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कांग्रेस के लिए कैसा रहेगा 2024? मोदी से मुकाबला और ‘अपनों’ को साथ रखने की चुनौती

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कांग्रेस अपने सियासी इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. कांग्रेस दस सालों से देश की सत्ता से कांग्रेस बाहर है और एक के बाद एक राज्यों की सत्ता गंवाती जा रही है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता छीनने व मध्य प्रदेश में करारी मात खाने के बाद कांग्रेस के लिए आगे की सियासी राह और भी मुश्किलों भरी हो गई है. कांग्रेस ने आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से दो-दो हाथ करने के लिए विपक्षी दलों के साथ मिलकर INDIA गठबंधन का गठन किया. बीजेपी के लिए जीत की गारंटी बन चुके पीएम मोदी से मुकाबला करने की चुनौती ही नहीं कांग्रेस के सामने छत्रपों के साथ संतुलन बनाए रखने का चैलेंज है. कांग्रेस की कमान गांधी परिवार से बाहर मल्लिकार्जुन खरगे के हाथों में है तो 28 विपक्षी दलों के साथ मिलकर INDIA गठबंधन कर रखा है. कांग्रेस के लिए आगे की राह कठिन है, क्योंकि सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बात बन नहीं रही है, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, सपा और महाराष्ट्र में उद्धव गुट की शिवसेना अलग टेंशन दे रही है. एक और जहां पीएम मोदी 2024 में जवाहरलाल नेहरू के तीन बार के प्रधानमंत्री रिकॉर्ड की बराबरी करने की जुगत में है तो लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए 138 साल के सफर में सबसे कठिन होने वाला है. ऐसे में साल 2024 के चुनावी रणभूमि से कांग्रेस दोबारा से एक बार फिर से उभरने की कोशिश मे है.

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300 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है कांग्रेस

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लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस पार्टी में बैठकों का दौर शुरू हो गया है. INDIA गठबंधन में सीट बंटवारे से पहले कांग्रेस नेतृत्व ने अपने अलग-अलग राज्यों के नेताओं के साथ बैठक कर अपनी सीटें तय कर ली हैं, जिसमें कम से कम 300 से ज्यादा सीटें पर कांग्रेस खुद चुनाव लड़ना चाहती है बाकी सीटें सहयोगी दलों को देने के मूड में है. कांग्रेस 10 राज्यों में अकेले खुद के दम पर जबकि 9 राज्यों में गठबंधन में लड़ने की रणनीति बना रही है. गुजरात, हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और ओडिशा में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. वहीं, कांग्रेस ने यूपी, दिल्ली, बिहार, पंजाब, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में गठबंधन के सहारे उतारने का प्लान है.

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कांग्रेस सीट बंटवारे को लेकर चुनौती

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राजस्थान, छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में मिली हार के बाद कांग्रेस अब सीट बंटवारे को लेकर बातचीत कर रही है, जिसके चलते INDIA गठबंधन में तय हुआ है कि जिस राज्य में जो भी पार्टी मजबूत है, वो सीट बंटवारे को लीड करेगी. कांग्रेस को सबसे ज्यादा मुश्किल उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में हो रही है. कांग्रेस की पंजाब और दिल्ली यूनिटों ने साफ किया है कि वो आम आदमी पार्टी के साथ लोकसभा चुनावों में किसी तरह का गठबंधन नहीं चाहती हैं.

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कांग्रेस के लिए नई सिरदर्दी

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INDIA गठबंधन के सबसे बड़े सदस्य, कांग्रेस के लिए नई सिरदर्दी बन गई है. अब बड़ा सवाल ये है कि अंदरूनी रिश्तों में कश्मकश के बीच कांग्रेस कैसे गठबंधन को मजबूत करेगी और बंगाल में टीएमसी और सीपीआई (एम) और पंजाब-दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ सीटों का समझौता करनी चुनौती है. सपा के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस के रवैये पर खुलकर बोल रहे हैं कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना होगा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हिंदी पट्टी में 141 सीट पर जीत हासिल की थी, जो इस क्षेत्र की कुल सीट का 71 फीसदी था. एक चुनाव विश्लेषक का मानना है कि 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह दो आम चुनाव बुरी तरह हार चुकी है. कांग्रेस के लिए 2024 का चुनाव करो या मरो वाली स्थिति का है. कांग्रेस अब केवल तीन राज्यों- हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना- में अपने दम पर सत्ता में है. INDIA गठबंधन की पिछली बैठक में सीट शेयरिंग पर 2023 के अंत तक सहमति की बात कही गई थी और 2024 आ चुका है, लेकिन सीट बंटवारे का फॉर्मूला सामने नहीं आया है.

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14 राज्यों से होकर गुजरेगी राहुल की यात्रा

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वहीं, पिछले चुनावों में मिली हार के बाद खुद को संभालने और 2024 में उभरने के लिए कोशिश करनी होगी. पीएम मोदी के सामने राहुल गांधी को अपने आप को नए सिरे से पेश करने की जरूरत है, जिसके लिए भारत न्याय यात्रा पर 14 जनवरी 2024 को निकल रहे हैं. मणिपुर से महाराष्ट्र तक हाइब्रिड (बस और पैदल) राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा शुरू करेंगे, जो 14 राज्यों से होकर गुजरेगी.

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6200 किमी की दूर तय करेगी यात्रा

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इंफाल से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, जिसके बाद यह यात्रा मणिपुर नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरकर 6,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पदयात्रा कर चुके हैं, जिसमें दक्षिण में सियासी सफलता मिली, लेकिन उत्तर भारत में कोई खास असर नहीं छोड़ चुकी है. ऐसे में राहुल गांधी अब जब मणिपुर से मुंबई तक के लिए न्याय यात्रा पर निकल रहे हैं तो कांग्रेस को कितनी सियासी संजीवनी दे पाएंगे.

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पीएम मोदी के सामने चेहरे की तलाश

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बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे के सहारे 2024 के चुनाव में उतरने का ऐलान कर चुकी है, जो पार्टी की जीत की गारंटी माने जाते हैं. बीजेपी ने कांग्रेस की मुफ्त योजनाओं और जातिगत गणना के मुद्दे की काट के तौर पर क्रमशः मोदी की गारंटी और प्रधानमंत्री की चार जातियों- महिलाओं, युवाओं, गरीबों और किसानों को खड़ा किया है. बीजेपी ने 2024 के चुनाव के लिए मोदी को एकमात्र चेहरा बना दिया है और विपक्ष को ये चुनौती दी है कि वो अपना पीएम उम्मीदवार बताएं, ताकि चुनाव ‘मोदी बनाम कौन’ बनकर रहे. विपक्षी खेमे की तरफ से ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्ताव रखा, जिस पर अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी सहमति जता दी. हालांकि, कांग्रेस इस पर तैयार नहीं है और खरगे ने कहा कि चुनाव के बाद पीएम पद पर बात होगी. हमारा लक्ष्य पहले बीजेपी को हराने का है और उसके बाद आगे की बात होगी.

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न्याय यात्रा के जरिए संजीवनी देने की कोशिश

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भारत न्याय यात्रा की अगुवाई करके राहुल गांधी अपनी छवि को मजबूत करने के साथ-साथ कांग्रेस को सियासी संजीवनी देना चाहते हैं. राहुल गांधी के नाम पर INDIA गठबंधन के किसी साथी की ओर से आगे नहीं रखा जा रहा है. केजरीवाल से से लेकर ममता बनर्जी तक राहुल गांधी के नाम पर सहमत नहीं है. नीतीश कुमार अलग ही राह पर है और खुद को 2024 में पीएम पद के चेहरे के तौर पर देख रहे थे. ऐसे में देश के अलग-अलग राज्यों में रैलियां करके सियासी माहौल बनाने का अभियान शुरू कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए 2024 का चुनाव काफी मुश्किलों भरा है, जिसमें उसे बीजेपी से ही नहीं बल्कि सहयोगी दलों से भी जंग लड़ना पड़ रहा है.

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