधों के काम आता है जबकि नैनो यूरिया 90 से 95 प्रतिशत पौधों के काम आता है। परंपरागत यूरिया को जहां सिंचाई की व्यवस्था नहीं है वहां प्रयोग में नहीं लिया जा सकता। जबकि नैनो यूरिया का बारानी क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकता है। नैनो यूरिया परंपरागत यूरिया के एक बैग से 10 प्रतिशत सस्ता भी है। परंपरागत यूरिया में परिवहन और भंडारण पर खर्च अत्यधिक होता है जबकि नैनो यूरिया में परिवहन और भंडारण का खर्च नाम मात्र का होता है। इसलिए किसानों को खेती की उर्वरा शक्ति व पैदावार को ध्यान में रखते हुए नैनो यूरिया का प्रयोग करना चाहिए जो खेती व किसान दोनों के हित में होगा।

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