Report Times
latestOtherझुंझुनूंटॉप न्यूज़ताजा खबरेंसोशल-वायरलस्पेशल

33 वर्षीय युवा मृदुल कछावा होंगे झुंझुनू के नए पुलिस अधीक्षक

REPORT TIMES

Advertisement

33 वर्षीय युवा मृदुल कछावा होंगे झुंझुनू के नए पुलिस अधीक्षक

Advertisement

झुंझुनू के जिला पुलिस अधीक्षक अब मृदुल कछावा होंगे। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग जयपुर द्वारा जारी आदेश के अनुसार 16 आईपीएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए है जिनमें उपायुक्त जयपुर शहर (दक्षिण) से मृदुल कच्छावा को एसपी झुंझुनू तबादला आदेश जारी हुए हैं

Advertisement

आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसे दबंग युवा आईपीएस अधिकारी के बारे में बताएँगे जिन्हें राजस्थान का सिंघम भी कहा जाता है. एक ऐसा दबंग अधिकारी जो जान की परवाह किये बगैर राजस्थान में चम्बल के बेहड़ो से कुख्यात डकैतों का सफाया किया. जिनका नाम सुनते ही बड़े से बड़े अपराधियों के पसीने छूट जाते हैं. एक ऐसा अधिकारी जिन्हें आज का युवा अपना रोल मॉडल मानता है. हम बात कर रहे है आईपीएस मृदुल कच्छावा के बारे में.

Advertisement

मृदुल कच्छावा का जन्म 30 अगस्त 1989 को राजस्थान के बीकानेर में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ. इनकी प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर से पूरी हुई फिर बाद में इनका परिवार जयपुर आकर रहने लग गया. मृदुल ने सीनियर सैकण्डरी केंद्रीय विद्यालय जयपुर से उत्तीण की इसके बाद कॉमर्स कॉलेज जयपुर से B.COM की डिग्री प्राप्त की. पढाई में अधिक रूचि होने के कारण इन्होने राजस्थान यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिज़नस में मास्टर डिग्री ली. मृदुल यही तक नही रुके मास्टर डिग्री लेने के बाद जयपुर से ही चार्टर्ड अकाउंटेंट और कम्पनी सेक्रेटी की पढ़ाई की. इनके पिताजी भी सरकारी अधिकारी थे. जो अभी सेवानिवृत्त है. इनकी पत्नी का नाम कनिका सिंह है जो सीनियर आईपीएस अधिकारी पीके सिंह की बेटी है।

वहीं झुंझुनू एसपी प्रदीप मोहन शर्मा को कमाण्डेन्ट हाड़ी रानी बटालियन अजमेर लगाया गया है।

Advertisement

मृदुल की चार्टर्ड अकाउंटेंट और कम्पनी सेक्रेटी की की पढाई पूरी हो जाने के बाद इन्होने सोचा अब क्या किया जाये तो ये मुंबई चले गए वहा पर जर्मन की एक बैंक में जॉब करने लगे. मृदुल का सपना तो सेना में अधिकारी बनने का था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था. उन्होंने बैंक से इस्तीफा देकर एनडीए परीक्षा की तैयारी में जुट गए, दो बार प्रयास किया लेकिन नाकाम रहे फिर उन्होंने पुलिस ऑफिसर बनने की राह चुनी और यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली चले गए और वहा पर 3 साल तक संघर्ष किया. साल 2014 में मृदुल का चयन भारतीय डाक सेवा (IPS) में हो गया लेकिन इनको यह नौकरी पसंद नही आई और फिर से तैयारी में लग गए क्यों कि इनका सपना तो आईपीएस अधिकारी बनने का था. कड़ी मेहनत के बाद साल 2015 में 216 रैंक प्राप्त करके आईपीएस में चयन हो गया.

Advertisement

आईपीएस (IPS ) ज्वाइनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में जनवरी 2017 से जून 2017 तक प्रोवेशनल सहायक पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में हुई। इसके बाद 2018 में गंगानगर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) के पद पर रहे, जनवरी 2019 में 6 महीने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अजमेर में एसपी (SP) के पद पर रहे इसके बाद मृदुल कच्छावा को पहला धोलपुर जिला मिला जहां पर उन्होंने कुख्यात अपराधियों का जड़ से सफाया किया. इसके बाद जुलाई 2020 से जनवरी 2022 तक मृदुल ने करौली पुलिस अधीक्षक पर सेवाएं दी. वर्तमान 2022 में मृदुल कच्छावा पुलिस उपायुक्त (DCP), दक्षिण जयपुर पद पर कार्यरत है ।

मृदुल कछावा इससे पूर्व पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भीलवाड़ा , पुलिस कप्तान के रूप में धौलपुर और करौली में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 30 अगस्त 1989 को जन्मे कच्छावा का गृह जिला जयपुर है। सिविल सेवा परीक्षा 2015 में मृदुल कच्छावा ने 216वां स्थान प्राप्त किया था। उस समय मृदुल सिर्फ 24 साल की उम्र में ही IPS ऑफिसर बन गये थे। इन्होने कड़ी मेहनत और लग्न से ये मुकाम इतनी कम आयु में हासिल कर लिया था. इस मुकाम को पाने के लिए आज भी लोग सपना देखते है.

Advertisement

जब मृदुल कच्छावा को एसपी पहली पोस्टिंग धौलपुर मिली, धौलपुर एक डकैतों का इलाका माना जाता है जहा चंबल बीहड़ों में गुंडई राज है. जहा आज भी डकैतों का डर रहता है. लेकिन मृदुल ने अपनी टीम के साथ सिर्फ 11 महीनो में 44 नामी डकैतों और 12 कुख्यात अपराधियों को जेल पहुंचाया इनमें डकैत जगन गुर्जर का छोटा भाई पप्पू गुर्जर, डकैत लाल सिंह गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर, डकैत भारत गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर एवं डकैत रघुराज गुर्जर जैसे खूंखार डकैत शामिल थे। इतना ही नही लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरो में थे जब इस युवा आईपीएस ने चंबल के बीहड़ में उतरकर डकैतों का सफाया किया इनके साथ टीम में पुलिस निरीक्षक, साइबर सेल, डीएसटी टीम, आरएसी टीम और कई कांस्टेबल थे. चंबल के बीहड़ों की कहावत है एक मरे दो जावे, जाको वंश डूब ना पावे‘. सालों से चंबल के बीहड़ को डकैतों की शरण स्थली माना जाता रहा है. जहा पर चंबल के बीहड़ों में डकैतों की बंदूक कभी भी शांत नहीं रही.

Advertisement
Advertisement

Related posts

चिड़ावा: कांग्रेस कार्यालय में मनाई गई फुले जयंती, पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

Report Times

बीकानेरी हिरणों की झुंझुनूं में कुलाचें:ताल छापर की तर्ज पर विकसित कर रहे हैं बीड़ क्षेत्र को

Report Times

दूल्हे का निराला अंदाज, 51 ट्रैक्टरों का काफिला लेकर दुल्हन लेने पहुंचा

Report Times

Leave a Comment