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महाराष्ट्र में अब विपक्षी विधायकों को आवंटित होने वाले फंड को लेकर हंगामा छिड़ गया है. सोमवार को विधानसभा में एनसीपी शदर पवार गुट, कांग्रेस और उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के विधायकों ने फंड के आवंटन में मतभेद को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार पर हमला बोला है. हालांकि, इस दौरान विधायक सीधे-सीधे अजीत पवार के नाम लेने से बचते रहे. दूसरे ओर से सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी पलटवार किया है.विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने विधायकों को दी जाने वाली निधि का जिक्र करते हुए बीजेपी गठबंधन सरकार पर हमला बोला. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे गुट और कांग्रेस के विधायकों को निधि नहीं दी गई है जो कि बहुत गलत है. दानवे ने सरकार से पूछा कि क्या जिस विधायकों को निधि नहीं दी गई है तो क्या उनके क्षेत्र में रहने वाले नागरिक टैक्स नहीं भरते हैं? सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है. दानवे के आरोपों पर शिंदे गुट के विधायक भी खुलकर सरकार के समर्थन में आ गए. शिंदे गुट के विधायक भरत गोगवाले और संजय शिरसात ने कहा कि सरकार की ओर से विधायकों को मिलने वाली निधि किसी व्यक्तिगत काम के लिए नहीं मिलती है. विधायकों ने कहा कि जो सरकार का हिस्सा रहता है उन्हें विपक्षी नेताओं की तुलना में ज्यादा फंड मिलता है.
‘सत्तापक्ष के विधायकों को मिलता है ज्यादा फंड’
उन्होंने कहा कि जब राज्य में शिवसेना-कांग्रेस और राष्ट्रवादी पार्टी की सरकार थी तब सत्ताधारी विधायकों को ज्यादा फंड आवंटित किया गया था. आज हमारी सरकार है तो इसका फायदा हमे मिल रहा है. हलाकि, इस मसले पर एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार कुछ बोलने से बचते रहे क्योंकि उनके चाचा अजित पवार ही वित्त मंत्री है. विधायकों के निधि को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का भी बयान सामने आया है. पटोले ने कहा है राज्य की मौजूदा सरकार झूठ बोलती है कि उनकी सरकार में किसी को समान निधि नहीं दी गई थी. वर्तमान में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों को निधि नहीं दी गई है. इस सरकार का दिवाला निकल चुका है.
टोल नाके पर तोड़फोड़ पर क्या बोले नेता?
वहीं, अमित ठाकरे के समर्थन में टोल नाके पर हुई तोड़फोड़ की घटना का जिक्र करते हुए संजय सिरसाट ने कहा कि ऐसा करना सरासर गलत है. जब भी कोई विधायक या नेता टोल नाके से गुजरता है तो उसे अपनी पहचान बतानी चाहिए. मैं भी विधायक हूं, लेकिन टोल पर अपना पहचान पत्र दिखाकर निकलता हूं. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना ठीक नहीं है. सरकार इस मामले में अपनी तरफ से जो कार्रवाई हो करेगी. दूसरी ओर से शरद पवार गुट के नेता रोहित पवार ने कहा है कि बीजेपी-शिंदे सरकार को बीएमसी में चुनाव जीतने के लिए मनसे की जरूरत है इसलिए उन पर कार्रवाई नहीं होगी. अगर हम इस तरह के तोड़फोड़ में शामिल होते तो अब तक हमे जेल भेज दिया गया होता.