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न मंत्री बने-न मुख्यमंत्री, बाबा बालकनाथ और रेणुका सिंह का सियासी प्रमोशन या डिमोशन?

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लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल जीतकर बीजेपी ने फाइनल जीतने की पठकथा लिख दी है. बीजेपी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में अपने 21 सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़ाया था, जिसमें से 12 जीतने में वह सफल रही है. सांसद से विधायक बनने वालों में मोदी कैबिनेट का हिस्सा रहीं रेणुका सिंह, महंत बालकनाथ और रिती पाठक को कैबिनेट में जगह नहीं मिली. वहीं, रेणुका सिंह को छत्तीसगढ़ और बालकनाथ को राजस्थान के सीएम बनाने तक की चर्चा चल रही थी. ऐसे में उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद सियासी चर्चा का विषय बना हुआ है, जिससे सवाल उठ रहा है कि उनका राजनीति में प्रमोशन हुआ या फिर डिमोशन?

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इन सांसदों ने लड़ा था विधायकी का चुनाव

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बीजेपी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में 7-7, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया था. मध्य प्रदेश में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था. इनमें तोमर, पटेल, राकेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए जबकि कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए हैं. इसी तरह राजस्थान में राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार और भागीरथ चौधरी चुनाव में उतरे थे. राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को भी चुनावी मैदान में उतारा गया था. इनमें राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ और मीणा चुनाव जीते. वहीं, छत्तीसगढ़ में रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव और विजय बघेल ने चुनाव लड़ा. इनमें विजय बघेल चुनाव हार गए. तेलंगाना में बीजेपी ने बंडी संजय, अरविंद धर्मपुरी और सोयम बापूराव को चुनाव मैदान में उतारा और तीनों चुनाव हार गए.

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सांसद जो विधायक बने, उन्हें क्या पद मिला

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राजस्थान में सांसद से विधायक बनने वाले दिया कुमारी को डिप्टी सीएम बनाया गया है तो राजवर्धन सिंह राठौड़ और किरोड़ी लाल मीणा को कैबिनेट में जगह मिली है. एमपी में नरेंद्र सिंह तोमर को स्पीकर बनाया गया है तो प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और उदय प्रताप को मंत्री. छत्तीसगढ़ में अरुण साव को डिप्टी सीएम बनाया गया. सांसद से विधायक बनने वाले राजस्थान में बालकनाथ, छत्तीसगढ़ में रेणुका सिंह व गोमती साय और एमपी में रिती पाठक को मंत्री नहीं बनाया गया है. रेणुका सिंह तो केंद्र की मोदी कैबिनेट में केंद्रीय राज्य मंत्री पद पर थी, चुनाव नतीजे के बाद उन्हें सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था. इसी तरह से राजस्थान में महंत बालकनाथ के मुख्यमंत्री बनने की काफी चर्चा रही. इसके बावजूद रेणुका सिंह व बालकनाथ को ना तो सीएम का पद मिला और न ही मंत्रिमंडल में जगह. ऐसे में दोनों ही नेता अब बाकी विधायकों की तरह ही एक विधायक हैं.

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बालकनाथ क्यों सिर्फ विधायक रह गए

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मध्य प्रदेश में मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही बाबा बालकनाथ सीएम की रेस से बाहर हो गए थे, क्योंकि दोनों ही नेता एक ही समुदाय से आते हैं. बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों ही जगह यादव समुदाय से मुख्यमंत्री पद देने से बाकी सियासी समीकरण को साधना मुश्किल हो जाता. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के सियासी समीकरण को देखते हुए भजनलाल शर्मा को सीएम का पद राजस्थान में सौंपा है. मंत्री पद में जगह न मिल पाने की वजह यह है कि बालकनाथ धार्मिक मुद्दों पर आक्रमक तरीके से बयान देने के लिए जाना जाता है, जिसमें अक्सर विवादित बयान दे देते हैं. बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले किसी तरह की कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती है, जिससे सरकार पर किसी तरह का कोई सवाल उठे. इसके अलावा उनके पास अभी बहुत ज्यादा राजनीतिक अनुभव नहीं है. 2019 में पहली बार वो चुनावी मैदान में उतरे और जीतकर सांसद बने और अब विधायक. ऐसे में उन्हें मंत्री बनाए जाने से पार्टी के दूसरे नेताओं में असंतोष उभर सकता था.

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रेणुका सिंह अब विधायक रह गई हैं?

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मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रही रेणुका सिंह अब सिर्फ विधायक हैं. आदिवासी समुदाय से होने के चलते रेणुका सिंह को सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन आदिवासी समाज के नेता विष्णुदेव साय के नाम पर मुहर लगने के बाद सीएम की रेस में वो पीछे रह गईं. कैबिनेट गठन में भी रेणुका सिंह को जगह नहीं मिल सकी. मंत्रिमंडल के जरिए जाति समीकरण को साधने के चक्कर में उनका नाम मंत्रियों की लिस्ट में शामिल नहीं हो सका. इस तरह रेणुका सिंह अब सांसद के बजाय सिर्फ विधायक हैं.

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मंत्री बनने का विकल्प बचा हुआ है

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राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं, जिनके आधार पर बीजेपी 30 मंत्री बना सकते हैं. सीएम भजनलाल शर्मा सहित मंत्रिमंडल में अभी 25 मंत्री है. ऐसे में भजनलाल कैबिनेट में अब पांच मंत्री और बनाए जा सकते हैं. ऐसे में कैबिनेट का विस्तार किया जाता है तो उसमें बालकनाथ के मंत्री बनाए जाने का मौका मिल सकता है. लोकसभा चुनाव के समीकरण को साधने के लिए छह महीने के बाद मंत्रियों की परफॉर्मेंस देखने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल भी किया जा सकता है. इसी तरह छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्री बनाए जा सकते हैं. मौजूदा समय में सीएम सहित कैबिनेट में कुल 12 सदस्य हैं. इस तरह एक मंत्री पद की जगह अभी भी खाली है. ऐसे में रेणुका सिंह के सामने मंत्री बनने का मौका बचा हुआ है. विष्णुदेव साय भविष्य में कैबिनेट विस्तार करते हैं तो एक विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है.

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