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भरतपुर राजस्थान का पूर्वी द्वार, क्या BJP इस बार कर सकेगी वापसी?

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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. राजस्थान में यूं तो कई विधानसभा सीटें लगातार चर्चा में रहती हैं लेकिन भरतपुर सीट भी एक चर्चित और हाई प्रोफाइल सीट है क्योंकि इसे राजस्थान का पूर्वी द्वार कहा जाता है और यहीं से हर बार अलग-अलग पार्टियों द्वारा चुनावी बिगुल भी बजाया जाता है. भरतपुर सीट से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी के डॉक्टर सुभाष गर्ग विधायक हैं और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. भरतपुर विधानसभा सीट राजस्थान के भरतपुर लोकसभा सीट के तहत आती है और यह राज्य के 200 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से एक है. अशोक गहलोत सरकार में तकनीकी शिक्षा और आयुर्वेद राज्यमंत्री डॉक्टर सुभाष गर्ग की वजह से यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई है. डॉक्टर गर्ग राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं. राजस्थान में राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस के बीच गठबंधन है. डॉक्टर गर्ग को गहलोत का बेहद करीबी भी माना जाता है.

कितने वोटर, कितनी आबादी

साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर 19 उम्मीदवारों ने चुनावी मैदान में ताल ठोंकी थी, लेकिन मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच रहा. डॉक्टर गर्ग को 52,869 वोट मिले जबकि बीजेपी के विजय बंसल के खाते में 37,159 वोट गए तो वहीं भारत वाहिनी पार्टी के गिरधर तिवारी को 35,407 वोट मिले. मैदान में उतरे 19 में से 12 उम्मीदवारों को एक हजार से भी कम वोट मिले. डॉक्टर गर्ग ने शिक्षक राजनीति से शुरुआत करते हुए 2018 में पहली बार भरतपुर से विधानसभा से चुनाव लड़ा. उन्होंने यह चुनाव कांग्रेस के साथ गठबंधन कर आरएलडी पार्टी के टिकट पर लड़ा और करीब 15 हजार से अधिक मतों से जीतकर विधानसभा के सदस्य बने. फिर मंत्री हुए.

कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

भरतपुर विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर 2018 से पहले विजय बंसल लगातार 3 बार विधायक रहे थे. पहली बार वह राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर विजयी हुए. फिर अगले 2 चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की. लेकिन 2018 के चुनाव में उन्हें हार मिली. भरतपुर विधानसभा सीट में करीब 2 लाख 60 हजार से अधिक मतदाता हैं. भरतपुर सीट से सबसे पहले 1951 में हरिदत्त कृषि कर लोक पार्टी से विधायक बने थे. फिर 1957 में होती लाल विधायक बने. 1962 के चुनाव में नत्थी सिंह तो 1967 में एन सिंह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से, 1972 में बिजेंद्र सिंह भारतीय जनसंघ पार्टी, 1977 में सुरेश कुमार (जनता पार्टी), 1980 में राजबहादुर और 1985 में गिर्राज प्रसाद तिवारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते.

आर्थिक-सामाजिक ताना बाना

1990 में रामकिशन जनता दल, 1993 में आरपी शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1998 आरपी शर्मा, 2003 में विजय बंसल राष्ट्रीय लोक दल, 2008 में विजय बंसल भारतीय जनता पार्टी, 2013 में विजय बंसल भारतीय जनता पार्टी, और 2018 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर राष्ट्रीय लोक दल के विधायक डॉक्टर सुभाष गर्ग बने.भरतपुर विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा मतदाताओं की संख्या जाट समाज की है. यहां पर करीब 58 हजार से अधिक जाट मतदाता हैं और करीब 54 हजार अनुसूचित मतदाता हैं. 28 हजार के करीब वैश्य मतदाता और 40 हजार के करीब ब्राह्मण मतदाता हैं. इस सीट से ब्राह्मण जाति से 6 बार विधायक बना है और 4 बार वैश्य समाज से विधायक बना है. इस विधानसभा क्षेत्र में एक लाख के करीब अन्य मतदाता है. इस सीट से विधायक बनाने में सबसे ज्यादा भूमिका ब्राह्मण और जाट समाज की रहती है.

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