Report Times
latestOtherकरियरजयपुरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिराजस्थानस्पेशल

नौकरी के लिए मापी जा रही महिलाओं की चेस्ट, हाई कोर्ट ने कहा- ये निजता का उल्लंघन है

REPORT TIMES 

Advertisement

नौकरी के लिए महिलाओं के जिस्म की जांच करना गलत है. यह महिलाओं की निजता का उल्लंघन है. संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है. राजस्थान फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में नौकरी के लिए महिलाओं की छाती नापने का मामला सामने आने के बाद दो महिलाएं कोर्ट पहुंची थीं. कोर्ट ने इसकी निंदा की और हायरिंग के लिए फिजिकल एग्जाम में इस प्रक्रिया को बंद करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि यह क्राइटेरिया पूरी तरह से मनमाना और अपमानजनक है और एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाता है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक्सपर्ट के साथ बातचीत कर इस प्रक्रिया पर रोक लगाने कहा. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में हायरिंग के लिए लंग्स कैपेसिटी की जांच के नियम हैं. यह महिला और पुरुष दोनों उम्मीदवारों पर लागू होता है. कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस क्राइटेरिया का अल्टरनेटिव तलाशने की सलाह दी है. हाई कोर्ट ने कहा कि महिला उम्मीदवारों के इस अनुचित अपमान से बचें. तीन महिलाओं ने फिजिकल परीक्षा पास कर ली थी, बावजूद इसके उनक छाती का नाप देने से इनकार करने पर उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया था.

Advertisement

Advertisement

छाती के माप से लंग्स कैपैसिटी का लिटमस टेस्ट नहीं हो सकता

Advertisement

हाई कोर्ट ने कहा कि महिला उम्मीदवारों के लिए छाती नापने की क्राइटेरिया पर विचार-विमर्श करने की जरूरत है. जस्टिस मेहता ने अपने फैसले में साफ किया किय इस तरह के नियम ना सिर्फ फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की हायरिंग के लिए गलत है, बल्कि किसी भी अन्य हायरिंग प्रक्रिया में भी इस तरह के नियमों पर विचार करना चाहिए. जस्टिस मेहतना ने 10 अगस्त के अपने फैसले में कहा कि महिलाओं उम्मीदवारों के मामले में छाती का आकार और उसका विस्तार आवश्यक रूप से फिटनेटस को दर्शाता है और इससे लंग्स कैपैसिटी का लिटमस टेस्ट नहीं हो सकता.

Advertisement

महिलाओं के अधिकार का उल्लंघन

Advertisement

हाई कोर्ट के जस्टिस मेहता ने कहा कि भले ही आप (हायरिंग डिपार्टमेंट) आप महिलाओं का सीना माप कर यह अंदाजा लगा लेते होंगे, लेकिन इस तरह की चीजें महिलाओं के निजता का उल्लंघन करता है. इस तरह के क्राइटेरिया तर्कहीन तो हैं ही, इस तरह के नियम बनाना भी एक महिला की डिग्निटी, ऑटोनॉमी और इंटीग्रिटी को बाधित करता है. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के लिए बनाए गए यह नियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत महिला की गरिमा और निजता के अधिकार पर स्पष्ट आघात है.

Advertisement
Advertisement

Related posts

कॉलेज व्याख्याता में 18वीं रैंक पर हुआ चयन 

Report Times

लोकसभा चुनाव 2024: रांची के ग्रामीण एसपी बनाए गए सुमित कुमार अग्रवाल, राकेश रंजन देवघर के नए एसपी

Report Times

Nestle बच्चों के खाने में मिला रही चीनी? सरकार के निशाने पर आयी कंपनी, जानें डिटेल

Report Times

Leave a Comment