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सीकर: बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता उन्हें शहर में अच्छी शिक्षा के लिए भेजते है, ताकि बच्चा पढ़ लिखकर समाज में खुद व परिवार का नाम रोशन करें, लेकिन ऎसी शिक्षा नगरी के सिस्टम से बच्चें को अपनी जान गंवानी पड़े तो शायद कोई माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा के लिए शहर नहीं भेजेंगे. ऎसी ही एक मासूम की मौत की घटना से परिवार के अरमानों पर पानी फिर गया.कोचिंग छात्र की मौत का मामले को लेकर रविवार को सीकर बंद का किया आह्वान किया है. शहर के विभिन्न संगठनों ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कर्रवाई की मांग को लेकर सीकर बंद का आह्वान किया है. आपको बता दें कि शहर में नवलगढ़ रोड़ जलभराव की समस्या ने शनिवार को हुई बारिश के दौरान एक कोचिंग में पढ़ने वाले मासूम की जान ले ली. मैट्रिक्स कोचिंग का छात्र युवराज मीणा महिला पुलिस थाने के सामने सड़क पार करते हुए बारिश के पानी से भरे गड्ढे में गिर गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार काफी मशक्कत के बाद सिविल डिफेंस की टीम ने बाहर निकाला और एसके अस्पताल ले जाया गय, जहां चिकित्सकों ने छात्र युवराज को मृत घोषित कर दिया. घटना की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन के अधिकारी व जनप्रतिनिधि अस्पताल पहुंचे.
कोचिंग के एक छात्र की गई जान
घटना की जानकारी पाते ही पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा एसके अस्पताल पहुंचे. उन्होंने कहा कि कहा कि शिक्षा नगरी सीकर में यह बहूत ही दुःखद घटना है. इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी अवगत करवाया गया है. नवलगढ़ रोड जलभराव समस्या व सिवरेज कार्य के दौरान बने नाले ने एक मासूम की जान ली है यह प्रदेश में बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने बताया कि घटना को लेकर जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को कहा है कि वें मौके पर जाकर मामले की जांच करें. वहीं जांच के दौरान किस की लापरवाही पाई जाती है तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाए. नेता प्रतिपक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि मासूम की मौत की धटना से शिक्षा नगरी सीकर को कंलकित हुई है. वहीं सिस्टम की लापरवाही ने एक मासूम की जान ले ली है. उन्होंने कहा कि जल भराव की समस्या को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन किया जा चुका है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि का काई ध्यान समस्या को लेकर नहीं है. उन्होंने कहा कि सिस्टम की लापरवाही से सीकर शिक्षा नगरी को दाग लगा है.
मासूम की मौत का जिम्मेदार कौन…..?
घटना के दौरान सिविल डिफेंस के वॉलियटर कैलाश यादव ने बताया कि बच्चें के गड्ढे में गिरने की सूचना जैसे ही कंट्रोल रूम से मिली तो तुरंत प्रभाव से टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंचकर गहराई का पता लगाया, जिसमें उन्होंने लगभग 15 फीट गहरे गड्ढे में बच्चे को बड़ी मशक्कत से बाहर निकाला गया. उन्होंने बताया कि इस दौरान टीम में कैलाश मीणा, रामस्वरूप रणवां मौजूद रहे. सीकर के नकारा सिस्टम ने जिस प्रकार एक मासूम की जान ली है इस घटना के जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि जिम्मेदारी अधिकारी व जनप्रतिधि हैं, क्योंकि सिवरेज कार्य के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होने से घटना हुई है. यहां एक मासूम की मौत से पोल खुल गई, उन विकास के दावों की जो जनप्रतिनिधि लगातार करते आ रहे हैं. जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि अगर समय रहते समस्या पर ध्यान देते तो शायद मासूम की जान नहीं जाती.