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दरकते पहाड़ और सिसकते लोग. जोशीमठ में इन दिनों यही हालात हैं. जोशीमठ ही वो शहर है, जो चार धाम की यात्रा पर निकले यात्रियों का पहला पड़ाव होता है. सर्दियों में जब बद्रीनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं तो बाबा बद्री विशाल की प्रतिष्ठा पूजा जोशीमठ के मंदिर में ही की जाती है. जोशीमठ को बाबा बद्रीनाथ की यात्रा का प्रस्थान स्थल कहा जाता है. जोशीमठ पर संकट यानी चार धाम की यात्रा प्रभावित होना तय. जोशीमठ में कोई आपदा आई तो इससे केंद्र सरकार के चारधाम परियोजना पर भी ग्रहण लग सकता है. जोशीमठ भी इस परियोजना के तहत ऑल वेदर रोड का हिस्सा है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक है.
क्या है चार धाम प्रोजेक्ट?
चारधाम परियोजना एक तरह से ऑल वेदर रोड परियोजना है, जो उत्तराखंड में चार धामों को जोड़ने के साथ-साथ एक राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट है. इसके जरिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़ने की योजना है. इससे तीर्थाटन और पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही पड़ोसी चालबाज चीन को चुनौती देने के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है. पहले इस प्रोजेक्ट का नाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट ही था, जिसे बाद में नाम बदलकर चारधाम प्रोजेक्ट किया गया.
पीएम मोदी ने रखी थी आधारशिला
उत्तराखंड में तब हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी. इसी दौरान साल 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट को 2013 की केदारनाथ त्रासदी में मृतकों के लिए श्रद्धांजलि बताया था. इस प्रोजेक्ट के तहत चारधाम को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा, बेहतर और मजबूत करते हुए ऑल वेदर रोड के रूप में विकसित किया जाना है.
निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक
स्थानीय लोग हेलांग बाईपास के निर्माण कार्यों का भी विरोध करते रहे हैं. लोगों की मांग है कि हेलांग और मारवाडी के बीच एनटीपीसी की सुरंग और बाइपास रोड का निर्माण बंद कराया जाए. साथ ही इस संकट की जवाबदेही एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर तय की जाए.
ऐसे में ताजा हालात देखते हुए चमोली प्रशासन ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा हेलांग बाईपास के निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. हेलांग बाईपास के निर्माण के अलावा तपोवन-विष्णुगढ़ प्रोजेक्ट और नगरपालिका की ओर से किए जा रहे तमाम निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जोशीमठ में स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है. भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-5’ में पड़ने वाले जोशीमठ का सर्वे करने के लिए एक एक्सपर्ट टीम भी गठित की गई है.
दबाव झेलने को सक्षम नहीं हैं पहाड़
देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन का कहना है कि जोशीमठ शहर बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और औली का प्रवेश द्वार है. इस क्षेत्र में लंबे समय से बेतरतीब निर्माण गतिविधियां चल रही हैं, वो भी बिना इस बारे में सोचे कि शहर और पहाड़ इस दबाव से निपटने में सक्षम हैं भी या नहीं! जगह-जगह होटल और रेस्तरां बना दिए गए हैं. आबादी का दबाव और पर्यटकों की भीड़ यहां बढ़ती जा रही है.