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कर्ज नही चुकाने वाले परिवारों की बेटियों की नीलामी रक्षा के लिए सक्रिय हुए ये आयोग

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कर्ज नहीं चुकाने वाले परिवारों की बेटियों की नीलामी की शिकायत पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के बाद अब राज्य महिला आयोग व बाल अधिकार संरक्षण आयोग सक्रिय हो गए हैं। बाल आयोग ने चार जिला कलक्टरों से ऐसे मामलों पर कार्रवाई कर बालिकाओं की सुरक्षा व शिक्षा को लेकर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है, वहीं महिला आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज ने भीलवाड़ा के कलक्टर व पुलिस अधीक्षक से ऐसी घटनाओं पर सात दिन में रिपोर्ट भेजने को कहा है।

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क्या बालिकाओं को लगाया जाता है इंजेक्शन?

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल बालिकाओं को जल्द जवान करने के लिए इंजेक्शन लगाने की शिकायत पर पड़ताल करने शनिवार को भीलवाड़ा पहुंचेंगी, वे वहां सुबह साढ़े दस बजे कलक्ट्रेट सभागार में जिले के अधिकारियों की बैठक लेंगी। बेनीवाल ने भीलवाड़ा, टोंक, सवाईमाधोपुर व बूंदी कलक्टर को पत्र भेजा है,

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जिसमें कहा कि चारों जिलों के गांवों में लड़कियों को नीलाम कर उन्हें देह व्यापार में धकेलने की शिकायत है। एजेंट कर्जदार या कर्ज की आवश्यकता महसूस करने वाले परिवारों की बालिकाओं को निशाना बनाते हैं। ऐसे मामलों में बालिकाओं को खरीदने व बेचने वालों पर कार्रवाई हो और पीडि़ताओं की सुरक्षा व शिक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाए। साथ ही, यह भी कहा कि ऐसी घटनाओं की जांच कर तीन दिन में आयोग में रिपोर्ट पेश की जाए। इसी तरह की घटनाओं पर रिपोर्ट तलब करने के लिए गुरुवार को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया था।

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से हाल ही में बढ़ाई गई रेपो रेट के कारण जिलेवासियों पर ब्याज का बोझ बढ़ गया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसका सीधा असर आम कर्जदारों पर पड़ेगा। यानी महंगाई कम करने के लिए बढ़ाई गई रेपो रेट कर्जदारों पर बोझ बन गई। आरबीआई के इस फैसले के बाद, देश के सभी बैंक ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि भी लागू करते हैं तो जिलेवासियों पर औसतन महीने का 29.30 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। यानी सालाना 351.60 करोड़ ज्यादा चुकाने होंगे। कोरोना में देश की अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए मई 2020 में रेपो रेट कम कर 4% की गई थी। इसके परिणामस्वरूप इन 2 वर्षों में देश में कुल 1146201 करोड़ के लोन की वृद्धि हुई। अब कोरोना के बाद आमजन को महंगाई से निजात दिलाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव किया है। हर 2 माह में मौद्रिक नीति बनाई जाती है। मौद्रिक नीति में आरबीआई द्वारा देश में पैसे के सर्कुलेशन व लोन के मध्य तालमेल बनाया जाता है तथा महंगाई को नियंत्रित किया जाता है।

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