Report Times
latestOtherकरियरकार्रवाईक्राइमगिरफ्तारटॉप न्यूज़ताजा खबरेंपश्चिम बंगालस्पेशल

बंगाल की चुनावी हिंसा में चलने वाले देसी बम का 100 साल पुराना है इतिहास, दार्जलिंग की जनजाति ने सबसे पहले किया था इस्तेमाल

REPORT TIMES 

चुनाव और हिंसा. दोनों का कनेक्शन पुराना है. पश्चिम बंगाल के लगभग हर चुनाव में इसका नजारा दिखता है. यहां अगले महीने होने वाले पंचायत की तारीख का ऐलान होते ही हिंसा की शुरुआत हो गई. हिंसा की घटनाओं में देसी बम का प्रयोग किया गया. खुलेआम बम फेंके गए. यह पहला मौका नहीं है जब पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा में देसी बम का प्रयोग किया गया. कभी रेलवे स्टेशन और तो कभी राजनीतिक दल के नेताओं के घर में ब्लास्ट की खबरें आईं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर देसी बम यहां होने वाली हिंसा में दंगाइयों का हथियार कैसे बन गया और क्या कहता है इतिहास.

कब हुई शुरुआत?

इतिहास पर नजर डालें तो पश्चिम बंगाल में देसी बम का इतिहास पुराना है. 19वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में यहां देसी बम का चलन शुरू हुआ. कहा जाता है कि दार्जलिंग की पहाड़ियों पर रहने वाली जनजाति ने सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया. 1920 से 1930 के दशक में यहां बनने वाले देसी बमों का इस्तेमाल इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) ने स्वतंत्रता आंदोलन में किया. ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष करने के दौरान देसी बमों का प्रयोग करके विरोध जताया हालांकि, 1970 और 1980 के दशक में पश्चिम बंगाल में माओवादी विद्रोह के दौरान स्वदेशी बमों का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने लगा. माओवादियों ने कई तरह के स्वदेशी बमों का इस्तेमाल किया, जिनमें कच्चे पाइप बम और हथगोले शामिल थे. इसके अलावा विस्फोटक उपकरण का भी प्रयोग किया. इन बमों का इस्तेमाल पुलिस स्टेशनों और सेना के ठिकानों पर हमला करने के साथ-साथ राजनीतिक विरोधियों की हत्या करने के लिए किया गया. इस दौर के मुकाबले पश्चिम बंगाल में हाल के वर्षों में देसी बमों के इस्तेमाल में कमी आई है, लेकिन अभी भी हिंसा में इसका प्रयोग किया जा रहा है और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं 2018 में, पश्चिम बंगाल में कई बम हमले हुए, जिनमें एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.

इतिहास ने नहीं किया गया सबक

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में स्वदेशी बमों का इतिहास राज्य की राजनीतिक हिंसा के लंबे इतिहास की याद दिलाता है. जहां चुनाव के दौरान धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल किया गया. खास बात यह भी रही है कि लम्बे समय से इसका इस्तेमाल होने के बाद भी सरकार ने इसका लेकर सख्त अभियान नहीं चलाया. पश्चिम बंगाल में जब भी हिंसा होती है तो देसी बमों का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है. इसी साल मई में तृणमूल कांग्रेस के पंचायत सदस्य शेख शरीफ के घर में देसी बम का धमाका हआ. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि उनके घर में पहले से देसी बम रखे हुए थे. इससे पहले यहां एक की पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट हुआ था जिसमें 9 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

Related posts

PM मोदी दुनिया में जहां भी जाते हैं पाते हैं सम्मान, लोकतंत्र की जड़ें मजबूत: अशोक गहलोत

Report Times

गहलोत का सवाल, इंग्लिश मीडियम स्कूल बंद होने से गरीब बच्चों का भविष्य कैसे चमकेगा?

Report Times

सरकारी अफसरों के लिए ही वरदान बनी राजीव गांधी स्कॉलरशिप योजना! 14 IAS-IPS सहित 73 अफसरों ने उठाया लाभ

Report Times

Leave a Comment