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राजस्थान में भाजपा की जीत पर क्या राज करेंगी वसुंधरा राजे ?

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राजस्थान में भाजपा प्रचंड जीत की ओर बढ़ रही है. रुझानों में दिख रही बढ़त ने तकरीबन ये साफ कर दिया है कि राजस्थान में रिवाज कायम रहेगा. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर भाजपा यहां सीएम किसे बनाएगी. क्या वसुसंधरा राजे ही प्रदेश की तीसरी बार सीएम बनेंगी या किसी और को कुर्सी थमाई जाएगी. दरअसल राजस्थान में वसुंधरा राजे सहित सीएम पद के कई दावेदार हैं. अगर पार्टी की बात की जाए तो आलाकमान की ओर से किसी के भी नाम पर मुहर नहीं लगी है. भाजपा आलकमान और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच लंबे समय से खटपट चल रही है. ये नाराजगी उस समय और बढ़ गई थी जब भाजपा ने राजस्थान चुनाव में सीएम फेस के बिना उतरना तय किया था. यह फैसला वसुंधरा राजे को कतई पसंद नहीं आया था. उनके कई समर्थकों ने तो खुलकर इस बात पर नाराजगी जताई थी और राजे को सीएम फेस घोषित करने की मांग की थी. हालांकि भाजपा ने चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा था. इसके बाद ही ये तय मान लिया गया था कि भाजपा पूर्व सीएम राजे को तीसरी बार सीएम बनाने के मूड में नहीं हैं. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह राजे सीएम बनेंगी या नहीं ये भाजपा की जीत के अंतिम आंकड़े पर तय करेगा. दरअसल राजे को सीएम फेस घोषित न किया जाना भी भाजपा की एक रणनीति मानी जा रही है.

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क्या राजे फिर बनेंगी सीएम?

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भाजपा लंबे समय से राजस्थान में वसुंधरा राजे का विकल्प तलाश रही है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दीया कुमारी और राज्यवर्धन सिंह राठौर और बालक नाथ समेत कई चेहरे सीएम पद के दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि वसुंधरा को दरकिनार करना भाजपा के लिए आसान इसलिए नहीं है, क्योंकि राजे राजस्थान की बड़ी नेता हैं और उनके पास विधायकों का अच्छा खासा समर्थन है. खुद सात बार के विधायक रहे देवीसिंह भाटी ने भी हाल ही में ये बयान दिया था कि राजस्थान राजे के मुकाबले कोई चेहरा ऐसा नहीं है जो भाजपा को सत्ता में ला सके. उन्होंने यह भी ऐलान किया था कि यदि वसुंधरा को चेहरा नहीं बनाया गया तो उनके समर्थक किसी अन्य विकल्प पर विचार करेंगे.

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लंबे समय में किनारे थी वसुंधरा राजे

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राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की अपनी एक अलग धमक है, फिर भी बीते पांच साल वह सक्रिय तौर पर नजर नहीं आईं. खास तौर से 2020 में ऑपरेशन लोटस की असफलता का ठीकरा भी राजे के सिर ही फोड़ा गया था, जब एक तरह से ये मान लिया गया था कि राजस्थान से गहलोत सरकार जा सकती है. इसके अलावा सचिन पायलट ने खुद अपनी ही सरकार पर वसुंधरा राजे के खिलासफ कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए पद यात्रा निकाली थी. इसके बाद भी वसुंधरा राजे पार्टी के चुनाव अभियान से एक किनारा किए हुए नजर आईं थीं. न तो गहलोत सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में दिखीं और न ही भाजपा की बैठकों में. इसके बाद से ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि राजे और भाजपा आलकमान में सब कुछ ठीक नहीं है.

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…लेकिन पलटते दिखी बाजी

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राजस्थान की चुनावी तैयारियों में वसुंधरा राजे की कोई भूमिका नहीं दिखी, लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते उनकी धमक जरूर नजर आने लगी. चाहे पीएम मोदी का राजस्थान दौरा हो या फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का. वसुंधरा राजे को मंच पर पूरे सम्मान के साथ बैठाया गया, लेकिन पार्टी ने उन्हें सीएम फेस नहीं बनाया. हालांकि माना ये जा रहा है कि भाजपा ने पूरी तरह से राजे को सीएम बनाने से इन्कार भी नहीं किया है. इसकी वजह ये है कि पार्टी राजे की ताकत की पूरी तरह से दरकिनार नहीं कर पा रही है.

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आखिर राजे ही क्यों?

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भाजपा की ओर से सबसे मजबूर चेहरा वसुंधरा राजे ही हैं. प्रदेश में सीएम पद के दूसरे दावेदार गजेंद्र सिंह शेखावत के मुकाबले राजे का अनुभव ज्यादा है. इसके अलावा शेखावत के मुकाबले राजे का कद भी बड़ा है. अच्छा खासा जनाधार और विधायकों का समर्थन भी उनके साथ है. वह प्रदेश में दो बार सीएम पद की कमान संभाल चुकी हैं. इसके अलावा अटल सरकार में मंत्री भी रही हैं और वर्तमान में भी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कमान संभाले हैं. हालांकि उनके पक्ष में सबसे नेगेटिव चीज उनकी आलाकमान से खटपट और उनकी उम्र है. दरअसल राजे 70 साल की ओ चुकी हैं, ऐसे में भाजपा उनका विकल्प तलाशने में जुटी है. हाल ही में झालावाड़ की जनसभा में उन्होंने अपने बेटे सांसद दुष्यंत के संबोधन के बाद ये कहा था कि बेटा राजनीति में परिपक्व हो रहा है अब वह रिटायरमेंट के बारे में सोच सकती हैं. हालांकि अगले ही दिन नामांकन के वक्त उन्होंने ये ऐलान कर दिया था कि रिटायरमेंट का उनका कोई इरादा नहीं है.

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ये नाम भी हैं दावेदार

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अगर भाजपा राजस्थान में राजे को सीएम नहीं बनाती है तो संभावित नामों में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व राजकुमारी और राजसमंद सांसद दीयाकुमारी, अलवर सांसद महंत बालकनाथ, राजेंद्र राठौर और सतीश पूनिया के नाम सबसे ऊपर हैं. खासतौर से गजेंद्र सिंह शेखावत ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विधायकों को तोड़कर भाजपा में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा भी वह प्रदेश की राजनीति में खूब सक्रिय रहे थे. इसीलिए प्रदेश में राजे के अलावा सीएम पद का सबसे बड़ा दावेदार गजेंद्र सिंह शेखावत को ही माना जा रहा है. इसके बाद नंबर आता है दीयाकुमारी का. जयपुर के आखिरी महाराजा और आजाद भारत के राजस्थान के राज प्रमुख मान सिंह द्वितीय की पोती दीया कुमारी को राजनीति में वसुंधरा राजे ही लेकर आईं थीं, लेकिन अब वह उन्हीं के रास्ते का कांटा बन सकती हैं. इस रेस में तीसरा नाम अलवर सांसद बालकनाथ का है. प्रदेश की राजनीति में सबसे तेज आगे बढ़ने वालों में वह प्रमुख हैं.

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