Report Times
latestOtherजयपुरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिराजस्थानस्पेशल

..जब राजे ने दिखाई थी दिल्ली को आंखें…जानें, भैरोसिंह शेखावत की पॉलिटिकल इंटर्न से अब तक का सफर

REPORT TIMES 

जयपुर: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे आज 70 साल की हो गई है जहां राजे ने अपना जन्मदिन होली की वजह से 4 मार्च को ही चूरू के सालासर बालाजी धाम में अपने कार्यकर्ताओं और विधायकों के साथ मनाया. राजे के जन्मदिन कार्यक्रम को विधानसभा चुनावों के लिहाज से उनके शक्ति के तौर पर भी देखा गया. सूबे की राजनीति में राजे एक ऐसी महिला नेता रही हैं जिन्होंने एक बड़ी राजनीतिक विरासत को सहेजते हुए अपने राजनैतिक करियर को सफलता के शिखर तक पहुंचाया है और वह दिल्ली दरबार हो चाहे विरोधी दो टूक संदेश देने में देर नहीं करती है. ग्वालियर के राजघराने में पैदा हुआ राजे 5 बार सांसद तो 2 बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. राजे की गिनती राजस्थान के प्रमुख नेताओं में होती है और उन्हें ही राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का भी गौरव हासिल है. भैरोंसिंह शेखावत के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में सत्ता के गलियारों में कदम रखने वाली राजे वाजपेयी सरकार में मंत्री से लेकर 2003 के बाद से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हैं. वसुंधरा राजे का मिजाज को लेकर कहा जाता है कि वह आलाकमान को भी आंख दिखाने में गुरेज नहीं करती है और अपने विरोधियों को किनारे लगाने के लिए मोर्चाबंदी करने में वह माहिर मानी जाती है. राजे फिलहाल राज्य के चुनावों को लेकर खुद को सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट करते हुए मौका मिलते ही अपनी ताकत का प्रदर्शन करती है. वहीं बीजेपी में चल रही अंदरूनी खींचतान के चलते 2023 के लिए अभी तक राजे के नाम पर मुहर नहीं लगी है. हालांकि राजे ने बीते कुछ समय से अपने भाषणों और जनसभाओं में यह संदेश देने की कोशिश की है राजस्थान में राजे के बिना बीजेपी को चुनावों में खासा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

2012 में आलाकमान से भिड़ गई थी राजे

राजस्थान की धरा चाहे खेती किसानी के लिहाज से शुष्क कही जाती है लेकिन राजनीतिक लिहाज से यहां हमेशा हलचल बनी रहती है. बीते 2 सालों से जहां राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट की खींचतान की चर्चा है लेकिन अब बीजेपी में भी कलह के दरवाजे खुलने लगे हैं. वहीं कांग्रेस की कलह में जहां कहा जाता है कि गहलोत जयपुर से दिल्ली को आंख दिखाते रहते हैं और आलाकमान को कोई फैसला लेने पर मजबूर करने का राजनीतिक कौशल रखते हैं, ठीक उसी तरह बीजेपी में वसुंधरा राजे के तेवर भी कुछ ऐसे ही रहे हैं. राजे के जन्मदिन पर आइए जानते हैं जब 2012 में राजे आलाकमान के सामने अड़ गई थी और फिर हाई कमांड को पीछे हटना पड़ा था. 2012 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले थे जहां बीजेपी को सत्ता वापसी की उम्मीद थी लेकिन राज्य में सीएम चेहरे की दावेदारी के लिए तत्कालीन वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया उदयपुर में लोक जागरण यात्रा निकालने वाले थे लेकिन इस यात्रा पर राजे ने अपने विधायकों के साथ आपत्ति जताई. इसके बाद राजस्थान में सीएम पद को चुनाव से इतनी खींचतान बढ़ गई कि बीजेपी के 79 में से 63 विधायकों ने राजे के समर्थन में इस्तीफा दे दिया और कई सांसद भी उस दौरान राजे के साथ थे. वहीं बाद में नितिन गडकरी लाल कृष्ण आडवाणी ने मिलकर डैमेज कंट्रोल करते हुए वसुंधरा की बातों पर सहमति बनाई.

उत्तराधिकारी के तौर पर लाए थे शेखावत

बता दें कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के आने से पहले आज तक कभी भी बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं मिला था और 2000 के दौरान भैरो सिंह शेखावत और जसवंत सिंह ने अपनी उत्तराधिकारी के रूप में वसुंधरा को सियासी मैदान में उतारा.

2023 से पहले फिर जूझ रही राजे !

वहीं अब 2023 के चुनावों से पहले राजे के सामने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया जैसे धड़े खड़े हैं जो उनके धुर विरोधी माने जाते हैं. इसी को देखते हुए राजस्थान में बीजेपी ने सीएम के चेहरे पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. बीजेपी का कहना है कि पार्टी चुनाव पीएम मोदी और कमल के निशान पर लड़ेगी. अब देखना यह होगी कि चुनाव नजदीक आने के साथ ही बीजेपी हाई कमान राज्य बीजेपी की गुटबाजी से कैसे पार पाता है.

Related posts

Rajasthan Board: राजस्थान बोर्ड के 10वीं-12वीं के विद्यार्थियों के लिए जरूरी खबर, अगले साल 20 फरवरी से शुरू होंगे मैन एग्जाम, आवेदन की डेट घोषित

Report Times

निजी स्कूल के संचालक ने महिला वार्डन से की छेड़छाड़: संबंध बनाने पर वेतन देने का दिया ऑफर; मामला हुआ दर्ज

Report Times

इंग्लैंड पर राज करने को तैयार एक भारतीय: ऋषि सुनक

Report Times

Leave a Comment