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20 साल बाद मध्य प्रदेश को मिलेंगे दो डिप्टी सीएम, बीजेपी ने बनाया जातीय बैलेंस और समीकरण

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मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की जगह बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया. मनोज यादव को भले ही सत्ता की कमान सौंपी है, लेकिन राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को डिप्टी सीएम बनाया है. मध्य प्रदेश की सियासत में 20 साल के बाद फिर से डिप्टी सीएम का फॉर्मूला सामने आया है. बीजेपी ने सियासी संतुलन और मजबूत समीकरण बनाने का दांव चला है. मोहन यादव ओबीसी समुदाय से आते हैं तो राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण और जगदीश देवड़ा दलित जाति से हैं. इस तरह बीजेपी ने 2024 के चुनाव से पहले ओबीसी-दलित-ब्राह्मण केमिस्ट्री बनाने की कवायद की है. आजादी से बाद से लेकर अब तक मध्य प्रदेश ये पांचवीं बार है जब डिप्टीसीएम बनाने का फैसला किया गया है, लेकिन हर बार पार्टियों की सियासी मजबूरी रही है. एमपी में डिप्टसीएम बनाने के पीछे हमेंशा से जातीय बैलेंस को बनाना रहा है. मध्य प्रदेश गठन के बाद 1957 से राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो पता चलता है कि समय-समय पर संतुलन बैठाने के यह प्रयोग प्रदेश में किया गया है. इस बार भी सत्ता संतुलन बैठाने के लिए डिप्टी मुख्यमंत्री के फार्मूले को अपनाया गया है.

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एमपी में कौन-कौन बन चुका डिप्टीसीएम

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मध्य प्रदेश में पहली बार 1967 में प्रदेश में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, गोविंदनारायण सिंह मुख्यमंत्री बने थे. जनसंघ नेता वीरेंद्र कुमार सकलेचा को डिप्टीसीएम बनाया गया था. इसके बाद 1980 में अर्जुन सिंह सीएम बने थे तो आदिवासी समुदाय से आने वाले शिवभानु सिंह सोलंकी को उपमुख्यमंत्री बनाया. साल 1993 में दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब सुभाष यादव और प्यारेलाल कंवर डिप्टी सीएम बनाया गया था. इसके बाद दिग्विजय सिंह दोबारा से 1998 में मुख्यमंत्री बने तो जमुनादेवी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था ताकि मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण को साधे रखा जा सके. अब पांचवी बार डिप्टी सीएम बनाने का दांव बीजेपी ने चला है, मोहन यादव को मुख्यमंत्री तो राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री.

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बीजेपी ने क्षेत्रीय-जातीय बैलेंस बनाया

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मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सीएम और दो डिप्ट सीएम के फॉर्मूले से क्षेत्रीय और जातीय समीकरण बनाने का दांव चला है. मुख्यमंत्री बनने जा रहे मोहन यादव दक्षिण उज्जैन से विधायक हैं जबकि दगदीश देवड़ा मल्हार गढ़ से और राजेंद्र शुक्ला रीवा से विधायक हैं. ओबीसी के यादव समाज से आने वाले मोहन यादव को एमपी के सत्ता की कमान सौंपी गई है तो सवर्ण और दलितों को भी साधे रखने के लिए देवड़ा और शुक्ला को डिप्टीसीएम बना जा रहा है. ओबीसी समुदाय की आबादी मध्य प्रदेश में 52 फीसदी से ज्यादा है जबकि ब्राह्मण वर्ग विंध्य अंचल और मध्य भारत अंचल में बड़ी संख्या में है. इसके अलावा पूरा मालवा-निमाड़ अंचल में दलित समुदाय निर्णायक भूमिका में है. जगदीश देवड़ा के जरिए दलित और राजेंद्र शुक्ला के सहारे ब्राह्मणों को संतुष्ट करने का दांव चला है. बीजेपी ने तीन नेताओं के जरिए एमपी का जातिगत समीकरण साधने की कवायद की है.

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मोहन यादव को सत्ता की कमान

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उज्जैन दक्षिण सीट से तीसरी बार विधायक बने मोहन यादव को बीजेपी विधायक दल का नेता चुनाव गया है. शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव मुख्यमंत्री होंगे. संघ की पृष्ठभूमि और ओबीसी होने के नाते उनकी ताजपोशी हुई है. मध्य प्रदेश के उस मालवा-निमांड़ इलाके से आते हैं, जहां पर सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें है. आरएसएस के छत्र-छाया में पल-बढ़े हैं और अब सियासी बुलंदियों को छुआ. मनोज यादव ने संघ के एबीवीपी के साथ अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया और 2013 में पहली बार विधायक बने. 2018 में दूसरी बार विधायक बने और 2020 में शिवराज सरकार में मंत्री. तीसरी बार विधायक बने हैं और उन्हें सत्ता की कमान सौंपी दी गई है, जिसके पीछे ओबीसी जाति से उनका होना अहम माना जा रहा है. मनोज यादव को सीएम पद के लिए घोषित करके बीजेपी ने 2024 के चुनाव में यादव वोटों को साधने का दांव चला है.

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ब्राह्मण चेहरा राजेंद्र शुक्ला

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मध्य प्रदेश के रीवा विधानसभा क्षेत्र में विधायक राजेंद्र शुक्ला को ब्राह्मण समुदाय के कद्दावर नेता के तौर पर जाना जाता है. विंध्य इलाके की सियासत में उनकी मजबूत पकड़ है. 2003 में पहली बार विधायक बने और उसके बाद से लगातार रीवा से चुनाव जीत रहे हैं. साल 2023 में पांचवी बार विधायक चुने गए हैं. उमा भारती से लेकर बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं. एमपी में करीब 5 फीसदी आबादी ब्राह्मण समुदाय की है जबकि विंध्य क्षेत्र में किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र के मजबूत नेता माने जाने वाले राजेंद्र शुक्ला को डिप्टीसीएम बनाने का फैसला करके ब्राह्मणों को सियासी संदेश देने की कवायद की है.

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दलित नेता जगदीश देवड़ा

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एमपी में दलित वोटर भी काफी निर्णायक स्थिति में है और इस बार बीजेपी को बड़ी संख्या में वोट किए हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने जगदीश देवड़ा को डिप्टीसीएम बनाकर दलित समुदाय को सियासी संदेश देने की कवायद की है. देवड़ा आठवीं बार विधायक बने हैं. मध्य प्रदेश में थावर चंद गहलोत के बाद जगदीश देवड़ा दलित समाज के दूसरे बड़े नेता है. स्वच्छ छवि के नेता माने जाते हैं और विवादों से दूर है. जगदीश देवड़ा की पार्टी संगठन में अच्छी पकड़ है और 1990 से विधायक बन रहे हैं. मालवा-निमाड़ के इलाके से आते हैं. यह भी एक संयोग है कि प्रदेश में अभी तक चार उप-मुख्यमंत्री बनाए गए और वे चारों ही मालवा निमाड़ से चुने गए थे. पांचवी बार भी डिप्टीसएम मालवा से हैं. इससे यह बात भी साफ हो जाती है कि मालवा निमाड़ को साधने का काम वर्षों से किया जाता रहा है.

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