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गुढ़ा की लाल डायरी से राजस्थान की राजनीति में ‘तूफान’, पहले भी डायरी के पन्नों से हिल गई हैं सरकारें

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राजस्थान के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की एक डायरी ने एक बार फिर राजनीति में भूचाल ला दिया है. महिला सुरक्षा को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने को लेकर सरकार से बाहर किए गए राजेंद्र गुढ़ा विधानसभा में एक लाल डायरी लेकर पहुंच गए. उनके विधानसभा में डायरी को दिखाते ही गहलोत सरकार सवालों के घेरे में आ गई. राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावों को देखते हुए गहलोत सरकार ने अपने विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने के लिए बड़ा प्लान तैयार किया है.ऐसे में गुढ़ा की लाल डायरी उनकी इस पूरी कोशिश पर पानी फेर सकती है. राजेंद्र गुढ़ा ने सोमवार को जिस तरह के तेवर दिखाए हैं उसे देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि आने वाले समय में लाल डायरी राजस्थान की सियासत में बड़ा भूचाल ला सकती है. आपको बता दें कि भारतीय राजनीति के इतिहास में जब-जब किसी डायरी का जिक्र आया है तब-तब हंगामा मचा है. बात चाहे जैन हवाला केस की हो गया फिर बोफोर्स डायरी की. हर बार डायरी के एक पन्ने ने पूरी सियासत को ही बदल दिया है.

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जैन की डायरी ने खोले राज

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डायरी का जिक्र हो और 1996 में हुए हवाला कांड के बारे में बात न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है. 3 मई 1991 किसी को भी खबर नहीं थी कि सीबीआई एक बड़ी कार्रवाई के तहत हवाला कारोबारियों के 20 ठिकानों पर छापा मारने जा रही है. सीबीआई ने इस दौरान भिलाई इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक सुरेंद्र कुमार जैन के महरौली स्थित फॉर्म हाउस पर भी छापे मारे थे. 22 जून 1993 में सीबीआई की इस कार्रवाई को सुब्रमण्यन स्वामी ने फिर हवा दी. उन्होंने दावा किया उनके पास ऐसे सबूत हैं जिससे पता चलता है कि लाल कृष्ण आडवाणी ने 2 करोड़ रुपए हवाला कोरोबारी जैन से लिए थे. दरअसल सीबीआई को 1991 में की गई छापेमारी के दौरान जैन के पास से दो डायरी मिली थी, जिसमें कई राजनेताओं का नाम कोडवर्ड में लिखे थे. मामले ने तूल पकड़ा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पेशल हवाला कोर्ट का गठन किया गया. डायरी के इन पन्नों से 1996 में बड़ा राजनीतिक भूचाल आया और तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार के तीन मंत्रियों बलराम जाखड़, वीसी शुक्ला और माधवराव सिंधिया को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. यही नहीं बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी को भी संसद सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि बाद में इस मामले में आडवाणी समेत सभी आरोपियों का सबूतों के आभाव में को कोर्ट ने बरी कर दिया.

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डायरी की एंट्री ने खोली बोफोर्स की कहानी

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बोफार्स को लेकर साल 1987 में एक स्वीडिश रेडियो ने दावा किया गया कि इसके सौदे में भारत के कई बड़े राजनेताओं और रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने घूस ली थी. 60 करोड़ रुपए की इस घूस का पता तब चला जब इससे जुड़ी जानकारी एक डायरी में मिली. ये डायरी बोफोर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्टिन आर्डोबो की थी. आर्डोबो ने बोफोर्स डील से जुड़ी सभी जानकारी अपनी डायरी में लिखी थी.

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इस सौदे में ली गई घूस से जुड़ी जानकारी सामने आने के बाद पूर्व पीएम वीपी सिंह ने इसे जोरशोर से उठाया. इस डायरी के पन्नों में लिखी जानकारी के कारण साल 1989 में राजीव गांधी को अपनी सत्ता से हाथ धोना पड़ा. बाद में इस सौदे की जांच में इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोकी का भी नाम सामने आया.

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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला

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इस घोटाले में तत्कालीन रक्षा मंत्री और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद में गड़बड़ी की थी. इस घोटाले में शामिल एक दलाल मिशेल की डायरी में कई हाई प्रोफाइल लोगों के नाम थे, जिन पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था. इस घोटाले ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया था और कांग्रेस पार्टी को चुनाव हारना पड़ा था.

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झारखंड स्कॉलरशिप घोटाला

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इस घोटाले में तत्कालीन झारखंड की मुख्यमंत्री रघुवर दास पर आरोप लगा था कि उन्होंने स्कॉलरशिप के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया था. इस घोटाले में शामिल एक अधिकारी की डायरी में कई हाई प्रोफाइल लोगों के नाम थे, जिन पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था. इस घोटाले ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया था और रघुवर दास को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

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वीरभद्र सिंह की हुई फजीहत

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इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने साल 2012 में इस्पात इंडस्ट्री परिसर पर छापा मारा. इस कार्रवाई में विभाग के अधिकारियों को कुछ डायरी भी बरामद हुईं, जिसमें कई बड़े कैश के लेन देन का जिक्र भी किया गया था. डायरी से ही वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का भी पता चला. डायरी से पता चला कि किस तरह सेब की ढुलाई के लिए 6.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए. बताया जाता है कि सेब की ढुलाई में होंडा बाइक, ऑटो से लेकर मारूति 800 तक का इस्तेमाल किया गया.

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