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करौली सीट पर कांग्रेस-BJP को नहीं मिली जीत, BSP ने मारी थी बाजी

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राजस्थान के करौली जिले में भी राजनीतिक हलचल बनी हुई है. जिले के तहत 4 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 3 सीटें आरक्षित हैं. जिले की सभी चारों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. करौली सीट पर बहुजन समाज पार्टी को 2018 के चुनाव में जीत हासिल हुई थी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए. भारतीय जनता पार्टी तीसरे स्थान पर थी.

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कितने वोटर, कितनी आबादी

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2018 के चुनाव की बात करें तो करौली सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय रहा था और इसमें भारतीय जनता पार्टी को जोर का झटका लगा था. बहुजन समाज पार्टी के लखन सिंह को 61,163 वोट मिले तो कांग्रेस के दर्शन सिंह के खाते में 51,601 वोट आए. बीजेपी के ओम प्रकाश सैनी को 47,022 वोट मिले और तीसरे नंबर पर रहे. लखन सिंह ने 9,562 मतों के अंतर से यह जीत हासिल कर ली. तब के चुनाव में करौली सीट पर कुल 2,29,090 वोटर्स थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,24,093 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 1,04,990 थी. इनसे में कुल 1,69,926 (74.7%) वोटर्स ने वोट डाले. NOTA के पक्ष में 1,144 (0.5%) वोट आए.

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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

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करौली विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर हर चुनाव में यहां पर विधायक बदल जाते हैं. 1990 से लेकर अब तक के चुनाव की बात करें तो यहां पर किसी दल का कब्जा नहीं रहा है. 1990 में बीजेपी के शिव चरण सिंह को जीत मिली. 1993 में निर्दलीय हंसराम ने बीजेपी और कांग्रेस को हराते हुए जीत हासिल की. 1998 में कांग्रेस के जनार्दन सिंह गहलोत के खाते में जीत गई.साल 2003 के चुनाव में यहां पर फिर परिणाम बदल गया और बसपा ने जीत हासिल की. बसपा के सुरेश मीणा को जीत मिली. 2008 के चुनाव में बीजेपी को रोहिणी कुमारी ने जीत दिलाई. 2013 में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. 2018 में बसपा के लाखन सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी दर्शन सिंह को हरा दिया. लेकिन बाद में यहां पर राजनीतिक परिस्थिति बदल गई और लाखन सिंह अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए.कभी बीजेपी कभी कांग्रेस तो कभी बसपा के खाते में जाने वाली करौली सीट पर इस बार भी चुनाव कड़ा होगा. यह देखने वाली बात होगी कि इस सीट पर जीत किस पार्टी के पक्ष में जाता है. देखने वाली बात यह है कि 1972 से करौली सीट से एक भी प्रत्याशी लगातार 2 बार चुनाव नहीं जीत पाया है.

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