REPORT TIMES
बिहार की राजधानी पटना में 12 जून को विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होगी, लेकिन इस बैठक के फीकी रहने के आसार हैं. भव्य और बड़े पैमाने पर प्रचारित इस बैठक में राहुल गांधी समेत कई दलों के नेताओं ने शामिल होने में असमर्थता जताई है. हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि इस बैठक में कांग्रेस जरूर शामिल होगी, लेकिन कौन नेता जायेगा ये अभी तय नहींदरअसल लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की जोड़ी ने 12 जून को पटना में विपक्षी दलों के प्रमुखों की बड़ी बैठक का आयोजन किया है. अभी तक ऐसी बैठकों से दूर रहे अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने इसमें शामिल होने का ऐलान भी कर दिया है. उधर संजय राउत ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार के जाने के भी संकेत दे दिए. माना जाने लगा है कि 12 जून की ये बैठक 2024 के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगी.
स्टालिन-येचुरी की ना!
लेकिन इसी बीच विपक्षी एकता के दरकने के भी संकेत मिलने शुरु हो गए. सबसे पहले डीएमके प्रमुख स्टालिन ने 12 जून की व्यस्तता के हवाला देते हुए बैठक को आगे बढाने का आग्रह किया. कांग्रेस और ममता की मौजूदगी ने सीपीएम नेता सीताराम येचुरी को असहज कर दिया. सूत्रों के मुताबिक, येचुरी ने भी 12 जून को पहले से अपनी व्यस्तता का हवाला दे दिया है, लेकिन नीतीश और लालू ने कहा कि बैठक की तैयारियां पूरी हैं. इसे अब टालना सम्भव नहीं है. ऐसे में अब स्टालिन, कांग्रेस और येचुरी में अपने प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया है. दरअसल ममता और अखिलेश के साथ कांग्रेस का पेंच फंसा है, तो वहीं सीपीएम और ममता का आंकड़ा भी अभी तक उलझा है. ऐसे में हम साथ-साथ हैं का नारा, जैसे प्रचारित किया गया, कम से कम वैसे तो 12 जून को तो पटना की धरती पर उतरता नहीं दिख रहा.
विपक्षी एकता को बनाये रखना चाहती है कांग्रेस
सूत्रों के मुताबिक, वैसे भी कांग्रेस नवम्बर और दिसम्बर तक विपक्षी एकता को बनाये रखना चाहती है. इसको लेकर पार्टी कोई अंतिम फैसला नहीं लेना चाहती. कांग्रेस तब तक कई राज्यों में जीतकर अपनी बारगेनिंग पावर बढ़ाना चाहती है. साथ ही उसको लगता है कि तब तक बाकी सहयोगियों पर जांच एजेंसियों का भी दबाव खत्म हो जाएगा.