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मुल्क छोड़ने के बाद भी कम नहीं हुई प्रताड़ना, पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दुओं के दर्द का अंतहीन दास्तां

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जोधपुर: जब अपने मुल्क में सबकुछ लुट गया, नौबत बेटियों की इज्जत की आयी तो पाकिस्तान में रह रहे बड़ी संख्या हिन्दुओं को भारत की याद आई. वह धार्मिक वीजा लेकर यहां आए और जोधपुर में सरकारी जमीनों पर छोटा मोटा आशियाना बनाकर रहने लगे. लेकिन अब जोधपुर विकास प्राधिकरण ने अतिक्रमण बता कर यह आशियाना भी तोड़ दिया है. अब पीड़ितों को समझ में नहीं आ रहा कि जब उन्हें भारत में भी शरण नहीं मिलेगी तो वह कहां जाएंगे. वह भी इंसान हैं, लेकिन इंसानियत के नाते कौन उनका दर्द समझेगा.जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान में प्रताड़ित और वहां से विस्थापित हिन्दुओं की. बाप दादा के जमाने से पाकिस्तान में रह रहे इन हिन्दू परिवारों का अब गुजर बसर मुश्किल हो रहा है. बड़ी संख्या में ये परिवार सूर्य नगरी जोधपुर में आकर रह रहे हैं.

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कहते हैं कि जब सबकुछ लुट रहा था वह बड़ी मुश्किल से थोड़े बहुत सामान समेट कर यहां आए थे. उन्हीं सामानों को बेच कर एक छोटा सा घरोंदा बनाया और रोजी रोटी का जुगाड़ कर जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन अब जोधपुर विकास प्राधिकरण ने उनके घरों को गिरा दिया है. प्राधिकरण का आरोप है कि उन लोगों ने अतिक्रमण किया है.लेकिन बड़ा सवाल है कि निजी जमीन पर कोई रहने नहीं देगा और सरकारी जमीन पर रहने पर अतिक्रमण मान लिया जाएगा. ऐसे में वह कहां जाएं. उनकी इतनी औकात नहीं कि वह कहीं जमीन या मकान खरीद सकें. पीड़ितों ने बताया कि वह पहले अपने मुल्क में सताए गए.

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उम्मीद थी कि भारत उनके दुखों पर मरहम जरूर लगाएगा, लेकिन यहां भी उनकी प्रताड़ना कम नहीं हुई. उनका आरोप है कि जहां उनका झोपड़ा था, वहीं पर हजारों बीघा सरकारी जमीन पर लोगों ने कब्जा कर घर बनाया है. प्राधिकरण वहां तो कार्रवाई कर नहीं रहा, लेकिन उनके घरौंदों को अतिक्रमण बता कर गिरा दिया गया.हालात यहां तक आ गए हैं कि अब ये पाकिस्तानी हिन्दू खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. साड़ी कपड़ों से बनी रेवटी के नीचे उनके बच्चे मई की चिलचिलाती गर्मी में दिन काट रहे हैं. पाकिस्तान से आए हिन्दू परिवारों में से एक जुमो का परिवार भी है. जुमो अपनी पत्नी, चार बेटियों और एक बेटे को लेकर 4 महीने पहले भारत आया था. उसे पाकिस्तान में अपने परिवार की इज्जत आबरू का खतरा था. भारत में बच्चों का भविष्य उज्जवल देख यहां आ गया. यहां एक व्यक्ति ने 70 हजार रुपए लेकर इस भूखंड पर कब्जा करा दिया. इसके बाद उसने अपने साथ लाए गहने बेच कर एक छोटा सा घर बनाया, लेकिन प्राधिकरण ने उसे भी गिरा दिया है. उधर, एक अन्य पीड़ित मारु राम ने बताया कि उनको स्थानीय सरपंच ने यहां रहने की अनुमति दी थी. अन्य पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने अपनी जमा पूंजी देकर यह भूखंड खरीदा था, लेकिन अब सरकार कह रही है कि यह जमीन सरकारी है.

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