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भारत का तीसरा मून मिशन लॉन्च, 42 दिन बाद चांद की सतह पर लैंड करेगा चंद्रयान

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया. इसकी लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर की गई. यह यान करीब 42 दिनों की यात्रा करने के बाद 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिण हिस्से पर लैंड करेगा. अगर चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफल होती है तो भारत इन तीन अन्य देशों- अमेरिका, सोवियत संघ (जो अब रूस) और चीन की सूची में शामिल हो जाएगा जो चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल रहे हैं. भारत की ओर से 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया था, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान मिशन फेल हो गया था.2019 में चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग नहीं होने के बाद भी देश के साइंटिस्टों ने हार नहीं मानी और करीब चार साल बाद एक फिर से मिशन को लॉन्च किया है. नाम दिया चंद्रयान-3. चंद्रयान-3 के तीन अहम पार्ट हैं. इसमें पहला लैंडर दूसरा रोवर और तीसरा प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है. लैंडर और रोवर को क्रमश: विक्रम और प्रज्ञान नाम दिया गया है. वहीं, चंद्रयान-3 के कुल वेट की बात करें तो इसका वजन करीब 3900 किलोग्राम है.श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 अपने सफर के दौरान करीब 3.84 किलोमीटर की दूरी तय करेगा. चंद्रमा के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद प्रॉपल्सन मॉड्यूल से लैंडर अलग हो जाएगा और वो रोवर को अपने साथ लेकर आगे की यात्रा शुरू करेगा. चंद्रमा की कक्षा का भ्रमण करते हुए 23 अगस्त को लैंडर मून के साउथ पोल पर लैंड करेगा. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि सब कुछ रहा तो चंद्रयान की 23 अगस्त, शाम 5.47 बजे चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग होगी.

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लैंडर की तकनीक में कई अहम बदलाव

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चंद्रयान-2 की तुलना में चंद्रयान-3 में कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं. सबसे ज्यादा ध्यान लैंडर की गति को कंट्रोल करने और सुरक्षित लैंडिंग पर दी गई है. इसके लिए साइंटिंस्टों ने तकनीक में कई बदलाव किए हैं क्योंकि कुछ एक्सपर्टों का मानना है कि पिछली बार चंद्रमा पर लैंड करते वक्त लैंडर की गति ज्यादा थी जिसकी वजह से वो बेकाबु हो गया होगा और सतह पर उसकी क्रैश लैंडिंग हुई होगी हालांकि, इसे लेकर अभी तक कोई तथ्यात्मक जानकारी सामने नहीं आई है.

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चंद्रयान-3 का उद्देश्य

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चंद्रयान-3 के उद्देश्य की बात करें तो यह जब चांद की सतह पर उतरेगा तो वहां की स्थितियों से जुड़ी जानकारी इसरो को मुहैया कराएगा. रोवर इस बात की खोज करेगा कि चांद के दक्षिण हिस्से में क्या-क्या, कौन-कौन से खनिज मौजूद हैं, और पानी है नहीं है. इसके साथ-साथ रोवर चंद्रमा की सतह पर और भी कई वैज्ञानिक परीक्षण करेगा और जानकारी इकट्ठा कर इसरो को उपलब्ध करवाएगा.

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चंद्रयान-3 की कितनी है लागत?

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चंद्रयान-3 की लागत चंद्रयान-2 की तुलना में कम है. चंद्रयान-3 में कुल खर्च करीब 615 करोड़ रुपए आया है जबकि चंद्रयान-2 के लिए करीब 978 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. ऐसा इसलिए क्योंकि जब चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था तब यान के कुल तीन हिस्से थे- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. लैंडर और रोवर का तो पता नहीं, लेकिन ऑर्बिटर अभी भी अपनी कक्षा में मौजूद है. ऐसे में इस बार ऑर्बिटर की पूरी लागत बच गई है. हालांकि, लैंडर में कुछ तकनीत बदलाव किए गए हैं तो उसकी लागत थोड़ी ऊपर नीचे हो सकती है.

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