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बूंदी सीट पर BJP ने लगाई थी जीत की हैट्रिक, फिर क्यों सता रहा हार का डर? जानें समीकरण

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राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों के बीच में बसा बूंदी शहर हमेशा से अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध रहा है. बूंदी विधानसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव से भारतीय जनता पार्टी जीतती चली आ रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के टिकट पर अशोक डोगरा ने जीत की हैट्रिक लगाई. हालांकि जीत का अंतर कम था इसलिए इस बार बीजेपी का कहीं न कहीं हार का डर सता रहा है. बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व राज्य मंत्री हरिमोहन शर्मा इस सीट पर अशोक डोगरा से हार गए थे. इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाता की संख्या 3 लाख 27 हजार 941 है.

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क्या है जातिगत समीकरण

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7 ग्राम पंचायत और एक नगर परिषद वाले इस बूंदी विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण, एससी-एसटी और गुर्जर बाहुल्य है. बूंदी विधानसभा सीट के लिए 1951 से लेकर अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में से 11 बार ब्राह्मण जाति के उम्मीदवार चुने गए. बूंदी विधानसभा क्षेत्र में 55 हजार ब्राह्मण, 55 हजार एससी, 45 हजार एसटी, 25 हजार गुर्जर मतदाताओं के साथ बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी हैं.

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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास?

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1951 से लेकर अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में से 1951 में छीतरलाल, 1957 में सज्जन सिंह, 1972 में राजेन्द्र कुमार भारतीय और 1990 में कृष्ण कुमार गोयल गैर ब्राह्मण विधायक चुने गए. बाकी सभी 11 चुनावों में ब्राह्मण जाति के ही विधायक चुने जाने से इस सीट पर ब्राह्मणों का वर्चस्व माना जाने लगा. इसमें भी 1951 से शुरू हुए चुनाव में मात्र चार बार, जिनमें से 1980 से पूर्व हुए चुनावों में 1952 और 1977 को छोड़ कर कांग्रेस का कब्जा रहने से यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाने लगी थी. लेकिन 1980 के बाद से क्षेत्र के मतदाताओं की मानसिकता में आए बदलाव के चलते 2008 तक दो बार कांग्रेस और दो बार भाजपा के उम्मीदवारों को जीत मिली. 1980 में कांग्रेस के बृजसुन्दर शर्मा और 1985 में कांग्रेस के ही हरिमोहन शर्मा विधायक चुने गए. इसके बाद 1990 में भाजपा के कृष्ण कुमार गोयल और 1993 में भी भाजपा के ओमप्रकाश शर्मा चुने गए. इसके बाद लगातार वर्ष 1998 और 2003 में कांग्रेस की ममता शर्मा विधायक चुनी गईं. इसके बाद मतदाता भाजपा को ही पसंद करने लगे. इस बदलाव से पिछले 15 वर्षों से इस सीट पर लगातार भाजपा के अशोक डोगरा विधायक के रूप में काबिज हैं, अर्थात डोगरा लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. इन्होंने तीसरी बार वर्ष 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व राज्य मंत्री हरिमोहन शर्मा को 713 मतों के अंतर से हराया था.

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बूंदी विधानसभा सीट से जीते विधायक

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  • 1951 – छीतरलाल – निर्दलीय
  • 1957 सज्जन सिंह – कांग्रेस
  • 1962 – बृजसुन्दर शर्मा – कांग्रेस
  • 1967 – बृजसुन्दर शर्मा – कांग्रेस
  • 1972 – राजेन्द्र भारतीय – कांग्रेस
  • 1977 – ओमप्रकाश शर्मा – जनता पार्टी
  • 1980 – बृजसुन्दर शर्मा – कांग्रेस
  • 1985 – हरिमोहन शर्मा – कांग्रेस
  • 1990 – कृष्ण कुमार गोयल – भाजपा
  • 1993 – ओमप्रकाश शर्मा – भाजपा
  • 1998 – ममता शर्मा – कांग्रेस
  • 2003 – ममता शर्मा – कांग्रेस
  • 2008 – अशोक डोगरा – भाजपा
  • 2013 – अशोक डोगरा – भाजपा
  • 2018 – अशोक डोगरा – भाजपा

सामाजिक और आर्थिक ताना-बाना

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प्राचीन समय में बूंदी को वृंदावती के नाम से जाना जाता था. अरावली की हरी भरी पहाड़ियों से घिरे बूंदी को ‘जलाशयों बावड़ियों का शहर हाड़ोती’ का हृदय स्थल और तकरीबन हर मोड़ पर कोई न कोई मंदिर स्थित होने से इसे छोटी काशी भी कहा जाता है. बूंदी अपनी लोक संस्कृति और विरासत वीरों के बलिदान, चित्रकला शैली, मातृभूमि की रक्षा के बेमिसाल जज्बे, मीणा और राजपूत शासकों के द्वारा बनाए गए किलों, महलों और मंदिरों के कारण जानी जाती है. इस प्रकार बूंदी अपनी रंग बिरंगी संस्कृति के लिए बहुत प्रसिद्ध है.

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पर्यटक स्थल

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गढ़ पैलेस, तारागढ़, शिकारबुर्ज, क्षारबाग, रामगढ़ सेंच्युरी, छत्र महल, रतन दोलत, चित्रशाला, रानीजी की बावड़ी, सुखमहल, 84 खंभों की छतरी, मोती महल संग्रहालय बूंदी शहर में देसी विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र रहता है. बूंदी जिले में तलवास, दुगारी, इंदरगढ़, चौथ माता मंदिर आदि अपनी ओर आकर्षित करता है.

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रामगढ़ विषधारी अभ्यारण

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बूंदी भारत के 52 वें और प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ़, टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी की शुरुआत होने से पर्यटकों को काफी कुछ देखने को मिलेगा.

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