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सामाजिक सुरक्षा को गहलोत बनाएंगे चुनावी दांव! कैबिनेट से पास राइट टू सोशल सिक्योरिटी एक्ट प्रस्ताव

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  ने विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर सामाजिक सुरक्षा के मोर्चे पर हवा देना शुरू कर दी है जहां गहलोत ने चिंतन शिविर के आखिरी दिन केंद्र सरकार से पूरे देश में सामाजिक सुरक्षा कानून लागू करने की अपील करते हुए कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा जाएगा. वहीं चिंतन शिविर में मंगलवार को गहलोत कैबिनेट ने केंद्र सरकार से इस मांग पर एक प्रस्ताव भी पारित किया है. वहीं इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि कानून व्यवस्था में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है और राज्य के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. सीएम ने जानकारी दी कि राज्य सरकार की ओर से करीब एक करोड़ लोगों को फिलहाल पेंशन दी जा रही है और हमने पिछले साल ओपीएस लागू करने का भी फैसला किया. गहलोत ने इस दौरान कहा कि जिस तरह केंद्र की तत्कालीन सरकारों ने पूरे देश में शिक्षा, सूचना एवं खाद्य का अधिकार लागू कर सभी को सामाजिक एवं आर्थिक संबल दिया था उसी तरह से देश में केंद्र सरकार को ‘राइट टू सोशल सिक्योरिटी’ एक्ट लागू करना चाहिए.

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गहलोत कैबिनेट ने किया प्रस्ताव पारित

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दरअसल चिंतन शिविर के आखिरी दिन गहलोत ने मंत्रीपरिषद सदस्यों के सामने एकमत से प्रस्ताव रखा है जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा. गहलोत ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा देश में मुद्दा बनना चाहिए और इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए. गहलोत ने आगे बताया कि संसद में सामाजिक सुरक्षा कानून बनना चाहिए तभी देश के लोगों का भला होगा. वहीं गहलोत ने केंद्र सरकार से ओपीएस को पूरे देश में बहाल करने की मांग की. उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने ओपीएस बहाल करके कर्मचारियों के हित में अहम फैसला किया है और पंजाब, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्य इसे बहाल कर चुके हैं.

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राजस्थान में लागू है अनिवार्य FIR पॉलिसी : गहलोत

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वहीं इस दौरान गहलोत ने आगे बताया कि राज्य में अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण नीति लागू है जिससे मामलों की संख्या में जरूर बढ़ोतरी हुई है. वहीं सीएम ने कहा कि अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में पीड़ितों को तुरंत न्याय मिल रहा है. सीएम ने कहा कि पहले पीड़ित परिवार कई कारणों से पुलिस थानों तक नहीं पहुंचते थे लेकिन अब वे मामले दर्ज करा रहे हैं और अपराधियों को लगातार सजा दी जा रही है. गहलोत ने बताया कि राजस्थान में एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण की नीति के बावजूद 2021 में 2019 की तुलना में करीब 5 फीसदी अपराध कम दर्ज हुए हैं जबकि मध्यप्रदेश, हरियाणा, गुजरात एवं उत्तराखंड समेत 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अधिक मामले अधिक दर्ज हुए हैं

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