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तेलंगाना विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार को आए एग्जिट पोल ने कांग्रेस की उम्मीदें जगाने का काम किया है तो केसीआर की सियासी टेंशन बढ़ा भी दी है. तेलंगाना के चुनाव नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे तो उस दिन सियासी तस्वीर साफ होगी, लेकिन उससे पहले आए एग्जिट पोल के सर्वे में कांग्रेस को बढ़त और बीआरएस की सीटें बड़ी संख्या में घटती दिख रही हैं. सूबे की सियासत में सभी की निगाहें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM पर भी है. एग्जिट पोल के मुताबिक मुस्लिम वोटों पर ओवैसी की पकड़ कमजोर हो रही है, वहीं सत्ता की चाबी AIMIM के हाथों में मिलती दिख रही है. तेलंगाना चुनाव को लेकर अलग-अलग सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल में अलग-अलग आंकड़े आए हैं, लेकिन सभी सर्वे में काग्रेस को सबसे बड़े दल के तौर पर उभरते हुए दिखाया गया है. टुडेज चाणाक्या, AARAA और सी-पैक के सर्वे में कांग्रेस की सरकार बनाते दिख रही है जबकि बाकी सर्वे में किसी भी दल को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा. एग्जिट पोल के मुताबिक असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM किंगमेकर की भूमिका में रहने वाली है. AIMIM को सभी एग्जिट पोल में कम से कम 5 और अधिकतम 9 सीटें मिलने की संभावना दिख रही है. इस तरह ओवैसी तेलंगाना की सियासत में तुरुप के एक्का साबित हो सकते हैं?
9 सीटों पर चुनावी मैदान में AIMIM
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) तेलंगाना विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही है. इनमें से सात सीटें ओल्ड हैदराबाद के इलाके की हैं- चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रायनगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा और कारवां सीट हैं. इस बार राजेंद्र नगर और जुबली हिल्स सीट से भी प्रत्याशी उतारे हैं. ओल्ड हैदराबाद की सात सीटों पर पहले भी AIMIM चुनाव लड़ती रही है, लेकिन इस बार कुल मिलाकर 9 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं.
ओवैसी परिवार का पांच दशकों से दबदबा कायम
हैदराबाद से असदुद्दीन ओवैसी खुद बीस सालों से सांसद हैं, जबकि उनके परिवार का पांच दशकों से यहां दबदबा कायम है. ओल्ड हैदराबाद के इलाके में 45 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. मुस्लिम वोटों के दम पर ओवैसी खुद सांसद बनते आ रहे हैं और उनकी पार्टी के विधायक भी जीत दर्ज कर रहे हैं. हैदराबाद के मुस्लिम मतदाताओं पर ओवैसी की जबरदस्त पकड़ है, जिसके सहारे ही AIMIM के इस बार के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में किंगमेकर बनने की संभावना दिख रही है.
7 सीटों से अगर कम ओवैसी जीतें तो…
सी-वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक AIMIM को 5 से 9 सीटें मिलने का संभावना है. POLSTRAT ओवैसी की पार्टी को 6 से 8 सीटें मिलने की उम्मीद जता रहा है. वहीं CNX एग्जिट पोल के अनुसार 5 से 7 सीटें मिलती हुई दिख रही है. इस तरह से सभी एग्जिट पोल ने ओवैसी की पार्टी को कम से कम 5 सीट मिलने का अनुमान लगाया है. पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM आठ सीटों पर लड़कर सात सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस बार के चुनाव में अगर पार्टी को 7 सीटों से कम मिलती है तो ओवैसी के लिए सियासी झटका होगा.
कांग्रेस ने बढ़ाईं ओवैसी की मुश्किलें
कांग्रेस ने असदुद्दीन ओवैसी को उनके घर में ही घेरने के लिए जबरदस्त तरीके से सियासी चक्रव्यूह रचा था. ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ कांग्रेस ने भी मुस्लिम नेताओं पर दांव खेला. नामपल्ली और मलकपेट सीट पर कांग्रेस से जबरदस्त चुनौती मिल रही है तो बंजारा हिल्स में अजहरुद्दीन को प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस ने उनकी चिंता बढ़ा दी है. कांग्रेस के मुस्लिम कैंडिडेट उतारने से ओवैसी का हैदराबाद में सियासी समीकरण गड़बड़ाता हुआ नजर आ रहा है. कांग्रेस ने हैदराबाद की सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है, जिससे कांटे की टक्कर दिख रही है. बीजेपी ने तेलंगाना में हिंदुत्व का एजेंडा सेट करने की कोशिश की और उसके लिए ओवैसी को टारगेट किया. बीजेपी ने जितना आक्रमक प्रचार किया, उससे ओवैसी को मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करना का मौका मिल गया.
ओवैसी की भूमिका होने वाली है अहम?
असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिमों के बीच बीजेपी के सत्ता में आने का खौफ दिखाया तो कांग्रेस को संघ की बी-टीम कहते हुए आरोप जड़ दिया. इस तरह से मुस्लिम वोटों का ओवैसी ने धार्मिक धुर्वीकरण करने का सियासी दांव चला तो कांग्रेस ने भी ओवैसी को बीजेपी की बी-टीम का नैरेटिव सेट करने की रणनीति अपनाई. कांग्रेस ने ओवैसी पर आरोप लगाया कि दूसरे मुस्लिम नेताओं को वे उभरने नहीं देना चाहते और अजहरुद्दीन को हराने के लिए ही कैंडिडेट उतारा है. कांग्रेस का यह भी कहना था कि ओवैसी बीजेपी के फायर ब्रांड नेता राजा सिंह के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारते हैं. इस तरह से शह-मात के खेल में ओवैसी भले ही अपनी एक दो सीटें गवां दे, लेकिन जिस तरह से एग्जिट पोल हैं और तीन दिसंबर को नतीजे में तदब्ली होते हैं तो फिर उनकी भूमिका अहम रहने वाली है?