राजस्थान की चौरासी विधानसभा सीट का मुख्यालय सीमलवाडा क़स्बा है. डूंगरपुर जिले की सीमलवाडा, झोंतरी और चिखली पंचायत समिति चोरासी विधानसभा क्षेत्र में आती है. यह विधानसभा क्षेत्र गुजरात राज्य के अरवल्ली जिले की सीमा से लगता हुआ है. सीमा पार गुजरात में चिकित्सा सुविधाएं यहां से बेहतर है इसलिए इलाज के लिए ज्यादातर लोग गुजरात जाते हैं. व्यापार और रोजगार के लिए भी गुजरात पलायन आम बात है. चौरासी विधानसभा क्षेत्र के सीमावर्ती इलाके में बड़े पैमाने पर आदिवासी खेती बाड़ी का काम करते हैं. विधानसभा क्षेत्र में कोई बड़ी औद्योगिक इकाई नहीं है.
यहां का जातिगत समीकरण
चौरासी विधानसभा में करीब सवा 2 लाख मतदाता हैं, जिसमें से करीब 65 प्रतिशत आदिवासी, 15 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के लोग है, जबकि 20 प्रतिशत में अल्पसंख्यक, सामान्य और एससी वर्ग के लोग हैं.
सीट के प्रमुख मुद्दे
- वसुंधरा सरकार में तत्कालीन राज्यमंत्री सुशील कटारा के कार्यकाल में 100 करोड़ का हाई लेवल ब्रिज स्वीकृत हुआ, जिसका कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है. यह पुल डूंगरपुर के चिखली को बांसवाडा के अनाद्पुरी से जोड़ेगा, जिससे स्थानीय लोगों को बड़ा लाभ मिलेगा.
- चौरासी विधानसभा के मुख्यालय सीमलवाडा कस्बे से स्टेट हाइवे गुजरता है. भारी वाहनों की वजह से अक्सर कस्बे में जाम लग जाता है. क्षेत्र के लोग लम्बे समय से बायपास रोड की मांग कर रहे हैं लेकिन इस पर सरकारें ध्यान नहीं दे रही हैं.
- क्षेत्र में एक भी बड़ी ओधोगिक इकाई नहीं है. छोटे-छोटे कामों के लिए लोग पड़ोसी गुजरात राज्य के मोडासा शहर जाते हैं.
यहां का राजनीतिक इतिहास
- 1967 रतनलाल – कांग्रेस
- 1972 – रमेश चन्द्र – कांग्रेस
- 1977 – हीरालाल – JNP
- 1980 – गोविन्द आमलिया – कांग्रेस
- 1985 – शंकरलाल अहारी – कांग्रेस
- 1990 – जीवराम कटारा – भाजपा
- 1993 – शंकरलाल अहारी – कांग्रेस
- 1998 – शंकरलाल अहारी – कांग्रेस
- 2003 – सुशील कटारा – बीजेपी
- 2008 – शंकरलाल अहारी – कांग्रेस
- 2013 – सुशील कटारा – बीजेपी
- 2018 – राजकुमार रोत – बीटीपी
मौजूदा विधायक की उपलब्धियां और कमियां
- कडाना बेक वाटर से गेंजी घाटा तक 886 करोड़ की पेयजल योजना स्वीकृत कराना
- क्षेत्र की तीनों पंचायत समितियों कॉलेज शुरू कराए
- क्षेत्र में 60 डामर सड़कें और सिंचाई के लिए 45 करोड़ के एनिकटों का निर्माण
- आदिवासी संत गोविन्द गुरु का पेनारोमा निर्माण कार्य स्वीकृत कराया
- महाराष्ट्र पैटर्न पर आदिवासियों के उत्थान के लिए 1000 करोड़ रुपये के अलग से बजट का प्रावधान कराया.
- विधायक राजकुमार का कहना है, प्रदेश में उनके प्रयासों से विश्व आदिवासी दिवस का राजकीय अवकाश घोषित हुआ.
कमियां
- आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग को छोड़कर अन्य वर्ग की जनता पर कम ध्यान देना
- शिक्षक भर्ती मामले में हुए कांकरी डूंगरी उपद्रव को लेकर विवादों में रहे
विधायक निधि का खर्च
31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष तक 4 साल के कार्यकाल में विधायक राजकुमार रोत को विधायक फंड के रूप में 12 करोड़ रुपये मिले. इसमें विभिन्न विकास कार्यों पर करीब साढ़े 7 करोड़ रुपये खर्च किये गए. जबकि लम्बे समय से अधूरे पड़े कार्यों के चलते साढ़े 5 करोड़ रुपये अभी तक खर्च नहीं हो पाए है. विधायक रामप्रसाद डिन्डोर ने 4 सालों में विधायक मद से पंचायतीराज विभाग के लिए 4 करोड़ 62 लाख, शिक्षा विभाग के लिए एक करोड़ 78 लाख और चिकित्सा विभाग के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपये के विकास कार्यों की अनुशंसा की है. जबकि सार्वजनिक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, खेल विभाग, पुलिस विभाग तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में विकास कार्यों के लिए राजकुमार रोत ने जीरो बजट दिया है.
अधूरे वादे
- कडाना से गेंजी घाटा तक सिंचाई परियोजना शुरू नहीं करवा पाए.
- सीएचसी सीमलवाडा को उपजिला अस्पताल क्रमोन्नत नहीं करवा पाए.
- आदिवासी संत सुरमाल दास भक्ति केंद्र नहीं बनवा पाए.
- सीमलवाडा कस्बे का बाय पास रोड स्वीकृत नहीं हो पाया.
सीट के रोचक तथ्य
- कांग्रेस ने शंकरलाल अहारी को 6 बार टिकिट दिया, जिसमें 4 बार शंकरलाल जीते पर कभी मंत्री नहीं बन पाए.
- इधर भाजपा से पिता जीवराम कटारा भेरोसिंह शेखावत सरकार और उनके पुत्र सुशील कटारा वसुंधरा सरकार में चौरासी सीट से जीतकर मंत्री रहे है.
- गुजरात की सीमा से सटे होने के कारण इस विधानसभा के लोगों में गुजराती संस्कृति की झलक देखने को मिलती है.
- गुजरात नजदीक होने के कारण चौरासी विधानसभा के लोग व्यापार, चिकित्सा, रोजगार के लिए गुजरात पर अधिक निर्भर है.
सीट के बड़े तथ्य
- चौरासी प्रदेश की एकमात्र ऐसी विधानसभा सीट है, जिसके नाम का क्षेत्र में कोई गांव या क़स्बा नहीं. सीमलवाडा क़स्बा इस विधानसभा का मुख्यालय लगता है.
- शिक्षा के लिए बलिदान देने वाली आदिवासी बालिका काली बाई तथा उनके शिक्षक नाना भाई इस विधानसभा के रास्ता पाल गांव के थे.
- पहली बार चुनावी मैदान में उतरी भारतीय ट्राइबल पार्टी का विधायक जितने से यह विधानसभा हमेशा सुर्खियों में रही.
- सीमलवाड़ा पंचायत समिति के प्रधान पद के चुनाव में बीटीपी प्रत्याशी को हराने के लिए आश्चर्यजनक रूप से बीजेपी और कांग्रेस का गठबंधन हुआ जो चर्चा का विषय रहा.
वर्तमान विधायक का राजनीतिक सफर
छात्र राजनीती में कांग्रेस के अग्रिम संगठन एनएसयुआई से जिले के सबसे बड़े एसबीपी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे. बाद में कांग्रेस छोड़कर आदिवासी परिवार से जुड़े. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी परिवार के सहयोग से भारतीय ट्राइबल पार्टी के बैनर तले पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा से तत्कालीन राज्यमंत्री सुशील कटारा को हराकर विधायक बने. अल्प मत में रही गहलोत सरकार को समर्थन देकर चर्चा में आये. सितम्बर 2020 में शिक्षक भर्ती को लेकर हुई काकरी डूंगरी हिंसा के दौरान भी चर्चा में रहे. वर्तमान में पार्टी आलाकमान से मतभेद के चलते बीटीपी से अलग हो गए है और फिर से आदिवासी परिवार के साथ राजनीती कर रहे हैं. विधायक राजकुमार ने भारतीय आदिवासी पार्टी BAP के नाम से नई पार्टी बनाने के लिए आवेदन भी कर रखा है.