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INDIA में खेला होबे! ममता के बदले तेवर के पीछे चुनावी रणनीतिकार तो नहीं?

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ममता बनर्जी के बदले हुए तेवर और मिजाज से INDIA गठबंधन की एकता पर सवाल उठने लगे हैं. गठबंधन के सहयोगी दलों के नेता बंगाल की मुख्यमंत्री के नए मूड से हैरान-परेशान हैं. ये भी चर्चा तेज हो गई है कि ममता की इस चाल के पीछे किसी और का दिमाग़ तो नहीं है! कहा जा रहा है कि एक जाने माने चुनावी रणनीतिकार की एंट्री की वजह से मामला उलझने लगा है. आरजेडी के एक सांसद की मानें तो पटना से मुंबई जाते समय फ़्लाइट में उनकी मुलाक़ात इसी चुनावी रणनीतिकार से हुई थी. ये बात 31 अगस्त की है. उसी दिन मुंबई में  INDIA गठबंधन  के नेताओं के लिए उद्धव ठाकरे ने डिनर रखा था. एनसीपी के एस सांसद का दावा है कि जिन दिनों गठबंधन के नेताओं की बैठक थी, चुनावी रणनीतिकार मुंबई में ही थे. सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस चुनावी रणनीतिकार ने हाल के दिनों में ममता बनर्जी और उनके सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी से भी मुलाक़ात की है. INDIA गठबंधन के कुछ नेताओं को शक है कि इसी मुलाक़ात से बात बिगड़ने लगी है. अभी कोई कुछ खुल कर बोलने को तैयार नहीं है. सब वेट एंड वॉच कर रहे हैं.

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ममता के बदले स्टैंड से बढ़ी चिंता

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नीतीश कुमार हों या फिर लालू यादव या फिर उद्धव ठाकरे, सभी नेता ये कह चुके हैं कि तीसरा मोर्चा बनने का फ़ायदा आख़िरकार बीजेपी को होता है. विपक्ष के वोटों के बंटवारे से चुनावों में बीजेपी को बढ़त मिल जाती है. चुनावी नतीजों के आंकड़े भी यही कहानी कहते हैं. कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं की भी यही राय है. जातिगत जनगणना के मुद्दे पर ममता बनर्जी के बदले हुए स्टैंड से कांग्रेस समेत INDIA गठबंधन में शामिल कई नेता पशोपेश में हैं. उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं ममता बनर्जी अलग से कोई खिचड़ी तो नहीं पता रही हैं. उन्हें डर है कि ममता बनर्जी कहीं फिर से तीसरा मोर्चा बनाने की तरफ़ आगे न बढ़ जायें. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से उनके बड़े अच्छे रिश्ते हैं. सबसे दिलचस्प बात ये है कि इन तीनों नेताओं के साथ एक ही चुनावी रणनीतिकार काम भी कर चुके हैं. कांग्रेस पार्टी से चंद्रशेखर राव का तो छत्तीस का रिश्ता रहा है. ममता बनर्जी और केजरीवाल भी कांग्रेस को लेकर कभी सहज नहीं रहे हैं. वैसे ममता बनर्जी के सोनिया और राहुल गांधी से अच्छे संबंध रहे हैं. लेकिन लेफ़्ट पार्टियों का साथ उन्हें कभी मंज़ूर नहीं रहा. मुंबई की बैठक में जब बाक़ी नेता स्टेट लेवल पर सीटों के बंटवारे की बात कर रहे थे ममता की फ़ोकस राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल करने का रहा. ममता इन दिनों जिस चुनावी रणनीतिकार के संपर्क में हैं उनके आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से भी बड़े अच्छे संबंध हैं. रेड्डी का कांग्रेस विरोध तो जगज़ाहिर है. ऐसे में संभव है कि इस तीसरे मोर्चे में उनका नाम भी शामिल हो.

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थर्ड फ्रंट की बिछ रही बिसात

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वैसे चंद्रशेखर राव और चंदन मोहन रेड्डी में भी अनबन रहा है. पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के कांग्रेस नेता केंद्रीय नेतृत्व पर आम आदमी पार्टी से चुनावी गठबंधन न करने का दवाब बनाए हुए हैं. ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में सीटों के बंटवारे पर कोई फ़ार्मूला नहीं बना तो फिर अरविंद केजरीवाल की भी तीसरे मोर्चे में एंट्री हो सकती है. इन सबके बीच एक ही व्यक्ति सूत्रधार हो सकता है, जिसे देश का सबसे बड़ा चुनावी रणनीतिकार माना जाता है. वैसे वे कांग्रेस और जेडीयू के साथ भी काम कर चुके हैं. लेकिन बदले हुए हालात में इन दिनों दोनों पार्टियों के खिलाफ खुल कर बोल रहे हैं. विपक्षी नेताओं की दूसरी बैठक 17 और 18 जुलाई को बैंगलुरु में हुई थी. जिसमें गठबंधन का नाम INDIA रखा गया था. इसी मीटिंग में एक प्रस्ताव पास हुआ था जिसमें जातिगत जनगणना का ज़िक्र हुआ था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जब इस प्रस्ताव के बारे में बता रहे थे, ममता बनर्जी भी उस समय मंच पर मौजूद थीं. लेकिन जब इंडिया गठबंधन की बैठक मुंबई में हुई तो जातिगत जनगणना के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने अपना स्टैंड बदल लिया. लालू यादव, शरद पवार, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे और स्टालिन के कहने पर भी वे राज़ी नहीं हुई. नतीजा ये हुआ कि मुंबई की बैठक में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राजनैतिक प्रस्ताव नहीं आ पाया. जबकि ममता बनर्जी को छोड़ कर बाक़ी सभी विपक्षी पार्टियों के नेता इस मुद्दे पर सहमत थे. इस बात पर जब आरजेडी सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी के बीच कहा-सुनी हो गई तो ममता भी नाराज़ हो गईं. इसी नाराज़गी के कारण वे प्रेस कांफ्रेंस में भी नहीं गईं.

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TMC के बदले तेवर से बिगड़ सकता है खेल

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5 सितंबर को मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर INDIA गठबंधन के फ़्लोर लीडर की बैठक हुई. इस मीटिंग में भी ममता बनर्जी की पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के विरोध के कारण जातिगत जनगणना पर प्रस्ताव पास नहीं हो पाया. तय हुआ कि अब 13 सितंबर को शरद पवार के घर को-आर्डिनेशन कमेटी की बैठक में इस पर फ़ैसला होगा. INDIA गठबंधन में शामिल कुछ पार्टियों के नेताओं को इस बात की आशंका है कि ममता बनर्जी गठबंधन से बाहर निकलने के लिए कोई बहाना तो नहीं ढूंढ रही हैं. हो सकता है कि जातिगत आरक्षण का मुद्दा ही वो बहाना है. INDIA गठबंधन के घटक दलों के कई नेता चाहते हैं कि आपस में सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द हो. अरविंद केजरीवाल ने तो 30 सितंबर का डेडलाइन भी दे दिया. जेडीयू से लेकर समाजवादी पार्टी की भी यही राय है. लेकिन ममता बनर्जी किसी भी जल्दबाज़ी में नहीं हैं. वे किसी भी सूरत में बंगाल में कांग्रेस और लेफ़्ट को कोई पॉलिटिकल स्पेस नहीं देना चाहती हैं. लेफ़्ट पार्टी के एक नेता को इस बात की आशंका है कि कहीं ममता बनर्जी बंगाल में हमारे लिए सीट छोड़ने को तैयार ही न हों. बीजेपी से मुक़ाबले के लिए एकजुट हुई विपक्षी पार्टियों में ममता बनर्जी के बदले हुए तेवर को लेकर तरह तरह के सवाल उठने लगे हैं.

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