REPORT TIMES : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, झुंझुनू, ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म अमेजॉन (Amazon.in) को उपभोक्ता को वॉटर प्यूरीफायर की डिलीवरी नहीं देने और ऑनलाइन बुकिंग में ली गई राशि वापस नहीं लौटाने के लिए दोषी माना है। आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार मील और सदस्य प्रमेन्द्र सैनी की बेंच ने अमेजॉन के इस कार्य व्यवहार को अनुचित व्यापार प्रथा (Unfair Trade Practice) और डार्क पैटर्न (Dark Pattern) मानते हुए मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय के पेटे 52,500 रुपए की शास्ति (जुर्माना) उपभोक्ता को देने का आदेश दिया है। इसके अतिरिक्त, अमेजॉन को या तो वॉटर प्यूरीफायर की डिलीवरी देनी होगी या उपभोक्ता से ली गई राशि लौटानी होगी।

यह था मामला
यह मामला झुंझुनू जिले के बुहाना कस्बे के निवासी अभिषेक कुमार से संबंधित है। अभिषेक कुमार ने 18 अगस्त 2023 को अमेजॉन डॉट इन पर 1,499 रुपए का एक वॉटर प्यूरीफायर ऑनलाइन पेमेंट करके ऑर्डर किया था। लंबी अवधि तक प्रोडक्ट की डिलीवरी न मिलने पर, परिवादी ने सेवा प्रदाता प्लेटफॉर्म के कस्टमर केयर नंबर पर लगभग 10 बार संपर्क किया। बावजूद इसके, उपभोक्ता को जुलाई 2024 तक भी ऑनलाइन बुक किए गए वॉटर प्यूरीफायर की डिलीवरी नहीं मिली, और सबसे बड़ी बात यह है कि उपभोक्ता द्वारा किया गया भुगतान भी उसे वापस नहीं लौटाया गया। इससे परेशान होकर पीड़ित उपभोक्ता ने न्याय के लिए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अमेजॉन के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत किया।

उपभोक्ता आयोग का कड़ा फैसला
आयोग ने परिवाद पर सुनवाई करते हुए पाया कि अमेजॉन का कार्य व्यवहार स्पष्ट रूप से अनुचित व्यापार प्रथा की श्रेणी में आता है। बेंच ने अमेजॉन को दोषी मानते हुए परिवादी को मानसिक संताप और परिवाद व्यय के लिए 52,500 रुपए देने का आदेश दिया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अमेजॉन को यह जुर्माना राशि चुकाने के साथ ही, या तो तुरंत वॉटर प्यूरीफायर की डिलीवरी सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा उसे उपभोक्ता से वॉटर प्यूरीफायर के लिए प्राप्त की गई 1,499 रुपए की राशि भी वापस लौटानी होगी।
आयोग की कड़ी टिप्पणी: ‘डार्क पैटर्न’ विधि विरुद्ध:

उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष एवं पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार मील ने आदेश में अत्यंत कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि, “अमेजॉन द्वारा डार्क पैटर्न के अनुचित कार्य व्यवहार एवं अनफेयर प्रैक्टिस को अपनाया गया है, जो कि विधि विरुद्ध होने के साथ-साथ ऑनलाइन मार्केटिंग व डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म से संबंधित भारत सरकार की फ्लैगशिप योजना की पवित्रता को खंडित करने का प्रयास भी है।”
