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मथुरा: श्रीकृष्ण की नगरी में एक पोस्टर बड़ा ही चर्चा का विषय बना हुआ है. इस पोस्टर में मंदिर प्रबंधक द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की गई है. अपील में कहा गया कि वह मर्यादित वस्त्र ही पहनकर मंदिर आएं. यह हमारी हिंदू संस्कृति का सवाल है. इस पोस्टर को लेकर संपूर्ण ब्रज में बड़ी चर्चा हो रही है. ऐसा पहली बार नहीं है कि एक मंदिर में छोटे-छोटे कपड़ों को लेकर पोस्टर चस्पा किया गया हो. इससे पहले भी कई मंदिरों में इस तरह की बातें सामने आई हैं. मंदिरों में नोटिस भी चस्पा हुए हैं लेकिन जब बात श्रीकृष्ण की नगरी ब्रज से आती है तो लोगों के मन में सवाल उठना आम बात है.
देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं से की गई अपील
वृंदावन में सुप्रसिद्ध सप्त देवालय में से एक श्रीराधा दामोदर मंदिर में प्रबंधक द्वारा एक पोस्टर चिपकाया गया है. इस पोस्टर में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की गई है. वह मर्यादित वस्त्र पहनकर ही मंदिर आए. अब देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु जब इस मंदिर में पहुंचते हैं. तो उनकी नजर जब इस पोस्टर पर पहुंचती है तो उनके मन में एक सवाल आता है. आखिर ऐसा क्यों? हर मंदिरों में ऐसा क्यों होने लगा है.
मंदिर में आएं धार्मिक कपड़े पहन कर
इसको लेकर मंदिर के सेवायत से बात की गई. उन्होंने बताया कि आजकल कि जो युवक-युवती हैं. वह बहुत ही छोटे-छोटे वस्त्र पहन कर बाजारों में जाते हैं. यहां तक कि मंदिरों में भी आने लगे हैं. जो कि एक अच्छा संदेश नहीं है. ठाकुर हमारे आराध्य हैं. आराध्य के सामने एक ऐसे वस्त्र पहन कर जाना उचित नहीं है. इसलिए उन्होंने यह पोस्टर चस्पा किया कि वे मंदिर आए तो हिंदू धार्मिक कपड़े पहनकर आएं क्योंकि यह पारंपरिक वस्त्र है.
अन्य मंदिरों से मिली प्रेरणा
जब इस बारे में मंदिर के सेवायत राधा कृष्ण बलराम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा यह अपील काफी समय से की गई है. इसको लेकर हमने मंदिर में भी पोस्टर चस्पा किया गया है. इस बात की प्रेरणा हमें अन्य मंदिर से मिली थी. जहां हम किसी एक मंदिर में गए थे. तो हमने भी वहां पर इस तरह का पोस्टर टंगा हुआ देखा था. इसको लेकर हमने भी अपने वस्त्रों के पोस्टर को चस्पा कर दिया है. श्रद्धालु से अपील कर रहे हैं कि मंदिर आएं तो छोटे-छोटे वस्त्रना पहनकर आएं. क्योंकि जो हिंदू संस्कृति है. वह बड़ी महान है. हिंदू संस्कृति के जो कपड़े हैं. वह भी काफी अच्छे हैं. जिसमें कुर्ता पजामा. साड़ी इत्यादि आदि वस्त्र आते हैं.
प्राचीन काल से हिंदू सनातनी संस्कृति काफी ज्यादा ही लोगों के मनों पर कब्जा कर रही है. यहां तक कि विदेश से आने वाले श्रद्धालु होते हैं. वह भी हमारे कल्चर को अपना रहे हैं. हम अपने कल्चर से दूर होते जा रहे हैं. इसको लेकर हमने एक छोटी सी अपील श्रद्धालुओं से की है. हो सकता है इसमें परिवर्तन भी देखने को मिले.