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15 दिसंबर को राजस्थान में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा शपथ लिए जाने के बाद से ही भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के मामले उजागर हो रहे हैं। ताजा मामला एसआई (थानेदार) की भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी का है। यह परीक्षा गत कांग्रेस के शासन में हुई और तभी यह पता चला गया कि परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र लीक हो गया। लेकिन कांग्रेस सरकार के दबाव में जांच एजेंसियों ने एसआई परीक्षा के घोटाले को दबाए रखा। जेईएन भर्ती परीक्षा में भी ऐसी ही स्थिति सामने आई है। आरएएस की 2018 व 2021 की परीक्षा संदेह के घेरे में है। लेकिन अशोक गहलोत को अपनी सरकार बचाए रखनी थी, इसलिए राजस्थान के युवाओं के सपनों पर पानी फेर दिया गया। प्रभावशाली व्यक्तियों ने परीक्षा से पहले पेपर हासिल किया और फिर पांच पांच लाख रुपए लेकर प्रश्न पत्र बेच दिए। कांग्रेस के पिछले पांच वर्ष के शासन में पेपर लीक करने वालों पर प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई। एसआई परीक्षा में पहले चरण में जो गड़बड़ी सामने आई है उसमें 12 थानेदार एक ही जाति के हैं। जाहिर है कि जाति के प्रभाव की वजह से प्रश्न पत्र हासिल कर लिए गए। प्रश्न पत्रों की चोरी करने वालों को पता था कि उनका कुछ भी नहीं बिगड़ेगा।
सवाल उठता है कि एसआई भर्ती को जो भंडा फोड़ अब हुआ है, वह कांग्रेस के शासन में क्यों नहीं हुआ? मौजूदा समय में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जब अशोक गहलोत की सरकार में शिक्षा मंत्री थे, तब आरएएस की नौकरी डोटासरा के कई रिश्तेदारों ने हासिल की। तब विपक्ष में रहते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने आरएएस भर्ती में भी गड़बड़ी के आरोप लगाए, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी सरकार को बनाए रखना था, इसलिए आरोपों की जांच नहीं हुई। यही वजह है कि किरोड़ी मीणा ने एक बार फिर अपने आरोपों को दोहराया है। किरोड़ी मीणा अब खुद भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री है। माना जा रहा है कि जिस प्रकार एसआई भर्ती में सफल हुए 16 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया है, उसी प्रकार आरएएस और अन्य भर्ती परीक्षाओं के चयनित अभ्यर्थियों को पकड़ा जाएगा। सब जानते हैं कि गहलोत ने किन हालातों में अपनी सरकार को चलाया। संजय श्रोतिय जब आईपीएस थे, तब उन्होंने भी गहलाते को वो सूचनाएं दी जो सरकार को गिराने से संबंधित थी। इन सूचनाओं के आधार पर ही गहलोत ने सरकार गिराने वाले षडय़ंत्र को विफल कर दिया। उपहार स्वरूप संजय श्रोत्रिय को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया। नियुक्ति के समय भी किरोड़ी मीणा ने आपत्ति दर्ज करवाई थी, लेकिन गहलोत के मुख्यमंत्री रहते कोई सुनवाई नहीं हुई। मालूम हो कि प्रदेश में अधिकांश भर्ती परीक्षा आयोग ही लेता है। आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा भी सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र बेचने के आरोप में गिरफ्तार हुए हैं। इसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयोग में भर्ती परीक्षा को लेकर कितनी गड़बडिय़ां हो रही है। एसआई भर्ती परीक्षा की बेईमानी ने तो आयोग के मुंह पर कालिख पोत दी है। भजनलाल सरकार जिस प्रकार भर्ती परीक्षा की गड़बडिय़ों को उजागर कर रही है उसी प्रकार आयोग में भी बड़े बदलाव करने की जररुत है। सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अशोक गहलोत ने 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी चुनौती दी थी। तब विधायकों के समर्थन को लेकर जो फर्जीवाड़ा किया गया, उसका भंडा फोड विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने किया है। देवनानी ने हाईकोर्ट में बताया कि 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस के विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया था। जाहिर है कि गहलोत ने विधायकों के समर्थन में भी झूठ को प्रचारित किया। जब सोनिया गांधी को चुनौती दी जा सकती है, तब राजस्थान के युवाओं की हैसियत कोई मायने नहीं रखती। कांग्रेस के शासन में मेहनती और योग्य युवक नौकरी से वंचित रहे. अब भाजपा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह योग्य और मेहनती युवाओं को ईमानदारी के साथ नौकरी उपलब्ध करवाएं