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पानी के लिए गांव वालों ने की राम कथा, जुटाए पौने 2 करोड़ रुपये

खड़गदा। रिपोर्ट टाइम्स।

गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर ही राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में मोरन नदी के तट पर खड़गदा गांव में जल संचय के साथ ही रिवर फ्रंट तैयार हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नदियों और जल संरक्षण से प्रेरित होकर राम कथा व्यास पीठ के माध्यम से इस जल संरक्षण और रिवर फ्रंट को बनानें में पूरा गांव जुट गया है. अब तक आपने सरकार की ओर से करोड़ों खर्च कर रिवर फ्रंट बनाने की बात तो सुनी होगी, लेकिन खड़गदा में बन रहा रिवर फ्रंट पूरी तरह से लोगों के जन सहयोग से बनाया जा रहा है. 2 हजार मीटर लंबे और 500 मीटर चौड़े रिवर फ्रंट पर अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गया है.

बाड़ी- दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल क्षेत्र डूंगरपुर जिले के खडगदा गांव के राम कथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री अपने क्षेत्र के लिये जल योद्धा बन कर सामने आए हैं. गांव से बहने वाली मोरन नदी जो की कचरा पात्र बन गई थी, जिसका बहाव क्षेत्र पूर्ण रूप से ख़त्म हो चुका था उसे नव जीवन देने का काम किया.

9 माह के कठोर परिश्रम और दृढ़ संकल्प के परिणाम से नदी के 1 किमी. के दायरे में मोरन गंगा को 500 फीट चौड़ा और 25 फीट गहरा किया गया, जिसमें 40 करोड़ लीटर पानी सहेजने का काम किया गया. 3 हिताची, दो जेसीबी दो डंपर और 15 से अधिक ट्रैक्टर और मजदूरों के साथ कमलेश भाई शास्त्री दिन रात नदी की सफाई में लगे.

1.75 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च

तपती गर्मी में भी नदी से जंगली घास और कचरा निकालने का काम दिया. इस कार्य के तहत करीब 1.75 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आया. कमलेश भाई शास्त्री ने व्यक्तिगत तौर पर लोगों और व्यापारियों से उधार लेकर नदी के क़रीब एक किलोमीटर के दायरे को न सिर्फ़ साफ़ किया बल्कि नदी की भराव क्षमता को भी बढ़ाया. नदी के दोनों किनारों पर रिवर फ्रंट के लिये 20-20 फीट चौड़े रास्ते बनाए गए हैं.

इसके अलावा यहां 65*45 का कुआं बनाया गया है जो 80 फीट गहरा है, जिसकी भराव क्षमता 55 लाख लीटर है. कुआं सर्व समाज की सुविधा के लिए सुलभ होगा. मोरन नदी खड़गदा गांव की परिक्रमा करते हुए गुजर रही है. नदी का का आकार शिवलिंग के जैसा है, जिसके भाल पर वागड़ का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर स्थापित है. ऐसे में गांव के लिए नदी का खास महत्व है. सिंचाई और पीने के पानी के लिए पूरे क्षेत्र के लोग इसी नदी पर निर्भर है. इस नदी को वागड़ की लाइफ लाइन भी कहा जाता है।

दुर्दशा देखकर कथावाचक ने लिया संकल्प और जुड़ गया गांव

चंद्रेश व्यास बताते है कि मोरन नदी में अवैध खनन और कचरा बहकर आने से नदी बेहद प्रदूषित हो गई थी. गांव की पवित्र नदी की ऐसी दुर्दशा देखकर खड़गदा गांव के प्रसिद्ध कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री ने नदी के पुनरुत्थान के लिए शिव संकल्प धारण किया. उनके इस संकल्प में ग्रामीण भी जुड़ते गए. नदी के किनारों पर पैदल चलना भी काफी मुश्किल था. वहां 20 फीट चौड़ी सड़कें बनाई गई है , जहां अब बड़े वाहन भी आसानी से गुजर रहे है.

आधुनिक मशीनों के जरिए हजारों ट्रैक्टर कचरा निकाला गया, जिस नदी में 8 महीने पहले कूड़ा कचरा और जानवरों के अवशेष पड़े थे. ऐसे में उसका स्वरूप ही बदल दिया गया। महज कुछ महीनों में एक गांव की पूरी नदी का स्वरूप बदल दिया गया. पूरे काम को सिस्टेमेटिक तरीके से अंजाम देने के लिए सर्व समाज के ग्रामीण जुटे है. प्रोजेक्ट के तहत जन जागरूकता के जरिए पूरी मोरन गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प है.

8 महीनों पहले रेती खनन होती थी, अब बोटिंग की तैयारी

प्रोजेक्ट की शुरुआत पहली बार 22 फरवरी को सर्व समाज के युवाओं के श्रमदान से की गई, जिसमें बुजुर्ग और महिलाएं तक जुटी और सफाई शुरू कर दी. हालांकि तब महसूस हुआ कि क्षेत्र बड़ा है. ऐसे में बड़े प्रयास की जरूरत है, जिसके बाद कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में रिवर फ्रंट की रूपरेखा बनाई गई.

बीते 8 महीनों में 2.5 करोड़ से भी ज्यादा बजट खर्च कर 2 हजार मीटर लंबा नदी का रिवर फ्रंट बनाया गया है. नदी में 8 महीने पहले रेती खनन होती थी. वहीं अब बोटिंग की तैयारी की जा रही है. नदी के किनारों पर साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर ही आकर्षक पाथ-वे बनाए जा रहे है, जहां फलदार और छायादार पौधे लगाए जाएंगे.

नदी के संरक्षण के लिए रामकथा

रामकथा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ईश्वर भट्ट बताते है कि रिवर फ्रंट बड़ा प्रोजेक्ट है. इसके लिए धन जुटाने में कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में 9 दिवसीय रामकथा महोत्सव का आयोजन 28 दिसंबर से 5 जनवरी तक किया गया. जनजाति क्षेत्र का यह पहला रिवर फ्रंट होगा जो अहमदाबाद की तर्ज पर बनाया जा रहा है. इस पूरे कार्य में सरकार से कोई सहयोग नहीं लिया गया. नदी के साफ़ हो गई और पानी भी भर गया लेकिन अब उधार चुकानी थी.

कमलेश भाई शास्त्री ने पूरे क्षेत्र में पानी की महत्वता को लेकर अभियान चलाया और जन सहयोग से जल संचय के तहत 9 दिवसीय राम कथा आयोजित की गई. मोरन नदी के संवर्धन और संरक्षण को लेकर उनकी ओर से किये गये कार्य को राजस्थान के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने भी सराहा.

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