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राजस्थान यूनिवर्सिटी में भू समाधि के बाद अब जल सत्याग्रह, 15 मांगों को लेकर कुंड में बैठ गए छात्र

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राजस्थान विश्वविद्यालय में इन दिनों विभिन्न मांगों को लेकर आए दिन छात्रों का विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है जहां बीते दिनों एक छात्रनेता के द्वारा नई लाइब्रेरी के खोलने की मांग पर भू-समाधि ली गई थी वहीं अब बीते मंगलवार को पिछले 14 दिनों से अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे 2 छात्रनेता जल सत्याग्रह पर बैठ गए. मिली जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय कैंपस में छात्रनेताओं ने स्वामी विवेकानंद गार्डन में स्थित जल कुण्ड में जल समाधि ली और क़रीब तीन घंटे कुंड में रहे. वहीं इधर विश्वविद्यालय प्रशासन की समझाइश और शीघ्र मांगें पूरी करने का आश्वासन मिलने के बाद दो छात्रनेता कुंड से बाहर निकले. हालांकि छात्रनेताओं अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के बाहर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन चल रहा है. बता दें कि मंगलवार को जल सत्याग्रह पर बैठे छात्र नेताओं का कहना है कि वह पिछले काफी समय से शांतिप्रिय तरीके से आंदोलन कर रहे थे लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से गांधीवादी तरीके से हमारी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हुई. मालूम हो कि बीते शनिवार को विश्वविद्यालय में नई लाइब्रेरी के उद्घाटन के बाद भी नहीं खोले जाने से नाराज छात्रनेता हरफूल चौधरी ने भू समाधि लेकर प्रशाशन का ध्यान आकर्षित किया था. इधर लाइब्रेरी को लेकर भी कैंपस में काफी समय से छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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14 दिन से धरने पर बैठे छात्रनेता

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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के छात्र नेता विनोद भूदोली ने बताया कि वह यूनिवर्सिटी के गेट पर पिछले 14 दिन से धरना दे रहे हैं लेकिन कुलपति से लेकर यूनिवर्सिटी की किसी भी अधिकारी या प्रोफेसर ने उनसे बात नहीं की. भूदोली ने कहा कि मंगलवार को हमें मजबूरी में ठंडे पानी में घंटों बैठकर जल सत्याग्रह करना पड़ा ताकि छात्रों की मूल समस्याओं पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित हो. इसके अलावा सत्याग्रह पर बैठे दूसरे छात्र हिंदवी स्वराज्य छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रिंकू मीणा का कहना है कि राजस्थान यूनिवर्सिटी में हालत बद से बदतर हो गए हैं और हॉस्टलों में खाने की क्वालिटी पूरी तरह बिगड़ चुकी है, वहीं जर्जर इमारतों में रहना मुश्किल हो रहा है. इसलिए अगर हमारी 15 सूत्री मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया गया तो हम जल समाधि में अपनी जान दे देंगे. वहीं मीणा और भूदोली दोनों का ही कहना है कि यूनिवर्सिटी में एबीवीपी और एनएसयूआई से आम छात्र परेशान हो गए हैं और दोनों ही संगठनों के छात्र नेता चुनावों के समय दिखाई देते हैं और उसके बाद गायब हो जाते हैं. दरअसल छात्र नेता विनोद भूदोली अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर कई बार ज्ञापन दे चुके हैं और इससे पहले उन्होंने 140 किलोमीटर की पदयात्रा की थी.

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किन मांगों पर अड़े हैं प्रदर्शनकारी छात्रनेता

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जल सत्याग्रह पर बैठने वाले छात्र नेताओं की मांगें कुछ इस प्रकार है जिस पर उनका कहना है कि यह लिखित में प्रशासन को दी जा चुकी है लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हुई है.

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– राजस्थान विश्वविद्यालय गर्ल्स हॉस्टल और महारानी महाविद्यालय के प्रवेश द्वार पर छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विशेष महिला पुलिस चौकी स्थापित की जाए.

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– छात्राओं के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय में सेनेटरी नैपकिन की अच्छी गुणवत्ता की मशीनें लगाकर वितरण केंद्र खोला जाए और महारानी महाविद्यालय में खराब पड़ी सेनेटरी नैपकिन मशीनों को फिर से चालू करवाया जाए.

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– राजस्थान विश्वविद्यालय में नियमित प्रवेश लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं को एमबीबीएस, एमएनआईटी की तर्ज पर छात्रावास सुविधा दी जाए.

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– विश्वविद्यालय, विधि महाविद्यालय में एलएमएम में प्रवेश लेने के लिए ओबीसी ओर इडब्लूएस के न्यूनतम अंक 55% से घटाकर 50% किए जाए.

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– राजस्थान विश्वविद्यालय और संघटक कॉलेजों के छात्रावासों में भोजन की गुणवत्ता, पेयजल की सुविधा के लिए गुणवत्ता मानक निर्धारित कर नियामक संस्था का गठन किया जाए.

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– राजस्थान विश्वविद्यालय के विभागों और संघटक महाविद्यालयों की बेशकीमती बहुमंजिला भवनों की मरम्मत करवाई जाएं.

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– यूनिवर्सिटी के कैंपस में इंदिरा रसोई शुरू की जाए.

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– शारीरिक शिक्षा विभागों को सुचारू रूप से चालू किया जाए और आधुनिक मशीन युक्त जिम की व्यवस्था की जाए.

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– विश्वविद्यालय, संघटक महाविद्यालयों और सभी छात्रावासों में वाई-फाई सुविधा उपलब्ध करवाई जाए.

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– राजस्थान प्रदेश में छात्र-छात्राओं के लिए किराया छूट के लिए विशेष नियम बनाया जाए.

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– राजस्थान विश्वविद्यालय में आने-जाने के लिए ई-रिक्शा चलाया जाए.

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– प्रदेशभर के करीब 50 छात्रसंघ अध्यक्ष परीक्षा परिणाम में फेल हो गए हैं उनके राजनीतिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए नियमों में शिथिलता दी जाए

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.– राजस्थान विश्वविद्यालय में संविदा कर्मचारियों को सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाए और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का लाभ दिया जाए.

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