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सत्तारुढ़ कांग्रेस समेत भारतीय जनता पार्टी भी राजस्थान में सत्ता में वापसी की कोशिशों में लगी हुई है. राजस्थान में अगले महीने 25 नवंबर को होने वाली वोटिंग से पहले अपने मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. राजस्थान के झुंझुनूं जिले में भी खासी हलचल है. जिले के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 5 पर कांग्रेस का कब्जा है तो 2 सीट बीजेपी के पास है. मंडावा सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. यहां हुए उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस के पास चली गई.
कितने वोटर, कितनी आबादी
2018 के चुनाव में मंडावा विधानसभा सीट पर बीजेपी के नरेंद्र कुमार ने 80,599 वोट हासिल किए थे जबकि कांग्रेस की प्रत्याशी रीता चौधरी के खाते में 78,253 वोट आए. इन दोनों के बीच बेहद कांटे का मुकाबला रहा जिसमें बीजेपी के उम्मीदवार ने 2,346 मतों के अंतर से जीत हासिल कर ली. तब के चुनाव में मंडावा विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 2,18,035 थी, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,12,528 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 1,05,507 थी. इनमें से कुल 1,64,536 (75.9%) वोटर्स ने वोट डाले. NOTA के पक्ष में महज 908 (0.4) वोट पड़े.
कैसा रहा राजनीतिक इतिहास
मंडावा विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर 1990 से लेकर अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा है. 1990 में जनता दल को जीत मिली. इसके बाद राम नारायण चौधरी ने कांगेस के टिकट पर 1993, 1998 और 2003 के चुनाव में लगातार जीत के साथ हैट्रिक लगाई.इसके बाद 2008 के चुनाव में रीता चौधरी की एंट्री हुई और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और नरेंद्र कुमार को हराकर विधायक चुनी गईं. हालांकि नरेंद्र कुमार ने 2013 के चुनाव में पिछली हार का बदला लिया और कांग्रेस की रीता चौधरी को हरा दिया. 2018 में भी यही परिणाम रहा और नरेंद्र कुमार लगातार दूसरी बार विधायक बने. लेकिन बाद में नरेंद्र कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया. जिस वजह से यहां पर 2019 में फिर से उपचुनाव कराया गया जिसमें कांग्रेस की रीता चौधरी के खाते में जीत गई.कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही इस सीट पर अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस ने रीता चौधरी को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी ने सांसद और पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार फिर से मैदान में उतारा है. नरेंद्र कुमार पांचवीं बार मंडावा से विधायकी का चुनाव लड़ने जा रहे हैं. नरेंद्र 3 बार निर्दलीय चुनाव लड़े औप एक बार जीते, जबकि बीजेपी के टिकट पर 2 बार चुनाव जीते थे. हालांकि नरेंद्र कुमार को टिकट दिए जाने से पार्टी के अंदर नाराजगी देखी जा रही है. पार्टी में बगावती सुर दिखने के बाद अब इस सीट पर मुकाबला रोमांचक हो गया है.