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सांसदों की भाषा से 10 साल में 10 से ज्यादा बार ‘शर्मसार’ हुई संसद, अब बिधूड़ी पर लटकी तलवार

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संसद में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की ओर से बसपा सांसद दानिश अली पर की गई अमर्यादित टिप्पणी पर हंगामा मचा है. बेशक संसद की कार्यवाही से अभद्र शब्दों को हटा दिया गया, लेकिन विपक्षी सांसद लगातार सांसद रमेश बिधूड़ी को संस्पेंड किए जाने की मांग कर रहे हैं. खुद लोकसभा सांसद दानिश अली ने सभापति को पत्र लिखकर इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजकर जांच की मांग की है, ताकि रमेश बिधूड़ी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके.संसद में गुरुवार को इसरो के चंद्रयान-3 के बारे में जबाव देते वक्त भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने बसपा सांसद दानिश अली पर अभद्र टिप्पणी की थी. रमेश बिधूड़ी ने कई ऐसे अमर्यादित शब्द बोले थे जिनका विपक्षी सांसदों ने विरोध किया था. सभापति भी लगातार बिधूड़ी को बैठ जाने की चेतावनी दे रहे थे, लेकिन रमेश बिधूड़ी लगातार बोलते रहे और दानिश अली के लिए कई ऐसे शब्द बोले जो असंसदीय थे. इसीलिए विपक्ष रमेश बिधूड़ी को निलंबित किए जाने की मांग कर रहा है. पिछले दस साल में ही देखें तो सदन में हंगामा, कार्य में बाधा डालने के 10 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों में निलंबन की कार्रवाई भी की गई है.

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अब तक सांसदों पर कब-कब हुई कार्रवाई

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  1. 3 अगस्त 2023 : दिल्ली सेवा विधेयक पर बहस के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू को निलंबित कर दिया था. उन पर आरोप था कि जब गृहमंत्री अमित शाह विधेयक पर अपना जवाब दे रहे थे उन्होंने वेल में जाकर पत्र की कॉपी फाड़ दी थी, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने उनके निलंबन का प्रस्ताव दिया जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
  2. 24 जुलाई 2023 : इसी साल जुलाई माह में राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था. संजय सिंह पर सदन की कार्रवाई में बाधा डालने का आरोप था. दरअसल प्रश्नकाल के दौरान संजय सिंह ने वेल में आकर सभापति की ओर इशारा किया था. जब उन्होंने सभापति की बात नहीं मानी तो सभापति ने सत्ता पक्ष से संजय सिंह के खिलाफ प्रस्ताव लाने को कहा था. इसके बाद संजय सिंह को शेष मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया था.
    1. 25 जुलाई 2022 : लोकसभा में महंगाई को लेकर तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के चार सांसदों को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संस्पेंड कर दिया था. इन सांसदों में मनिकम टैगोर, टीएन प्रतापन, जोथिमनी और राम्या हरिदास शामिल थीं. निलंबन से पहले लोकसभा अध्यक्ष ने इन्हें चेतावनी दी थी कि तख्तियां लेकर प्रदर्शन करना है तो बाहर करें, लेकिन इन्हें आदेश नहीं माना था.
    2. 26 जुलाई 2022 : राज्यसभा में तेल की बढ़ती कीमतों और रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी हटाने की मांग को लेकर सदन के अंदर प्रदर्शन करने वाले 19 राज्यसभा सदस्यों को एक साथ एक सप्ताह के लिए निलंबित किया गया था. इनमें TMC की सांसद सुष्मिता देव, मौसम नूर, शांता छेत्री, डोला सेन, शांतनु सेन, अभिरंजन बिस्वार, मोहम्मद नदीदुल हक, डीएमके के एम हनोमेद अब्दुल्ला, टीआरएस की बी लिंगैया यादव, सीपीआई एम के एए रहीम, टीआरएस के रविचंद्र वाडिराजू, डीएमके के एस कल्याणसुंदरम, आर गिररंजन, एम आर एलंगो, सीपीआई एम के वी शिवदासन, डीएमके के एम शनमुगम, टीआरएस के दामोदर राव देवकांडा, सीपीआई के संतोष कुमार और डीएमके की कनिमोझी एनवीएम सोमू आदि थे.
    3. 29 नवंबर 2021: संसद के तत्कालीन शीतकालीन सत्र की शुरुआत में राज्यसभा के 12 सदस्यों को निलंबित किया गया था. इनमें शिवसेना की पिय्रंका चतुर्वेदी, अनिल देसाई, माकपा के इलामारम, कांग्रेस की फूलो देवी, छाया वर्मा राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन अखिलेश प्रताप सिंह, टीएमसी की डोला सेन, शांता छेत्री और भाजपा के विनय विस्मत शामिल हैं. इन सांसदों पर बीते उस साल के मानसून सत्र में हंगामा करने का आरोप था.
    4. 21 सितंबर 2020 : सितंबर माह में विपक्षी सांसदों के वेल में पहुंचकर हंगामा करने के मामले में आठ सांसदों को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित किया गया था. इनमें टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी शामिल थे. निलंबन की यह कार्रवाई तब हुई थी जब विपक्ष कृषि कानूनों का विरोध कर रहा था. उस वक्त सांसदों ने वेल में धावा बोलकर कागज फाड़ दिए थे और सदन की टेबल पर चढ़कर नारे लगाए थे.
    5. 5 मार्च 2020 : लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के 7 सांसदों को पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया था. इन सांसदों में कांग्रेस के गौरव गोगोई, टीएन प्रतापन, डीएन कुरियाकोस, बेनी बेहनन, मणिक्कम टैगौर, राजमोहन उन्नीथन और गुरजीत सिंह औजला थे. इन पर अध्यक्षीय पठ से कागज छीनने और हवा में उछालने का आरोप था.
    6. 25 नवंबर 2019 : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण के विरोध में सदन के वेल में आने और नारे लगाने पर कांग्रेस सांसद हिबी ईडन और टीएन प्रतापन को निलंबित कर दिया था. ये दोनों सांसद हाथों में तख्तियां लिए थे.
    7. 3 जनवरी 2019 : लोकसभा में हंगामा करने और कार्यवाही में बाधा डालने पर पर तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 45 सांसदों को निलंबित किया था. इसमें से टीडीपी और अन्नाद्रमुख के 21 सदस्यों को चार दिन और इन्हीं दोनों दलों के 24 सदस्यों को पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया था.
    8. 4 अगस्त 2015 : मोदी सरकार में सांसदों का पहला निलंबन 4 अगस्त 2015 को हुआ था जब ललित मोदी विवाद को लेकर कांग्रेस सांसद वेल में आकर तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे का इस्तीफा मांग रहे थे. तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही को जानबूझकर बाधित करने और लगातार हंगामा करने पर कांग्रेस के 25 सांसदों को निलंबित कर दिया था. 

      1989 में हुआ था सबसे बड़ा निलंबन

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      लोकसभा के इतिहास का सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था, उस वक्त देश में राजीव गांधी सरकार थी. दरअसल सदन में जब पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या को लेकर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट संसद में पेश की जा रही थी तो सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया था. इस पर तत्कालीन स्पीकर ने एक साथ 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था. निलंबन की यह कार्रवाई सिर्फ तीन दिन के लिए हुई थी.

     

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