Report Times
latestOtherजयपुरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिराजस्थानस्पेशल

‘कांग्रेस MLA के स्वेच्छा से नहीं दिए थे इस्तीफे’ राठौड़ बोले- संवैधानिक प्रावधानों के साथ हुआ खिलवाड़

REPORT TIMES 

Advertisement

राजस्थान में बीते 25 सितंबर को कांग्रेस के सियासी संकट के दौरान हुए विधायकों के सामूहिक इस्तीफों पर लगातार राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. हाईकोर्ट में विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ की याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा 20 जनवरी को दिए गए आदेशों की अनुपालना में विधानसभा सचिव की ओर से 90 पेज का जवाब पेश किया गया. विधानसभा सचिव की ओर से हाईकोर्ट में दिए जवाब में माना गया कि विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं होने के चलते उन्हें स्वीकार नहीं किया गया. वहीं विधानसभा सचिव की ओर से जवाब की एक कॉपी याचिकाकर्ता उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ को भी दी गई. वहीं सुनवाई के बाद जानकारी मिली है कि स्पीकर को सभी 81 एमएलए ने लिखित में कहा था कि उन्होंने इस्तीफ़े स्वेच्छा से नहीं दिए हैं और स्पीकर के पास जाकर 6 विधायकों ने इस्तीफे सौंपे थे उनके नाम भी सामने आए हैं. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी. मालूम हो कि पिछली सुनवाई में सरकार के महाधिवक्ता ने विधानसभा सचिव की ओर से पेश किए गए शपथ पत्र में कहा था कि सभी विधायकों के इस्तीफे स्पीकर की ओर से खारिज कर दिए गए हैं और 25 सितंबर को 91 नहीं 81 विधायकों ने सामूहिक इस्तीफे दिए थे जिसमें से 5 फ़ोटो कॉपी थे.

Advertisement

Advertisement

6 विधायको ने दिए 81 सदस्यों के इस्तीफे

Advertisement

विधानसभा सचिव ने कोर्ट में दिए जवाब में बताया है कि वास्तव में 91 नहीं बल्कि कुल 81 विधायको ने ही इस्तीफ़े दिए थे जिनमें से 24 ने 30 दिसंबर 2022 को, 39 विधायकों ने 31 दिसंबर 2022 को और बाकी बचे विधायकों ने 17 ने 1 जनवरी 2023 को अपने इस्तीफे वापस ले लिए. वहीं इस्तीफ़े वापस लिए जाने के कारण 13 जनवरी 2023 को स्पीकर ने उन्हें खारिज कर दिया.

Advertisement

वहीं विधानसभा के प्रक्रिया नियमों का हवाला देते हुए जवाब में कहा गया है कि ऐसी परिस्थितियों में यदि आवश्यक हो तो स्पीकर द्वारा निर्णय लेने में कुछ महीने लिए जा सकते हैं और जवाब में यह भी खुलासा किया गया है कि 25 सितंबर 2022 को इस्तीफ़े दिए जाने के समय ही स्पीकर ने इस्तीफ़े से जुड़ी विभिन्न असामान्य परिस्थितियों को देखते हुए विचार बना लिया था कि इस्तीफ़े को स्वैच्छिक रूप से दिए जाने और इस्तीफों के जेन्यूइन होने के संबंध में संतुष्टि होने के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा.

Advertisement

13 फरवरी तक मामला टला

Advertisement

बता दें कि सोमवार को हुई सुनवाई में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी करने पहुंचे थे जहां विधानसभा सचिव के जवाब पर राठौड़ ने कहा कि उन्हें जवाब देने के लिए समय चाहिए जिसके जवाब में सिंघवी ने कहा कि याचिका में केवल यह कहा गया है कि अध्यक्ष को इस्तीफों के संबंध में आदेश पारित करने के निर्देश दिए जाएं और याचिका प्रस्तुत करने से पहले ही अध्यक्ष ने आदेश पारित कर दिया है.

Advertisement

सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि यह याचिका अब सुने जाने योग्य नहीं रही है. वहीं इस पर कोर्ट ने कहा कि मूल बिंदु यह है कि इस सवाल का निर्धारण किया जाना है कि कोई संवैधानिक अथॉरिटी ऐसे मामलों में कितने समय तक निर्णय को लंबित रख सकती है.

Advertisement

निजी स्वार्थ में विधायकों ने दिए इस्तीफे : राठौड़

Advertisement

वहीं सुनवाई के बाद राठौड़ ने कहा कि आज के जवाब से यह साफ होता है कि किस तरह से संवैधानिक प्रावधानों के साथ योजनाबद्ध तरीक़े से खिलवाड़ किया गया था. वहीं राठौड़ ने बताया कि 81 विधायकों की सूची को उन्होंने ऐसे जनप्रतिनिध्यों की सूची होना बताया जिन्होंने पहले तो अपने विधानसभा क्षेत्रों की जनता के विश्वास को ठुकराकर निजी स्वार्थ में अपने इस्तीफ़े दे दिए और अब 3 महीने बाद वह पूरी तरह से पलट गए और इस्तीफ़ों को स्वेच्छा से नहीं देना बता दिया.उन्होंने कहा कि यह एक अकल्पनीय परिस्थिति है कि 81 विधायकों से जबरन इस्तीफ़े ले लिए गए और अगर प्रदेश में 81 विधायकों के साथ इस तरह से जबरदस्ती की जा सकती है तो राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का इससे बुरा उदाहरण नहीं मिल सकता है.

Advertisement
Advertisement

Related posts

हिंदुस्तानीय फुटबॉल टीम के खिलाडी सुनील छेत्री मैच से हुए बाहर

Report Times

चार धाम में उमड़ रही भक्तों की भारी भीड़, तमाम पार्किंग फुल; घंटों लग रहा जाम

Report Times

चिड़ावा: राजस्व और मंत्रालयिक कर्मचारी उतरे सूरजगढ़ एसडीएम के विरोध में

Report Times

Leave a Comment