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मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने टिकट वितरण के लिए कमेटी गठित कर दी है. मध्य प्रदेश के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष भंवर जितेंद्र सिंह को बनाया गया तो अजय कुमार लल्लू और सप्तगिरी उल्का को सदस्य बनाया है. राजस्थान के लिए गौरव गोगोई को स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन तो गणेश गोदियाल और अभिषेक दत्त को सदस्य बनाया है. इसके अलावा दोनों राज्यों के दिग्गज नेताओं को भी स्क्रीनिंग कमेटी में जगह दी गई है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस हाईकमान ने अपने भरोसेमंद नेताओं को टिकट की कमान सौंपी है, उससे एक बात तो साफ है कि भोपाल और जयपुर से नहीं बल्कि दिल्ली से टिकटों का फैसला होगा? राजस्थान और मध्य प्रदेश का चुनाव कांग्रेस की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद सीधे लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस ऐसे चेहरों को चुनावी मैदान में उतारना चाहती है, जिनकी जीत की संभावनाएं पूरी तरह से हों. इसीलिए कांग्रेस प्रदेश स्तर के नेताओं पर पूरी तरह से टिकट वितरण की जिम्मेदारी नहीं छोड़ना चाहती है बल्कि दिल्ली से तय करने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस ने टिकट वितरण के लिए दोनों ही राज्यों की स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर दिया है.
राजस्थान में कांग्रेस के टिकट वितरण का जिम्मा
राजस्थान में कांग्रेस के टिकट वितरण का जिम्मा गौरव गोगोई, गणेश गोदियाल और अभिषेक दत्त के कंधों पर होगा. साथ ही अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सीपी जोशी, काजी निजामुद्दीन, अमृता धवन और वीरेंद्र सिंह को स्क्रीनिंग कमेटी में रखा गया है. कमेटी में जिस तरह से सदस्यों को जगह दी गई है, उस लिहाज से सीएम गहलोत का पल्ला भारी है, क्योंकि राजस्थान के जिन नेताओं को रखा गया है, उसमें ज्यादातर गहलोत के करीबी हैं. वहीं, स्क्रीनिंग कमेटी के तीन प्रमुख लोग हैं, वो केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद माने जाते हैं. इस तरह टिकट के वितरण में कांग्रेस ने पायलट को भी जगह दी है, जिसके चलते गहलोत पूरी तरह मन के मुताबिक फैसले नहीं कर पाएंगे. ऐसे में जयपुर के बजाय दिल्ली से उम्मीदवारों का फैसला होगा.
MP में कांग्रेस के टिकट वितरण का जिम्मा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के टिकट वितरण की जिम्मेदारी पार्टी हाईकमान ने भंवर जितेंद्र सिंह, अजय कुमार लल्लू और सप्तगिरि उल्का को सौंपी है, लेकिन साथ ही कमलनाथ, गोविंद सिंह, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, जेपी अग्रवाल और कमलेश्वर पटेल को भी शामिल किया गया है. ये कमेटी कांग्रेस के उम्मीदवारों का चयन करने में अहम भूमिका अदा करेगी. कांग्रेस ने टिकट वितरण में कमलनाथ और दिग्विजय दोनों को बराबर अहमियत दी है, पर जिन तीन प्रमुख लोगों को जिम्मा सौंपा गया है, वो पार्टी नेतृत्व के भरोसेमंद माने जा रहे हैं. ऐसे में साफ है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का टिकट भोपाल से नहीं बल्कि दिल्ली से वितरित किया जाएगा.
एमपी के सियासी समीकरण का रखा ख्याल
कांग्रेस ने स्क्रीनिंग कमेटी में जिस तरह से बड़े नेताओं को रखा है और मूल जिम्मेदारी तीन प्रमुख नेताओं को सौंपी है, उसके पीछे मध्य प्रदेश की जाति पालिटिक्स को भी साधने की कवायद है. स्क्रीनिंग कमेटी में ओडिशा के कोरापुट से सांसद सप्तगिरि उल्का को जगह दी गई है, जो आदिवासी समुदाय से आते हैं. मध्य प्रदेश की सियासत में आदिवासी वोटर काफी निर्णायक भूमिका में हैं और कांग्रेस की नजर इसी वोटबैंक पर है. इसके अलावा भंवर जितेंद्र सिंह को जगह जी गई है, जो राजपूत समुदाय से आते हैं और राजघराने से हैं. इस तरह से अजय कुमार लल्लू को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है, जो ओबीसी में अतिपिछड़ी जाति से आते हैं. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की तीन प्रमुख जातियों को ध्यान रखते हुए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है.
टिकट वितरण में बड़े नेताओं के सुझाव
मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनी है, उसमें दोनों ही राज्यों के स्थानीय नेताओं को भी जगह दी गई है, जिससे एक बात को साफ है कि जीतने वाले चेहरे को टिकट देकर चुनाव लड़ाने की तैयारी पार्टी ने कर रखी है, लेकिन सब कुछ तय भोपाल और जयपुर से नहीं बल्कि दिल्ली से होगा. कांग्रेस ने चुनाव से पांच महीने पहले ही कमेटी गठन कर दी है, जिससे एक बात और भी साफ है कि पार्टी कर्नाटक की तर्ज पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव से काफी पहले अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर सकती है. कर्नाटक में कांग्रेस का यही दांव खेलना सफल रहा था, क्योंकि समय से पहले टिकट वितरण हो जाने से उम्मीदवारों को अपने प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. इसके अलावा टिकट वितरण से किसी तरह की नाराजगी उभरती है तो समय रहते हुए डैमेज कंट्रोल कर सकती है.