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महिला आरक्षण बिल अब कानून बना, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन अधिनियम को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ अब यह कानून बन गया है. हाल ही में खत्म हुए संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार की ओर से इस बिल को संसद की पटल पर रखा गया था. बिल पर चर्चा के बाद दोनों सदनों की मंजूरी भी मिल गई थी जिसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था. बिल में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है. संसद से पास महिला आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजे जाने से पहले गुरुवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिल पर दस्तखत किए थे. लोकसभा की ही तरह राज्यसभा में इस संविधान संशोधन विधेयक को विशेष सत्र के दौरान करीब-करीब आम सहमति पारित किया गया था. पहले भी इस बिल को कई बार संसद में पेश किया गया था, लेकिन तब राजनीतिक दलों की आम सहमति नहीं बन पाई थी. महिला आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी जरूर मिल चुकी है लेकिन इस कानून के प्रभाव में आने में अभी समय लगेगा क्योंकि अगली जनगणना के बाद लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन होगा उसके बाद ही आरक्षण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. कयास लगाया जा रहा है कि 2029 में यह कानून लागू हो सकता है.

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कांग्रेस ने बिल को बताया जुमला

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महिला आरक्षण का जिक्र कर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को कहा कि यह क जुमला है क्योंकि बीजेपी सोचती है कि लोग वोट देंगे और कुछ समय बाद वादों को भूल जाएंगे. इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी दावा किया कि यह विधेयक साल 2034 तक लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह कोई नया नहीं है क्योंकि राजीव गांधी 73वां और 74वां संशोधन लेकर आए थे और पंचायत निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया था.

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खरगे का दावा बीजेपी ने किया था विरोध

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कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि जब राजीव गांधी 33 फीसदी आरक्षण लेकर आए थे तब बीजेपी ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा कि एक सदन में तो बिधेयक के पक्ष में बहुमत था लेकिन दूसरे सदन में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसका विरोध किया था जिसके बाद बिल गिर गया था. बता दें कि जिस समय इस बिल को लोकसभा और फिर राज्यसभा में पेश किया गया उसी समय से कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां खुद को इसका श्रेय देने में भी पीछे नहीं रही है. एनसीपी समेत अलग-अलग पार्टी के नेता राज्यों में अपनी सरकार का हवाला देते हुए महिला आरक्षण का श्रेय लेते हुए नजर आए हैं.

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