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गहलोत-पायलट विवाद का केंद्र बनी AICC की सूची, आखिर क्या संदेश देना चाहती है पार्टी?

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कांग्रेस पार्टी ने 20 फरवरी को रायपुर पूर्ण सत्र से पहले एआईसीसी के निर्वाचित और नामित प्रतिनिधियों की सूची जारी कर दी. इस सूची के जारी होने से एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट के बीच सत्ता संघर्ष की बात सामने आई है, जो लंबे समय से उनके बीच विवाद का विषय बना हुआ है. 75 सदस्यों वाली यह सूची अब विवाद का केंद्र बिंदु बन गई है. सूची की जांच करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि अधिकांश पदों पर गहलोत के वफादार काबिज हैं. यह दर्शाता है कि लिस्ट तैयार करते वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पूर्व डिप्टी सचिन पायलट से अधिक मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं. पायलट के खेमे से सिर्फ चार सदस्यों का नाम सूची में है. ये सदस्य मुरारी लाल मीणा, इंद्राज गुर्जर, कुलदीप इंदौरा और दिव्या मदेरणा हैं. प्रमोद जैन भाया, प्रीति गजेंद्र सिंह, सुदर्शन सिंह रावत और प्रशांत बैरवा जैसे दूसरे नेताओं को दोनों गुटों के साथ माना जाता है.

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अंदर कलह बाहर राजनीतिक दबाव

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राजस्थान में कांग्रेस पार्टी आंतरिक कलह और बाहरी राजनीतिक दबावों दोनों के कारण संघर्ष कर रही है. हालांकि, मुख्य मुद्दा गहलोत और पायलट के बीच चल रहा सत्ता संघर्ष है. ये दोनों नेता राज्य में पार्टी के नियंत्रण को लेकर एक दूसरे के साथ शह और मात का खेल खेल रहे हैं. गौरतलब है कि गहलोत के तीन वफादारों – शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ – को रायपुर पूर्ण सत्र से पहले निर्वाचित और नामित प्रतिनिधियों की हाल में जारी सूची में शामिल नहीं किया गया है. पिछले साल 25 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन द्वारा बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने के बजाय इन तीनों पर धारीवाल के आवास पर एक समानांतर बैठक आयोजित कर अनुशासनहीनता का आरोप है. कांग्रेस की अनुशासन समिति ने इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया हुआ है. पार्टी के इस कदम से संकेत मिलता है कि वह गहलोत के इन वफादारों के काम को लेकर भी काफी कड़ा रुख अपना रहे हैं. उन्हें उनके आचरण के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

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ज्यादातर नाम गहलोत के वफादार

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यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि चुनावी साल में सूची में शामिल अधिकांश नाम सीएम अशोक गहलोत के प्रति वफादार हैं और पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा से करीबी संबंध रखने वाले भी हैं. गहलोत और डोटासरा दोनों एक ही गुट के हैं. इससे एक बार फिर राजस्थान की दलगत राजनीति में गहलोत के दबदबे की पुष्टि होती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा 17 मंत्री एआईसीसी के सदस्य बने हैं. उनके 11 मंत्री एआईसीसी की सूची में जगह नहीं बना पाए हैं. सीएम के बेटे वैभव गहलोत को भी एआईसीसी सदस्य बनाया गया है.गहलोत के धारीवाल, जोशी और राठौर जैसे कुछ मजबूत समर्थकों को सूची में शामिल नहीं किया गया है, फिर भी सूची में गहलोत और डोटासरा समर्थकों की बड़ी संख्या यह दिखलाने के लिए काफी है कि गहलोत ने एक बार फिर से पार्टी और उसके नेताओं पर अपने नियंत्रण का प्रदर्शन किया है. इस साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस राजस्थान में टिकटों का बंटवारा करेगी. ऐसे में एआईसीसी लिस्ट में गहलोत के करीबियों का होना उनकी भविष्य की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है. टिकट बांटते समय ब्लॉक अध्यक्षों से लेकर पीसीसी और एआईसीसी सदस्यों तक की राय ली जाती है.गहलोत गुट के मंत्रियों और विधायकों के साथ दूसरे गैर-विधायक या गैर-मंत्री नेताओं की तुलना में पायलट खेमे के केवल चार नेताओं की सूची में नाम कांग्रेस हाईकमान के मूड को लेकर भी कुछ इशारा करता है.

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पार्टी ने दी संदेश देने की कोशिश

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पायलट खेमे के नेताओं को बड़ा प्रतिनिधित्व न देकर पार्टी नेतृत्व ने राजस्थान में नेताओं को खास संदेश देने की कोशिश की है. सोनिया गांधी की नीति हमेशा उस नेता को मुख्यमंत्री पद देने की रही है जिसके पास विधायकों का बहुमत हो और अब राहुल गांधी भी उसी नीति पर चल रहे हैं. राहुल गांधी का बार-बार गहलोत की योजनाओं की सराहना करना एक स्पष्ट संदेश है कि राजस्थान का नेतृत्व उन्हीं के हाथों में रहेगा. इसे सचिन और उनके समर्थकों के लिए चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है कि चुनावी साल में सरकार और पार्टी को कमजोर करने के लिए अब वह अपनी सभी गतिविधियों को बंद कर दें.

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सूची में कई युवाओं को जगह

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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव राजस्थान की एआईसीसी सूची में भी स्पष्ट है. राज्य से एआईसीसी सदस्यों के रूप में कई युवाओं को शामिल किया गया है. दिव्या मदेरणा, दानिश अबरार, धीरज गुर्जर, रेहाना रियाज, राजेंद्र विधूड़ी, सीताराम लांबा, कृष्णा पूनिया, चेतन डूडी, सुदर्शन रावत और रोहित बोहरा जैसे युवा नेताओं को “राहुल ब्रिगेड” का हिस्सा माना जाता है. इन सभी को एआईसीसी सदस्य नियुक्त किया गया है. इनमें से कुछ नेताओं का दिल्ली के नेताओं से सीधा संबंध है. गांधी परिवार के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण ने उनके चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इनमें से अधिकांश युवा नेताओं को राहुल के साथ उनकी भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान चरण के दौरान हाथों में हाथ डाले भी देखा गया है.

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