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MP-राजस्थान में भी लागू होगा छत्तीसगढ़ वाला फॉर्मूला या CM को लेकर मिलेगा सरप्राइज?

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छत्तीसगढ़ की सत्ता वापसी के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आखिरकार मुख्यमंत्री का फैसला तय कर लिया है. बीजेपी ने 3 बार के मुख्यमंत्री के रहे डॉ. रमन सिंह की जगह पर आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णुदेव साय को सत्ता की कमान सौंपने का फैसला किया. छत्तीसगढ़ के बाद अब सभी की निगाहें मध्य प्रदेश और राजस्थान पर लगी हैं. मध्य प्रदेश में सोमवार तो राजस्थान में मंगलवार को नए सीएम को लेकर विधायक दल की बैठक में निर्णय होगा. ऐसे में सवाल ये उठता है कि छत्तीसगढ़ की तर्ज तरह ही पर बीजेपी इन दोनों राज्यों में भी सेम फॉर्मूला लागू करेगी या फिर सीएम का सरप्राइज ऐलान करेगी? मध्य प्रदेश में सीएम का फैसला करने के लिए बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षक हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के लक्ष्मण और आशा लाकड़ा सोमवार को भोपाल पहुंचेंगे, जहां विधायकों से साथ बैठक करेंगे. विधायक दल के नए नेता का फैसला हो जाएगा. वहीं, राजस्थान के पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावड़े के मंगलवार को जयपुर पहुंचकर विधायकों के साथ बैठक करेंगे. इसके बाद ही मुख्यमत्री के नाम पर मुहर लगेगी. हालांकि, छत्तीसगढ़ में जिस आसानी के साथ बीजेपी ने सीएम का फैसला कर लिया है, राजस्थान और मध्य प्रदेश में उतना आसान नहीं है.

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छत्तीसगढ़ में BJP का सत्ता फॉर्मूला

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छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने भले ही पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह को सत्ता की कमान न सौंपी हो, लेकिन उन्हें विश्वास में लेकर किया गया है. आदिवासी समुदाय के विष्णुदेव साय को रमन सिंह का करीबी माना जाता है. यही वजह है कि बीजेपी विधायक दल की बैठक में विष्णुदेव के नाम का प्रस्ताव रमन सिंह ने खुद रखा है. इस तरह से आदिवासी समाज से आने वाले विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाने की पठकथा लिखी गई है. बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में आदिवासी दांव खेला है ताकि प्रदेश के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों के आदिवासी समुदाय को सियासी संदेश दिया जा सके. माना जा रहा है कि रमन सिंह को स्पीकर की कुर्सी सौंपी जा सकती है और राज्य के जातीय समीकरण को साधने के लिए दो डिप्टी सीएम बनाने की कवायद की जा सकती है. छत्तीसगढ़ में जिन्हें डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा है, उनमें अरुण साव और विजय शर्मा के नाम की चर्चा है. इस तरह आदिवासी सीएम के साथ-साथ ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग को साधने के लिए दो डिप्टी सीएम बनाने की खबर है. अरुण साव ओबीसी वर्ग से आते हैं तो विजय शर्मा ब्राह्मण हैं. इस तरह आदिवासी-ओबीसी-ब्राह्मण सियासी समीकरण के जरिए सत्ता का बैलेंस बनाने की कवायद हो सकती है.

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एमपी में BJP का ‘शिव’ राज दांव?

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मध्य प्रदेश में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी के बाद से सीएम चेहरे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन परिणाम आने के आठ दिनों के बाद सोमवार को पार्टी सीएम के नाम मुहर लगा सकती है. सोमवार को भोपाल में बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो सकती है. सवाल उठ रहे हैं कि मध्य प्रदेश में शिवराज ही सीएम बने रहेंगे या पार्टी नया चेहरा आजमाएगी, क्योंकि इस बार कई दिग्गज नेता चुनाव जीतकर आए हैं. नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर प्रह्लाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय तक विधायक बने हैं. ऐसे में प्रदेश की सियासत में सबकी नजरें मुख्यमंत्री पद पर जमी हुई हैं. सस्पेंस गहरा है तो कोशिशें भी जारी हैं. शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में डेरा जमाए हुए हैं और इस बार बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाने वाली महिलाओं के जरिए आलाकमान को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वही मध्य प्रदेश के लोकप्रिय नेता हैं और 2024 में बीजेपी के एजेंडे में फिट बैठते हैं. शिवराज सिंह चौहान ओबीसी समुदाय से आते हैं, राज्य में बड़ी आबादी ओबीसी की है. शिवराज एमपी में लगातार उन इलाकों का दौरा कर रहे हैं, जहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी कमजोर रही. वो पहले कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा गए और फिर श्योपुर का दौरा किया. दिग्विजय के गढ़ राघोगढ़ में भी सभा कर चुके हैं और 2024 में सभी 29 सीटों पर बीजेपी को जिताने का दम भी भर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि बीजेपी एमपी में सत्ता का सिंहासन शिवराज को सौंपती है या फिर छत्तीसगढ़ की तरह बदलाव की बिसात बिछाएगी?

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राजस्थान में BJP किसे बनाएगी CM

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बीजेपी ने जिस तरह से छत्तीसगढ़ में नई लीडरशिप को स्थापित करने के लिए विष्णुदेव साय को सीएम का पद सौंपा है, क्या उसी तरह राजस्थान में मुख्यमंत्री घोषित करेगी. बीजेपी को राजस्थान में मुख्यमंत्री का फैसला करने में सबसे ज्यादा मुश्किल लग रहा है, क्योंकि दो बार की सीएम रह चुकीं वसुंधरा राजे पद के प्रबल दावेदारों में से एक हैं और लगातार अपनी ताकत दिखाने में जुटी हुई हैं. राजस्थान में विधायक दल की बैठक मंगलवार को होगी, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावड़े विधायकों के साथ मंथन कर सीएम का फैसला करेंगे. विधायक और पूर्व विधायकों का वसुंधरा राजे से मिलने का सिलसिला लगातार जारी है, जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख रहा है. ऐसे में बीजेपी क्या वसुंधरा राजे को इग्नोर करके किसी नए चेहरे पर दांव खेलेगी? लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए माना जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान में सीएम चेहरे से जातिगत कार्ड खेल सकती है. वसुंधरा राजे से गजेंद्र शेखावत, अश्निनी वैष्णव और सीपी जोशी जैसे नेता सीएम की रेस में है. बीजेपी राजस्थान में भी छत्तीसगढ़ वाला फॉर्मूला अपनाती है तो इस बार ब्राह्मण या राजपूत समाज से कोई नेता सीएम बन सकता है. राजपूत समाज से मुख्यमंत्री की रेस में बात करें तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और दीया कुमारी प्रमुख हैं. बीजेपी अगर ब्राह्मण चेहरे पर अपना दांव खेलती है तो इसमें सीपी जोशी शामिल हैं. केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव भी सीएम की रेस में एक और बड़ा चेहरा हैं. बीजेपी वसुंधरा राजे की जगह अगर किसी दूसरे को सीएम घोषित करती है तो फिर साथ में सियासी बैलेंस बनाने के लिए डिप्टी सीएम का फॉर्मूला भी आजमा सकती है. आदिवासी समुदाय से लेकर ओबीसी और अन्य दूसरी जातियों के बीच संतुलन बनाना होगा. ऐसे में अब देखना होगा कि बीजेपी राजस्थान में किस तरह का दांव आजमाती है?

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