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यात्रा के बाद अब शुरू होगी रंधावा की परीक्षा, गहलोत-पायलट की रार है बड़ी चुनौती !

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राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अपना 16 दिनों का सफर पूरा कर 21 दिसंबर को हरियाणा में प्रवेश कर गई है. राहुल की यात्रा के दौरान अशोक गहलोत  और सचिन पायलट खेमे की एकजुटता चर्चा का विषय रही और सूबे में बयानबाजी का दौर एकदम से शांत हो गया. हालांकि पायलट समर्थकों ने कुछ जगहों पर नारेबाजी की. वहीं अब यात्रा के दौरान राजस्थान कांग्रेस में पिछले चुनावों जैसी दिखी सियासी कितने दिन बरकरार रहती है इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा है कि अब राजस्थान में दिखी एकता का भविष्य क्या होगा और पायलट-गहलोत की खींचतान पर आने वाले दिनों में आलाकमान क्या फैसला लेगा. जानकारों का कहना है कि यात्रा के दौरान नियुक्त किए गए राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की असली परीक्षा अब शुरू होगी.

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बता दें कि रंधावा को अब कांग्रेस को इस अधरझूल की स्थिति से निकलकर निर्णय करना होगा जहां राजस्थान चुनावों को लेकर गहलोत और पायलट की एकजुटता को बनाए रखना और मनमुटाव को खत्म करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

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नए प्रभारी के सामने चुनौती का अंबार !

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मालूम हो कि राजस्थान में संकट को देखते हुए अजय माकन के इस्तीफे के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा को नया प्रभारी बनाया गया था जिन्होंने यात्रा के राजस्थान में आने के एक दिन बाद प्रभार संभाला था. वहीं अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वे किस तरह राजस्थान विवाद का निपटारा करेंगे. राजस्थान में यात्रा के दौरान भले ही गहलोत-पायलट साथ चले हों और एकजुटता दिखाई दी हो लेकिन पायलट समर्थकों ने दौसा में शक्ति प्रदर्शन कर पायलट को सीएम बनाने की मांग उठाई थी.

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माना जा रहा है कि अंदरूनी तौर पर खींचतान की लकीरें अभी भी खिंची हुई है. वहीं बीते दिनों सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अलवर में मीडिया से बातचीत में कहा था कि गहलोत और पायलट दोनों नेताओं का डीएनए कांग्रेसी है और दोनों में से कोई भी पार्टी नहीं छोड़ने वाला है.

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यात्रा में दिखी एकजुटता टिकेगी ?

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वहीं राहुल की यात्रा के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि राजस्थान कांग्रेस में दिखी सियासी एकजुटता कितने दिनों तक टिकी रहती है. यात्रा के दौरान सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ चलते नजर आए थे. वहीं हिमाचल प्रदेश में सीएम के शपथ ग्रहण में दोनों एक ही चार्टर से रवाना हुए थे. इससे पहल केसी वेणुगोपाल ने जयपुर में दोनों का साथ खड़ा कर एकता का मैसेज देने की भी कोशिश की थी लेकिन अनिर्णय की स्थिति अभी तक बनी हुई है.

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राहुल गांधी ने दोनों को बताया था एसेट

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हालांकि गहलोत के पायलट को गद्दार वाले बयान के बाद राहुल गांधी ने 28 नवंबर को इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि गहलोत और पायलट दोनों नेता कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी हैं और दोनों नेता कांग्रेस के लिए एसेट की तरह हैं. मान जा रहा है कि राहुल गांधी दोनों के बीच खींचतान के मसले पर सुलह के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए चुनावों पर ध्यान फोकस करना चाहते हैं.

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