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झीलों के शहर उदयपुर में BJP का कब्जा, क्या कांग्रेस का खत्म होगा इंतजार

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देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर झीलों का शहर उदयपुर जिसे देखने हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट यहां आते हैं. प्रदेश की सियासत में उदयपुर शहर विधानसभा सीट अपना खासा दबदबा रखती है. यहां से मोहनलाल सुखाड़िया, भानू कुमार शास्त्री, डॉ. गिरिजा व्यास और गुलाबचंद कटारिया सहित कई दिग्गजों ने चुनाव लड़कर केंद्र और राजस्थान की सियासत में अपनी खासी जगह बनाई है. पिछले 4 विधानसभा चुनावों में यहां से बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया लगातार चुनाव लड़कर कभी गृह मंत्री, तो कभी विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर काबिज रहे हैं. चुनाव से कुछ महीने पहले फरवरी में कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद अब यह सीट खाली है.

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कितने वोटर, कितनी आबादी

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2018 के चुनाव में उदयपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के गुलाबचंद कटारिया ने जीत हासिल की थी. उदयपुर सीट पर 11 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था, जिसमें कटारिया ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार गिरिजा व्यास को 9,307 मतों के अंतर से हराया था. यहां पर चुनौती देने की कोशिश में जुटी आम आदमी पार्टी के भरत कुमावत को महज 531 वोट मिले थे.

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5 साल पहले के चुनाव के आधार पर उदयपुर सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 2,35,592 थी, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,19,478 थी तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1,16,113 थी. इसमें से 1,56,620 (67.4%) लोगों ने वोट किया था. 2,051 (0.9%) तो नोटा के पक्ष में पड़े थे.

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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

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उदयपुर सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यह सीट कई दिग्गज नेताओं के लिए मशहूर रही है. 1990 के दशक के बाद चुनावी परिणाम देखें तो तब बीजेपी के शिव किशोर सनाढ्य यहां से जीते और 1993 में भी जीत उनके पास ही रही थी. 1998 में इस सीट पर कांग्रेस के त्रिलोक पूर्बिया जीत हासिल की. इसके 5 साल बाद 2003 में बीजेपी के दिग्गज नेता गुलाबचंद कटारिया उदयपुर लौटे और चुनाव लड़कर जीते. वहां यहां से लगातार 4 बार चुनाव जीत चुके हैं. 2003 के बाद 2008, 2013 और 2018 में भी कटारिया यहां से विजयी हुए थे. उदयपुर से विधायक रहते हुए वे 2 बार प्रदेश के गृह मंत्री और 2 बार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. साल 2018 में कटारिया ने कांग्रेस की डॉ. गिरिजा व्यास को 9200 वोटों से मात देकर जीत दर्ज की थी.उदयपुर शहर विधानसभा संघ की मजबूत सीट मानी जाती रही है. जीत के फैक्टर में यहां जैन-ब्राह्मण की सर्वाधिक मतदाताओं का होना है. सबसे ज्यादा मतदाता जैन समाज के हैं, इसके बाद दूसरे नंबर पर ब्राह्मण समाज के वोटर्स किसी प्रत्याशी की जीत में अहम माने जाते हैं. इसके अलावा ओबीसी वोटर्स भी अच्छी निर्णायक संख्या में हैं. कटारिया की जीत के पीछे जैन-ब्राह्मण के साथ मुस्लिम वोटबैंक का साथ होना भी माना जाता रहा है. उदयपुर सीट पर 2018 में वोटर्स की कुल संख्या 2,41,588 है. यहां करीब 40-45 हजार जैन मतदाता हैं. करीब 40 से 45 हजार ब्राह्मण और करीब 25 हजार मुस्लिम वोटर्स है. अब तक यहां ब्राह्मण-जैन प्रत्याशी का एकाधिकार रहा है. अब तक यहां 8 बार ब्राह्मण विधायक रहे हैं. 6 बार जैन और एक बार ओबीसी प्रत्याशी को विधायक बनने का मौका मिला है.

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आर्थिक-सामाजिक ताना बाना

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उदयपुर की अपनी एक अलग पहचान है. देश के खूबसूरत शहरों में से एक झीलों की नगरी उदयपुर में हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं. प्रमुख रूप से इन पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं जिनमें सिटी पैलेस, सहेलियों की बाड़ी, फतेहसागर झील, पिछोला झील, शिल्पग्राम, गुलाब बाग और दूध तलाई के साथ अन्य पर्यटन स्थल भी शामिल है.उदयपुर में कई धार्मिक स्थल भी हैं, जिसमें भगवान एकलिंग नाथ जी का मंदिर है. भगवान महाकालेश्वर का मंदिर, भगवान जगदीश का मंदिर, श्री बोहरा गणेश जी का मंदिर, श्रीनाथ जी का मंदिर, नीमच माता और करणी माता का मंदिर जहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.

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