Report Times
latestOtherकरियरजयपुरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंमध्यप्रदेशराजनीतिराजस्थानस्पेशल

क्या कर्नाटक चुनाव के नतीजों से संभावना तलाश रहे हैं वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान?

REPORT TIMES

Advertisement

मध्य प्रदेश/राजस्थान: बीजेपी मध्य प्रदेश और राजस्थान में नए चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ेगी. इस पर चर्चा गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा में जीत के बाद जोर पकड़ने लगी थी, लेकिन कर्नाटक में मिली हार एमपी और राजस्थान के दोनों दिग्गज शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे के लिए राहत भरी साबित हो सकती है. दरअसल, दोनों राज्यों में नए चेहरे की तलाश काफी समय से चल रही है, लेकिन पार्टी इन दो नेताओं के विकल्प के तौर पर किसी और को ढूंढ पाने में असफल रही है.7 अप्रैल को इंदौर में हुई बैठक में शिवराज सिंह चौहान नहीं बुलाए गए थे. दरअसल, ये बैठक आरएसएस के पदाधिकारियों द्वारा बुलाई गई थी, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा आमंत्रित थे. जानकारी के मुताबिक, संघ ने इस बैठक में सरकार के कामकाज की समीक्षा की थी और इस बैठक में सरकार के कामकाज का फीडबैक शिवराज सिंह चौहान की सरकार के प्रतिकूल थे.

Advertisement

शिवराज सिंह-वसुंधरा के लिए कर्नाटक की हार राहत का सबब बनेगी?

Advertisement

इतना ही नहीं एंटी इनकमबेंसी फैक्टर भी शिवराज सिंह चौहान को हटाने की वजह बताया जाने लगा. दरअसल, साल 2018 में विधानसभा चुनाव में पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की वजह भी शिवराज सिंह चौहान बताए जा रहे थे. जाहिर है साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 29 में से 28, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाने के बाद से शिवराज सिंह चौहान निशाने पर रहे. इस बार राज्य में शिवराज सिंह के मंत्रियों पर कई तरह के आरोप भी उनके लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं.

Advertisement

Advertisement

भ्रष्टाचार के आरोपों पर कांग्रेस के निशाने पर शिवराज सरकार

Advertisement

प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल पर भ्रष्टाचार के आरोपों के अलावा नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह द्वारा शिवराज सरकार पर खदान के नाम पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप सरकार की छवी को लेकर गंभीर विषय खड़ा कर दिया है. इसलिए पार्टी गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा की तरह नए प्रयोग कर ज्योतिरादित्य सिंधया या नरेंद्र सिंह तोमर को आजमा सकती है. ऐसा लंबे समय से कहा जा रहा है. दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधया की वजह से कमलनाथ की सरकार गिरी थी और राज्य में बीजेपी सरकार बहाल हुई थी. इसलिए उन्हें इसका इनाम पार्टी देकर पुरस्कृत कर सकती है. ऐसी भी चर्चा जोरों पर रही है.

Advertisement

मध्य प्रदेश BJP में असंतुष्टों की लंबी लिस्ट, चुनाव में बिगाड़ेंगे गेम

Advertisement

इसके अलावा आंतरिक सर्वे में असंतुष्टों की लंबी फेहरिस्त है, जो सरकार ने नाराज होकर कांग्रेस में रुखसत होने की सोच रहे हैं. इसलिए शिवराज सिंह चौहान की सत्ता में परिवर्तन कर इन परेशानियों को दूर करने की योजना लंबे समय से बन रही है. ऐसा त्रिपुरा में जीत के बाद चर्चा जोर पकड़ने लगी थी. कहा ये जाने लगा था कि अप्रैल और मई महीने में पार्टी परिवर्तन कर सकती है और नए चेहरे को नेतृत्व सौंप कर सीधा चुनावी मैदान में उतरेगी.

Advertisement

कर्नाटक की हार से वसुंधरा-शिवराज को मिलेगी राहत!

Advertisement

दरअसल, उपचुनाव छह महीने के भीतर किए जाते हैं और पार्टी उपचुनाव में न उतरकर सीधा चुनावी मैदान में उतरने के इरादे से नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है, लेकिन कर्नाटक की हार शिवराज ही नहीं वसुंधरा के लिए भी राहत भरी खबर हो सकती है. जाहिर है कि पार्टी नए प्रयोग को करने से पहले हजार बार सोचेगी, क्योंकि नेतृत्व परिवर्तन पार्टी में आंतरिक मतभेद को सतह पर ला सकता है. इसलिए लोकसभा चुनाव में इसका प्रतिकूल असर न पड़े, इसको लेकर नेतृत्व परिवर्तन की कवायद रोकी जा सकती है.

Advertisement

राज्य में नेतृत्व बदलने को लेकर लग रहे कयास पर लगेगा विराम?

Advertisement

एमपी में बीजेपी के विरोध में आदिवासियों ने वोट किया था. ये पिछले चुनाव में जाहिर हो चुका है. इसलिए बीजेपी आदिवासी पर दांव लगाकर कांग्रेस का खेल पलट सकती है, ये भी कहा जा रहा था. मध्य प्रदेश की कुल 230 सीटों में 80 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव मजबूत है. प्रदेश में एसटी की रिजर्व सीटें भी 47 हैं. इसलिए आदिवासी और एसटी को साधने के लिए नए नेतृत्व की तलाश पार्टी आदिवासी नेताओं में कर रही थी, ये चर्चा जोरों पर थी. दरअसल, कांग्रेस एसटी की 30 रिजर्व सीटें जीतने में कामयाब रही थी और आदिवासी युवा शक्ति का समर्थन पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिला था. आदिवासी युवा शक्ति आदिवासियों का एक बड़ा संगठन मध्य प्रदेश में तैयार हो गई है, जो इस बार के चुनाव में 80 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है. जय आदिवासी युवा शक्ति के नेता कांग्रेस के वर्तमान विधायक हैं, लेकिन इस बार उनका रूख कांग्रेस के खिलाफ है. बीजेपी के लिए आदिवासियों को साधना अहम है, जो राज्य के चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत का कारक बन सकते हैं.

Advertisement

राजस्थान में इन 3 नामों पर भी विचार कर रही BJP

Advertisement

वही हाल राजस्थान में अर्जुन मेघवाल, कैलाश चौधरी और गजेन्द्र सिंह शेखावत को लेकर भी लग रहे हैं. मेघवाल दलित विरादरी से हैं वहीं कैलाश चौधरी जाट और गजेन्द्र सिंह शेखावत राजपूत विरादरी से ताल्लुक रखते हैं. बीजेपी इन तीन नेताओं को वसुंधरा के विकल्प के तौर पर आगे रखने का दांव खेल रही थी. लेकिन वसुंधरा के खिलाफ किए जाने वाले इस प्रयोग को पार्टी ठंढ़े वस्ते में डालेगी ऐसा कहा जाने लगा है. दरअसल इन तीनों नेताओं पर वसुंधरा अकेली अभी तक भारी साबित हुई हैं. ऐसे में कर्नाटक में मिली हार के बाद बीजेपी नए प्रयोग करने से थोड़ा परहेज करेगी ये तय माना जा रहा है. दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले नए प्रयोग को किया जाना पार्टी के लिए काउंटर प्रोडक्टिव हो सकता है इसलिए पार्टी में मंथन का दौर जारी है.

Advertisement

वसुंधरा-शिवराज को दरकिनार करना अब क्यों है मुश्किल?

Advertisement

दरअसल, दोनों राज्यों में चुनाव के छह महीने से भी कम समय शेष है. शिवराज सिंह चौहान के पास प्रशासन का लंबा अनुभव है. वहीं कोरोना काल में एक रुपए में अनाज सहित नमक का प्रवाधान कर शिवराज ने खूब सूर्खियां बटोरी है. एमपी में अब नए चेहरे को सामने रख चुनाव लड़ना पार्टी के लिए जल्दी में उठाया गया कदम साबित हो सकता है और नए नेता को पदस्थापित करने के लिए प्रर्याप्त समय नहीं देना काउंटर प्रोडक्टिव हो सकता है.

Advertisement

इन 3 समाज पर वसुंधरा राजे की तगड़ी पकड़

Advertisement

वसुंधरा की पकड़ राजस्थान में इसलिए भी मजबूत है, क्योंकि वो तीन समाज में सीधी पकड़ रखती हैं. राजपूत समाज से आने वालीं वसुंधरा की पकड़ गुर्जर और जाट समुदायों में भी अच्छी मानी जाती है. इसलिए जनाधार और तर्जुबे के लिहाज से पार्टी के लिए सबसे बड़ी नेता राज्य में साबित हुई हैं. यही वजह है कि सेंट्रल लीडर शिप वसुंधरा को दरकिनार करने से पहले बार-बार जमीनी हकीकत को परखता रहा है. जाहिर है कि अनुभव और जनाधार के लिहाज से नए नेतृत्व को परखने का प्रयोग पार्टी के लिए कर्नाटक में काउंटर प्रोडक्टिव रहा है. इसलिए एमपी और राजस्थान में इन नेताओं को हटाना बीजेपी के लिए आसान नहीं रहने वाला है.

Advertisement
Advertisement

Related posts

पहले बाढ़…अब बारूद ने बढ़ाई सिक्किम की टेंशन, विस्फोटक ने रेस्क्यू ऑपेशन में लगाया अड़ंगा

Report Times

किरोड़ी लाल को दिल्ली में मिलेगी कुर्सी! BJP नेताओं ने अचानक बढ़ाई नजदीकियां; साथ आई वसुंधरा

Report Times

AAP मंत्री ने दिल्ली के LG पर लगाया झूठा आरोप, BJP ने फाइल दिखा किया ‘पोल खोल’ दावा

Report Times

Leave a Comment