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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच विवाद अब सुलह और समझौते की ओर बढ़ता नजर आ रहा है. दरअसल सीएम गहलोत ने नकल माफियाओं को लेकर बड़ा फैसला लिया है कि परीक्षाओं में पेपर लीक करने वालों को अब उम्र कैद की सजा होगी. सरकार ने राज्य के नकल विरोधी कानून में अध्यादेश लाकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान जोड़ने का निर्णय लिया है.सरकार के इस फैसले के बाद गहलोत और पायलट गुट के बीच जमी बर्फ पिघली है. वहीं आरपीएससी बोर्ड के मसले पर गहलोत सरकार के वायदे का सचिन गुट ने स्वागत किया है.
वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार मामलों की जांच
ऐसा माना जा रहा है कि अब सिर्फ बाकि की एक मांग पर अमल का इंतजार है. इसमें पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कथित भ्रष्टाचार मामलों की जांच कर कार्रवाई की जाए, जो मामले विपक्ष में रहते सचिन-गहलोत ने मिलकर उठाये थे. वहीं इस मुद्दे को लेकर सचिन पायलट बार-बार गहलोत सरकार पर सवाल खड़े करते रहे हैं.
गहलोत के सीएम बने रहने से ऐतराज नहीं
सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट को चुनाव तक अशोक गहलोत के सीएम बने रहने से कोई ऐतराज नहीं है. बशर्ते टिकट बांटने में पायलट को बराबर की हिस्सेदारी या फिर अध्यक्ष का पद मिले. उस स्थिति में जाट प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा या फिर हरीश चौधरी डिप्टी सीएम बनें. इनके अलावा राजपूत जितेंद्र सिंह को भी डिप्टी सीएम बनाया जाए. बता दें कि अशोक गहलोत पिछड़े माली समाज और सचिन पायलट गुर्जर समाज से आते हैं. फिलहाल पायलट की इन मांगों को लेकर मंथन जारी है.
उम्रकैद की सजा का प्रावधान
बता दें कि राजस्थान की गहलोत सरकार साल 2022 में नकल के खिलाफ एक नया कानून लेकर आई थी. इसके तहत 10 साल की सजा और 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन इस कानून के लागू होने के बावजूद राज्य में चार प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए. वहीं अब सरकार ने नकल माफियाओं पर नकेल लगाने के लिए इस कानून में अध्यादेश लाकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान जोड़ने का निर्णय लिया है.