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मल्लिकार्जुन खरगे का MP में जातिगत जनगणना का वादा, चुनाव में कांग्रेस के लिए क्या ट्रंप कार्ड साबित होगा?

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आखिरकार जातिगत जनगणना कराने के वादे का ऐलान कर ही दिया. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सागर की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कमलनाथ जो कहते हैं वो करके दिखाते हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराएंगे. कर्नाटक की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने जातीय जनगणना का करके ओबीसी समुदाय के वोटबैंक को साधने की कवायद की है. देखना है कि कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश में क्या यह दांव ट्रंप कार्ड साबित होगा?मध्य प्रदेश में ओबीसी समुदाय के आबादी करीब 50 फीसदी है, लेकिन उन्हें आरक्षण महज 14 फीसदी मिलता है. राज्य में लंबे समय से ओबीसी अपने आरक्षण को 14 से 27 फीसदी बढ़ाए जाने की डिमांड कर रहे हैं. कांग्रेस ओबीसी आरक्षण की इस मांग को लगातार उठा रही है और कमलनाथ सत्ता में रहते हुए इस दिशा में निर्णय भी लिया था, लेकिन मामला अदालत और कानूनी पेच में उलझ गया है. ऐसे में अब कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सत्ता में आने पर जातिगत जनगणना कराने का ऐलान करके विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोटों को हासिल करने की कवायद की है. नब्बे के दशक के बाद राजनीति बदल गई है और ओबीसी के इर्द-गिर्द पूरी तरह से सिमटी हुई है. मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जिसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही वादे कर रही है ताकि ओबीसी समुदाय को वोट हासिल किए जा सकें. एमपी में 50 फीसदी ओबीसी किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. राज्य में 60 ओबीसी विधायक फिलहाल हैं, लेकिन राज्य की 100 से ज्यादा सीटों पर अपना प्रभाव रखती हैं.

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राजस्थान में कर चुकी है यही ऐलान

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कांग्रेस ने कर्नाटक में जातिगत समीकरण के जरिए ओबीसी के तबके को अपने साथ जोड़ने में काफी हद तक सफल रही थी. इसीलिए कांग्रेस अब एक के बाद एक राज्य में जातिगत जनगणना का वादा कर रही है. राजस्थान में भी अशोक गहलोत ने जातिगत जनगणना कराने का ऐलान पिछले दिनों किया था और अब मध्य प्रदेश में भी यह दांव चल दिया है. मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासी कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक माने जाते हैं. पिछले चुनाव में यह दोनों ही समुदाय ने कांग्रेस के पक्ष में जमकर वोट दिए थे, लेकिन ओबीसी का बड़ा तबका बीजेपी के साथ रहा है.

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पिछड़े वर्ग के अलग-अलग जातियों को साधने ने कोशिश

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बीजेपी ने उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान जैसे ओबीसी समुदाय को नेताओं को आगे करके मजबूत पकड़ बना रखी है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस इस बात को समझ चुकी है कि ओबीसी के बिना सत्ता में आना संभव नहीं है. इसलिए कांग्रेस ओबीसी वोटर को अपने पाले में करने के लिए खास रणनीति के तहत अब पिछड़े वर्ग के अलग-अलग जातियों को जोड़ने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस ने ओबीसी नेता अरुण यादव को को आगे कर रखा है. इसके अलावा जीतू पटवारी को भी कांग्रेस ने फ्रंटफुट पर उतार रखा है. ऐसे में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर ओबीसी को अपने पाले लाने का दांव कांग्रेस ने चल दिया है. देखना है कि कांग्रेस का रणनीति कितनी कारगर साबित होती है?

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