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सिरोही सीट पर निर्दलीय विधायक का कब्जा, क्या BJP-कांग्रेस कर सकेंगे वापसी?

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राजस्थान में भी चंद महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां पर चुनावी हलचल तेज हो गई है. सियासी मायनों में राजस्थान का सिरोही जिला की काफी अहमियत मानी जाती है. सिरोही जो तीन विधानसभा क्षेत्र वाला जिला है. साथ ही प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू सिरोही जिले में ही आता है. राज्य के इस हाई प्रोफाइल सीट पर अभी निर्दलीय विधायक का कब्जा है. बीजेपी की कोशिश इस सीट को फिर से अपनी पकड़ में लेने की होगी. सिरोही जिले की तीनों विधानसभा सीट लोकसभा की जालौर-सिरोही में पड़ती है. सिरोही-शिवगंज विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक की बात करें तो यहां पर निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी ने पूर्व राज्यमंत्री ओटाराम देवासी को तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा था, वहीं कांग्रेस ने यहां से संयम लोढ़ा का टिकट काटकर तत्कालीन जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य को टिकट दे दिया था. लेकिन इस फैसले से नाराज संयम लोढ़ा ने कांग्रेस से बगावत कर दी और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर वह मैदान में उतर गए.’

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कितने वोटर, कितनी आबादी

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2018 के चुनाव में इस सीट से 15 उम्मीदवारों ने चुनाव में अपनी ताल ठोंकी. लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस छोड़कर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे संयम लोढ़ा और बीजेपी के तत्कालीन विधायक ओटाराम देवासी के बीच रहा. संयम को 81,272 वोट मिले जबकि ओटाराम के खाते में 71,019 वोट आए. यहां पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही और उसके उम्मीदवार जीवा राम आर्य को महज 14,656 वोट ही मिले. संयम ने ओटाराम देवासी को 10,253 मतों के अंतर से हरा दिया. बड़ी जीत हासिल करने वाले विधायक संयम लोढ़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं और ये मुख्यमंत्री का सलाहकार हैं. 2018 के चुनाव में कुल वोटर्स 2,68,271 थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,40,356 थी जबकि महिला वोटर्स की संख्या 1,27,913 थी. इनमें से 1,75,863 (66.5%) लोगों ने वोट किया. NOTA के पक्ष में 2,621 (1.0%) वोट पड़े.

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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

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सिरोही के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो 1990 के बाद से अब तक ज्यादातर समय बीजेपी का ही कब्जा रहा है. तब से लेकर अब तक हुए 7 विधानसभा चुनाव में 4 बार बीजेपी, 3 बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. 1990 में बीजेपी की तारा भंडारी जीतीं तो 1993 में तारा ने फिर जीत हासिल की. 1998 में कांग्रेस के टिकट पर संयम लोढ़ा पहली बार विधायक बने. 2003 में भी वही विजयी रहे. हालांकि 2008 के चुनाव में खेल पलट गया और भारतीय जनता पार्टी के ओटाराम देवासी ने जीत हासिल की. वह 2013 के चुनाव में भी यहीं ओटाराम देवासी चुने हए. फिर वह बीजेपी सरकार में मंत्री भी बने. लेकिन 2018 में ओटाराम संयम लोढ़ा से हार गए. हम आपको सिरोही-शिवगंज विधानसभा क्षेत्र के बारे में बता रहे हैं. सिरोही जिला राजस्थान में गुजरात बॉर्डर के पास स्थित है. सिरोही देवनगरी के नाम से विख्यात प्रसिद्ध प्राकृतिक शहर है. सिरोही विधानसभा में दो बड़े शहर सिरोही और शिवगंज आते हैं. सिरोही में नगरपरिषद है तो शिवगंज में नगरपालिका है. वहीं अब इसमें एक और नई नगरपालिका जुड़ चुकी है. जावाल पंचायत को जावाल नगरपालिका मे बदल दिया गया है. अब यानी विधानसभा मे कुल दो नगरपालिका और एक नगरपरिषद का क्षेत्र शामिल हो गए हैं. सिरोही-शिवगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की बात करें तो जनवरी 2023 के आंकड़ों के अनुसार यहां की कुल मतदाता 2,98,480 हैं, इसमें से पुरुष मतदाता 1,55,499 हैं वहीं महिला 1,42,978 मतदाताओं के साथ अन्य 3 मतदाता शामिल हैं.

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सामाजिक-आर्थिक ताना बाना

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सिरोही-शिवगंज विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग में प्रजापत (कुम्हार), माली, चौधरी, रावणा राजपूत, घांची, सुथार, देवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. जबकि एससी और एसटी समाज में मेघवाल, हिरागर, भील, मीणा सहित अन्य जातियां शामिल हैं. इनके अलावा जनरल वर्ग में राजपूत, राजपुरोहित, रावल और ब्राह्मण वर्ग के लोग शामिल हैं. सिरोही विधानसभा में सिरोही और शिवगंज दो बड़े शहर शामिल हैं. प्राकृतिक सौदर्य में सिरोही अपनी खास पहचान रखता है. चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ सिरोही अपनी सुंदरता की अलग पहचान रखता है. सिरोही पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य में स्थित है. सिरोही इतिहास में अपनी एक अलग पहचान रखता है. राव सहस्त्रमल ने 1425 ईस्वी में सिरोही राज्य की स्थापना की थी. सिरोही को 1425 ईस्वी से पूर्व शिवपुरी को नाम से जाना जाता है. 1405 ईस्वी में शिवपुरी के नाम से इसकी स्थापना की गई थी तथा 1425 में इसका नाम बदलकर सिरोही कर दिया गया. सिरोही शहर अरावली पर्वत श्रृंखला की सिरणवा पहाड़ियों से घिरा हुआ खूबसूरत शहर है. सिरोही की तलवार अपनी एक खास अलग पहचान रखती है

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