ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का काफी महत्व होता है। जिसे निर्जला एकादशी अथवा भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस बार यह एकादशी 2 जून को आज पड़ रही है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी ये व्रत किया था। जिसके बाद इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाने लगा।
बतादें कि इस त्योहार में श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। व्रत रखा जाता है। इस एकादशी पर व्रत रखने वालों को कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
व्रत के दौरान रखे इन बातों का विशेष ध्यान
जो लोग निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे हैं उन्हें इस व्रत की तैयारी एक दिन पहले कर लेनी चाहिए और दशमी तिथि या व्रत के पहले दिन सात्विक भोजन करना चाहिए।
-व्रती को इस दिन साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
अगर व्रत रखने वाला व्यक्ति स्नान करने किसी पवित्र नदी में नहीं जा सकता तो उसे घर में स्नान करते समय सभी पवित्र नदियों के नामों का जाप करे। ऐसा करने से घर पर ही गंगा स्नान का पुण्य मिल सकता है।
-स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प करें। भगवान के सामने कहें कि आप ये व्रत करना चाहते हैं और इसे पूरा करने की शक्ति भगवान आपको प्रदान करें।
-भगवान विष्णु को पीले फल, पीले फूल अथवा पीले पकवान का भोग लगाएं।
-दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें और ऊं नमों भगवते वासुदेवाय का जाप करें।
-निर्जला एकादशी पर पानी का दान शुभ माना जाता है। इस दिन पानी का दान करें । किसी प्याऊ में मटकी का दान करें। अगर संभव हो तो किसी गौशाला में धन का भी दान करें।
-एकादशी के दिन तुलसी जी की भी विशेष पूजा की जाती है। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
-पारण वाले दिन यानी द्वादशी तिथि पर ब्राह्मण और गरीब को भोजन कराएं।
-निर्जला एकादशी पर पानी नहीं पिया जाता लेकिन अगर आप बीमार हैं तो फल के जूस या फल खाकर इस व्रत को कर सकते हैं।
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
9413723865,
8769588160,
अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।