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देश में बेरोजगारी के नए आंकड़े सामने आए हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड (CMIE) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि बेरोजगारी के मामले में हरियाणा की स्थिति बेहद खराब है. राज्य में बेरोजगारी दर 37.4 फीसदी है, जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब में 100 व्यक्तियों में से केवल 7 लोग ही बेरोजगार हैं. इतना ही नहीं पंजाब में बेरोजगारी दर की तुलना अगर राष्ट्रीय औसत से की जाए तो भी राज्य का प्रदर्शन बहुत अच्छा है.
CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक,6.8 फीसदी की बेरोज़गारी दर के साथ पंजाब ने बेरोज़गारी के राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है. बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 8.6 फीसदी है. इससे पहले एक जनवरी को सीएमआईई ने बताया था कि दिसंबर में भारत की बेरोजगारी दर पिछले महीने के 8 फीसदी से बढ़कर 16 महीने के उच्च स्तर 8.30 फीसदी हो गई है.
CMIE की ताजा रिपोर्ट में तीन पड़ोसी राज्यों का हाल
- हिमाचल प्रदेश- बेरोजगारी दर 7.6 फीसदी- यानी 100 में से 7.6 लोग बेरोजगार
- पंजाब- बेरोजगारी दर 6.8 फीसदी- यानी 100 में से 6.8 लोग बेरोजगार
- हरियाणा- बेरोजगारी दर 37.4 फीसदी- यानी 100 में से 37.4 लोग बेरोजगार
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पंजाब की तुलना में हिमाचल प्रदेश की बेरोजगारी दर 0.8 फीसदी ज्यादा है. बता दें कि पंजाब ने रोजगार बढ़ाने के लिए रोजगार और प्रशिक्षण के जिला ब्यूरो की स्थापना की है और युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की सरकार ने घर-घर रोजगार योजना बताई थी, जिसके तहत रोजगार मेले आयोजित किए गए और युवाओं को प्लेसमेंट के विकल्प दिए गए.
अर्थशास्त्री पंजाब के आंकड़ों से सहमत नहीं
पंजाब की बेरोजगारी दर से अर्थशास्त्री सहमत नहीं हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत मेंपंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ लखविंदर सिंह गिल ने कहा कि ताजा स्थिति देखें तो पिछले 10 सालों की तुलना में पंजाब में बेरोजगारी की दर न केवल हाई है, बल्कि बहुत ज्यादा है. उन्होंने कहा कि अगर आप नौकरियों की तलाश में विदेश जाने वाले युवाओं की संख्या, विभिन्न दूतावासों के साथ आवेदन दाखिल करने और आईईएलटीएस की तैयारी के लिए देखें तो बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा है. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि युवा पीढ़ी निराश है. एक अन्य प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ एसएस जोहल ने कहा, “राज्य में मजदूरों को रोजगार तो मिल रहा है, लेकिन पढ़े-लिखे लोगों को कोई रास्ता नहीं मिल रहा है. मजदूरों को तो काम मिलता है, लेकिन MBA और MCA करने वालों को कितनी नौकरियां मिलती हैं? इन तथ्यों का अध्ययन करना भी बेहद जरूरी है.”