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किस देश ने भारत के बाद चांद पर भेजा अपना मिशन? जानें चंद्रयान-3 से पहले कैसे पहुंचेगा लूना-25

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भारत का चंद्रयान-3 अभी मंजिल के करीब पहुंचा ही है कि रूस ने पूरे 47 साल बाद बीते 10 अगस्त को एक मिशन चांद पर भेजा है. इसका नाम है लूना-25. इसके पहले लूना-24 साल 1976 में चांद की यात्रा कर सकुशल वापस आ गया था. भारत का चंद्रयान -3 इन दिनों चर्चा में हैं. ऐसे में इससे जुड़े सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं. आइए इससे जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के जवाब यहां जानते हैं. लूना-25 की लांचिंग दो साल पहले होनी थी, लेकिन यूक्रेन से युद्ध के करण इसमें बाधा आ गई. असल में यूरोपियन स्पेस एजेंसी लूना 25 के साथ पायलट-डी नेविगेशन कैमरे का टेस्ट करना चाहती थी. यूक्रेन युद्ध की वजह से उसने रूस से नाता तोड़ लिया. लिहाजा रूस ने अब इसे लांच किया. लूना-25 भारत के चंद्रयान-3 के बाद लांच हुआ है, लेकिन सब कुछ ठीक रहा तो यह चांद पर पहले पहुंचेगा. इसे बेहद ताकतवर सोयूज 2.1 बी रॉकेट की मदद से लांच किया गया है. तय प्रोग्राम के मुताबिक यह 15 अगस्त तक चांद की आर्बिट में प्रवेश करेगा और करीब 10 दिन तक वहीं परिक्रमा करेगा. इसे 21 या 22 अगस्त 2023 तक चांद की सतह पर उतरने की संभावना है.

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कब चांद की सतह पर पहुंचेगा चंद्रयान- 3

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भारतीय चंद्रयान- 3, 14 जुलाई को रवाना हुआ. पांच अगस्त को सफलतम तरीके से चांद के आर्बिट में प्रवेश कर गया. इसके 23 अगस्त को चांद के सतह पर उतरने की संभावना है. दोनों मिशन में कोई टकराव नहीं है, क्योंकि दोनों का एरिया अलग-अलग है. रूसी स्पेस एजेंसी ने भी स्पष्ट किया है कि दोनों मिशन एक-दूसरे के रास्ते में नहीं आएंगे.

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चंद्रयान-3 से पहले कैसे पहुंच रहा लूना -23

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बाद में लांच होकर लूना-25, चंद्रयान-3 से पहले कैसे पहुंच रहा है? असल में रूस ने जिस रॉकेट का इस्तेमाल किया है. वह ज्यादा ताकतवर और खर्चीला है. चंद्रयान-3 की लांचिंग एलवीएम-3 से हुई है. उसके बाद यह पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण की मदद से आगे बढ़ा है. तकनीकी तौर पर रूस का पहला चंद्र मिशन है लूना-25

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किसने की थी लूना-24 की लाॅचिंग?

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लूना-24 की लांचिंग सोवियत संघ ने की थी. इस तरह यह रूस का पहला मिशन कहा जा सकता है. इसमें भी चंद्रयान-3 की तरह लैंडर है. इसका वजन आठ सौ किलोग्राम है. इसका लक्ष्य चांद पर मिट्टी के नमूने लेना और उसका विश्लेषण करना है. यह लंबे समय तक अपना शोध करने वाला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस के स्पेस साइंटिस्ट व्लादिमीर सर्डिन ने लूना-25 की कामयाबी की संभावना 50 फीसदी तक जताई है. अब तक चांद पर तीन देश ही कामयाब रहे हैं. इनमें सोवियत संघ, अमेरिका और चीन शामिल हैं. मौजूदा दोनों अभियान चंद्रयान-3 और लूना-25 की कामयाबी के बाद इसमें भारत और सीधे तौर पर रूस का नाम जुड़ जाएगा.

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