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मोरबी बार एसोसिएशन और राजकोट बार एसोसिएशन ने फैसला किया है कि सदस्य वकील मोरबी ब्रिज हादसे में गिरफ्तार किए गए 9 लोगों का केस नहीं लड़ेंगे। मोरबी बार एसोसिएशन के वरिष्ठ वकील एसी प्रजापति ने कहा कि दोनों बार एसोसिएशन ने मामले में गिरफ्तार सभी आरोपियों का मामला नहीं लेने और उनका प्रतिनिधित्व नहीं करने का फैसला किया है। दोनों बार एसोसिएशन ने इस बाबत प्रस्ताव भी पारित किया है। वहीं मोरबी की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मामले में गिरफ्तार नौ लोगों में से चार को पुलिस हिरासत में जबकि अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
वहीं समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मोरबी पुल हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए गुजरात में बुधवार को राज्यव्यापी शोक रखा गया है। एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार को झंडे आधे झुके है। सरकार ने अधिकारियों को कोई आधिकारिक या मनोरंजन कार्यक्रम नहीं आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई एक बैठक में राज्यव्यापी शोक रखने का निर्णय किया गया था। बैठक रविवार शाम पुल गिरने की घटना के बाद की स्थिति की समीक्षा के लिए की गई थी।
इस हादसे में अब तक 135 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को दुर्घटनास्थल का दौरा किया था और उस स्थानीय अस्पताल भी गए थे, जहां इस हादसे में घायल हुए लोगों का इलाज चल रहा है। उन्होंने मोरबी हादसे से संबंधित सभी पहलुओं का पता लगाने के लिए मंगलवार को ‘विस्तृत और व्यापक’ जांच का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने राहत और बचाव कार्यों में शामिल कर्मचारियों से भी बातचीत की थी। उन्होंने कहा था कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दुख की इस घड़ी में प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद मिले।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह मोरबी हादसे की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करने संबंधी याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष वकील विशाल त्रिवेदी ने कहा कि उनकी जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। इस पर पीठ ने कहा, आप क्या चाहते हैं। त्रिवेदी ने कहा, मैं शीर्ष कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में एक आयोग से न्यायिक जांच कराने की अपील कर रहा हूं।