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अमेरिका के बाद अब ब्रिटिश दूत ने भी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया है जिसको लेकर भारत भड़क गया है. भारत सरकार ने आज शनिवार को ब्रिटिश महिला दूत जेन मैरियट की 3 दिन पहले पीओके की यात्रा पर गहरी आपत्ति जताई और कहा कि यह आपत्तिजनक है. पाकिस्तान में ब्रिटेन की उच्चायुक्त मैरियट ने बुधवार (10 जनवरी) को मीरपुर का दौरा किया था. जेन पाकिस्तान में पहली महिला ब्रिटिश दूत हैं. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मैरियट की यह यात्रा “बेहद आपत्तिजनक” रही और उनकी ओर से किया गया यह ऐसा कृत्य है जो “भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन” करता है. मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया है कि विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने इस यात्रा को लेकर भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है. विदेश मंत्रालय ने कहा, “केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं, हैं और आगे भी रहेंगे.”
मैरियट की यात्रा भड़के यूजर्स
पाक अधिकृत कश्मीर के मीरपुर क्षेत्र में अपनी यात्रा के बाद, दूत जेन मैरियट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तस्वीरें साझा की थीं. इस पोस्ट में कहा था कि 70 फीसदी ब्रिटिश पाकिस्तानी लोगों की जड़ें मीरपुर से हैं. उन्होंने कहा, “सलाम से मीरपुर, जो ब्रिटेन और पाकिस्तान के लोगों के बीच दिलों का अहम केंद्र है. 70 फीसदी ब्रिटिश पाकिस्तानी लोग मूल रूप से मीरपुर से ही आते हैं, जिससे हमारा एक साथ काम करना प्रवासी हितों के लिए अहम हो गया है. आपके मेहमाननवाजी के लिए धन्यवाद!” हालांकि उनकी ओर से पोस्ट किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर भड़ास निकाली. कई लोगों ने ब्रिटिश दूत की इस यात्रा की निंदा की. कुछ यूजर्स ने इस दौरे को “शर्मनाक” करार दिया तो कुछ यूजर्स ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से ब्रिटिश दूत जेन मैरियट के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की. जेन पिछले साल जून में ब्रिटिश दूत बनाई गई थीं और जुलाई में पद संभाला था.
पिछले साल अमेरिकी दूत ने भी की था यात्रा
विवादित क्षेत्र में विदेशी दूतों का जाने की यह घटना पहली बार नहीं हुई है. पहले भी कई विदेशी दूत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जाते रहे हैं. पिछले साल भी इसी तरह की एक घटना घटी अक्टूबर में. तब पाकिस्तान में अमेरिकी दूत डेविड ब्लोम ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र का दौरा किया था. तब भी, केंद्र सरकार की ओर से इस दौरे का मामला अमेरिकी अधिकारियों के सामने उठाया गया था और यह दोहराया गया कि जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र “भारत का अभिन्न अंग” है.