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आखिरी विधानसभा सत्र में लगा दी बिलों की झड़ी, गहलोत के मास्टरस्ट्रोक से जीतेगी कांग्रेस?

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राजस्थान की राजनीति में तीन दशक से चले आ रहे सत्ता परिवर्तन के ट्रेंड को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए सरकारी खजाने की तिजोरी खोलने से लेकर विकास योजनाओं को कानूनी अमलीजामा पहनाने में वो जुटे हुए हैं. गहलोत सरकार इस विधानसभा के आखिरी सत्र के दौरान कई ऐसे बिल लाई, जिनके बूते विधानसभा चुनाव की जंग को फतह करने का मंसूबा दिखाई दिया. इन विधेयकों को गहलोत के लिए मास्टरस्ट्रोक और कांग्रेस की चुनावी रणनीति के तौर पर पेश किया जा रहा है. किसान कर्ज राहत आयोग बिल के जरिए जहां गहलोत सरकार ने किसानों को साधने की कवायद की है तो वहीं मिनिमम इनकम गारंटी कानून और गिग वर्कर्स से जुड़े कानून को पास कराकर समाज के विभिन्न वर्गों को पार्टी के साथ मजबूती से जोड़े रखने का दांव चला है. इस तरह से विधानसभा के इस कार्यकाल के आखिरी सत्र में गहलोत ने उन तमाम बिलों को पास कर लिया है, जिनके जरिए पांच महीने के बाद होने वाले चुनाव में अपनी वापसी का सियासी आधार रख सकें. विधानसभा के आखिरी सत्र में पारित किए गए बिल के अलावा भी गहलोत सरकार की तरफ से कई ऐसे ऐलान किए गए, जो चुनावी रणभूमि में उनके जनाधार को मजबूती दे सकते हैं. इनमें फ्री बिजली, फ्री बीज समेत कई पुराने ऐलान भी हैं, जो जनता को सीधे लाभ पहुंचा कर गहलोत के लिए बेहतर चुनावी सपोर्ट बेस तैयार कर सकते हैं. पहले समझते हैं विधानसभा के आखिरी सत्र के महत्वपूर्ण विधेयकों के पीछे छिपी गहलोत सरकार की सियासत को…\

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किसानों को साधने का बड़ा दांव

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राजस्थान देश का वो राज्य है, जिसकी सबसे ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है. सूबे की दो तिहाई आबादी कृषि से जुड़ी हुई है. ऐसे में सूबे की राजनीति में इनका दखल तो जाहिर सी बात है. 2018 में राजस्थान में गहलोत सरकार के बनने के पीछे किसानों की कर्ज माफी का वादा अहम भूमिका रही थी. अब राजस्थान फिर एक बार चुनाव के मुहाने पर खड़ा है तो किसानों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है. पीएम मोदी ने सीकर की रैली में किसानों को विकास की सौगात दिया. इस दौरान पीएम ने किसानों के खाते में 17000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए और 1.25 लाख किसान समृद्धि केंद्रों का उद्घाटन किया. यूरिया गोल्ड को लांच करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आजादी के बाद हमारी पहली सरकार है, जो किसानों के हित में काम कर रही है. वहीं, अब गहलोत सरकार ने किसानों पर अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए एक बार फिर से दांव चल दिया है. इस बार गहलोत सरकार ने कोई ऐलान करने की जगह किसान कर्ज राहत आयोग बिल के जरिए एक कानून बना दिया है.इस कानून के जरिए बनने वाले आयोग के बाद कोई भी बैंक कर्जा वसूलने के लिए किसान की उपजाऊ भूमि की कुर्की नहीं हो सकेगी. कर्जा न चुका पाने की स्थिति में किसान आयोग के पास अपनी तकलीफ बयां कर सकता है और फसल का नुकसान होने की स्थिति में कर्ज चुकाने के लिए अतिरिक्त समय भी ले सकता है. यानी ये साफ है कि इस आयोग के बन जाने के बाद राजस्थान के किसी भी किसान को कर्ज के चलते अपनी जमीन नहीं खोनी पड़ेगी. चुनावों के पहले गहलोत का ये कदम किसानों को कांग्रेस के पाले में लाने के लिए काफी अहम बताया जा रहा है.

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100 नहीं 125 दिन का रोजगार

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मिनिमम इनकम गारंटी बिल पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है. इस कानून के तहत अब मरनेगा में 100 दिन की जगह 125 दिन का रोजगार मिलेगा. साथ ही सामाजिक सुरक्षा के लिए दी जा रही पेंशन भी 1000 रुपए कर दी गई है. इस पेंशन में हर साल 15 प्रतिशत की वृद्धि की जानी है. गहलोत सरकार का कहना है कि इस योजना के जरिए लोगों को महंगाई से राहत मिलेगी. वहीं, विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार ने मिनिमम इनकम गारंटी बिल को लाकर बड़े वोटबैंक को साधे रखने की कवायद की की है. मनरेगा के जरिए गरीबों को पहले से ज्यादा दिन काम मिल सकेगा तो महिलाओं को पेंशन मिलने का कानून बन गया है. कांग्रेस के लिए आगामी चुनावों में लाभ हो सकता है, क्योंकि ये समाज के अलग-अलग वर्गों को सीधे टारगेट कर रहा है.

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गिग वर्कर्स के लिए लाए बिल

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गिग वर्कर्स यानी खाने और अन्य सामानों की डायरेक्ट डिलिवरी करने वालों को कानून के दायरे में लाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है. गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए लाया गया ये कानून राहुल गांधी की सलाह पर पारित किया गया है. इस कानून का अगर कोई उल्लंघन करता है तो उसपर 5 लाख से 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. स्विगी, जोमैटो, ओला अमेजन जैसी कंपनियों में काम करने वाले इन गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए ये कानून बनाया गया है. इसके तहत अब कंपनियों को इनके स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी काम करना होगा. राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान गिग वर्कर्स ने अपनी समस्याओं से अवगत कराया था. तभी राहुल गांधी ने उनके लिए कानून बनाने की बात कही थी. राजस्थान सरकार ने गिग वर्कर्स के लिए कानून बना कर राहुल के वादे को पूरा तो किया ही साथ ही विधानसभा चुनाव में उन्हें एक वोटबैंक के रूप में भी इस्तेमाल करने का दांव चल दिया है.

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पेपर लीक भी सख्त सजा

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अशोक गहलोत सरकार ने अपने आखिरी सत्र में राजस्थान परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय,संशोधन) विधेयक भी पारित किया. इसके तहत परीक्षाओं में अनियमितता बरतने वालों को 10 साल की जेल और 10 करोड़ तक की सजा का प्रावधान किया गया है. इस बिल के जरिए गहलोत सरकार ने उन छात्रों को साधने का प्रयास किया है, जो पेपर लीक की घटनाओं के चलते सरकार से नाखुश हैं. कांग्रेस के नेता सचिन पायलट भी पेपर लीक को मुद्दा बना रहे थे, लेकिन अब कानून बनाकर गहलोत ने पायलट को साधे रखने के साथ-साथ युवाओं को भी जोड़ने की कोशिश की है.

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प्रीमियम लैस हुई चिरंजीवी

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राजस्थान की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना गहलोत सरकार की उन योजनाओं में शामिल है, जिसके बूते जनता में उनकी पॉपुलरिटी बढ़ी है. इस योजना के तहत आमजन 25 लाख रुपए तक का इलाज करवा सकते हैं. अब चुनावों से ठीक पहले गहलोत सरकार ने फैसला लिया है कि 8 लाख से कम आय वाले परिवारों को इसमें शामिल किया जाएगा. उनको इसके लिए अब साढ़े आठ सौ रुपये की प्रीमियम राशि भी नहीं देनी होगी, उसका भुगतान भी अब सरकार ही करेगी.

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वहीं, किसानों को राज्य में फ्री बीज वितरण, 100 यूनिट तक फ्री बिजली और 200 यूनिट तक फ्यूल सरचार्ज और स्थाई शुल्क माफ करने के गहलोत सरकार के फैसले भी चुनावों से पहले लोगों को डायरेक्ट बेनेफिट यानी सीधा लाभ पहुंचा रहे हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि जनता को पहुंचने वाला ये लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को लाभ पहुंचा सकता है, क्योंकि गहलोत सरकार ने लाभर्थियों वोटों को एक बड़ा आधार अपने साथ कर लिया है?

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जमशेदपुर : दुनिया और देश में 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस के रुप में मनाया जाता है. लेकिन जमशेदपुर शहर में ऐसे कई विरासत है, जिसको नये सिरे से संजोने की जरूरत है. ऐसे ही कुछ विरासत है, जो हेरीटेज के रुप में जाना जाता है और सौ साल से भी अधिक समय से यह पहचान बनी हुई है. कालीमाटी स्टेशन स्टेशन की स्थापना 1891 में कालीमाटी स्टेशन के रूप में हुई थी, और 1907 में टाटा स्टील की स्थापना के बाद इसका विस्तार किया गया, जब साकची को टिस्को स्टील प्लांट के लिए आदर्श स्थल के रूप में चिन्हित किया गया. 1919 में, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी एन टाटा के सम्मान में स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर रेलवे स्टेशन कर दिया गया. 1961 में, स्टेशन का जीर्णोद्धार किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप एक मुख्य प्लेटफ़ॉर्म और चार अतिरिक्त प्लेटफ़ॉर्म बनाए गए, जिन्हें टाटा स्टील की कॉरगेटेड शीट्स का उपयोग करके कवर किया गया था. वाटर वर्क्स वाटर वर्क्स की स्थापना 1908 में की गई थी, जिसमें जल आपूर्ति सुविधा के लिए सुवर्णरेखा नदी पर 1,200 फीट लंबा एक छोटा बांध बनाया गया था. बांध के पास नदी के किनारे एक मजबूत पंपिंग स्टेशन बनाया गया था. इसके अतिरिक्त, उस स्थान पर एक छोटी प्राकृतिक घाटी में एक जलाशय बनाया गया था, जिसमें लगभग आधा मील लंबा एक बांध था. वाटर वर्क्स का निर्माण 1910 तक पूरा हो गया था, और नदी के किनारे 1 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) की क्षमता वाला एक पंपिंग स्टेशन स्थापित किया गया था. इसके बाद, 1921 में पैटरसन शुद्धिकरण संयंत्र ने परिचालन शुरू किया. यूनाइटेड क्लब 1913 में स्थापित टिस्को संस्थान मूल रूप से समुदाय के लिए एक मनोरंजक सुविधा के रूप में कार्य करता था, जो डायरेक्टर्स बंगलो के सामने स्थित था. अपने शुरुआती वर्षों के दौरान, संस्थान में टेनिस कोर्ट, फुटबॉल और हॉकी के लिए विशाल मैदान, एक बॉलिंग एली, एक बिलियर्ड रूम और नृत्य तथा विभिन्न कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए एक खूबसूरत सुसज्जित कॉन्सर्ट हॉल था. 1948 में, टिस्को इंस्टीट्यूट का छोटा नागपुर रेजिमेंट (सीएनआर) क्लब के साथ विलय हो गया, जो पहले वर्तमान लोयोला स्कूल की साइट पर स्थित था, जहां यूनाइटेड क्लब की स्थापना हुई. सेंट जॉर्ज चर्च सेंट जॉर्ज चर्च की आधारशिला 28 दिसंबर, 1914 को औपचारिक रूप से रखी गई थी और 16 अप्रैल, 1916 को इसे समर्पित किया गया था. चर्च सर दोराबजी टाटा द्वारा एंग्लिकन कांग्रेगेशन के लिए उदारतापूर्वक आवंटित भूमि पर स्थित है. सेंट जॉर्ज चर्च वर्तमान में एकमात्र प्रोटेस्टेंट चर्च है, जहां अंग्रेजी भाषा में प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं.

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