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भागवत के बेणेश्वर धाम दौरे के गहरे सियासी मायने, आखिर क्यों आदिवासी बेल्ट पर BJP का फोकस?

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डूंगरपुर: आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत शुक्रवार को डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम पहुंचे जहां बेणेश्वर धाम पर मंदिरों में दर्शन कर उन्होंने पूजा-अर्चना की. इस दौरान संघ प्रमुख को तीर कमान भेंटकर उनका स्वागत किया गया. भागवत का स्वागत करने के दौरान सांसद कनकमल कटारा, आसपुर विधायक गोपीचंद मीणा समेत वाल्मीकि समुदाय के कई लोग मौजूद रहे. संघ प्रमुख भागवत डूंगरपुर के भेमई गांव में आरएसएस की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय ग्राम विकास एवं प्रभात ग्राम सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं जहां कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद तीन दिनों तक वह कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे. राजस्थान में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं ऐसे में पिछले एक महीने में भागवत का दूसरा राजस्थान दौरा कई मायनों में अहम है. दरअसल बीजेपी विधानसभा चुनावों को लेकर आदिवासी बेल्ट पर काफी फोकस कर रही है. वहीं बीते दिनों राहुल गांधी ने भी बेणेश्वर धाम में एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर वनवासी और आदिवासी के मुद्दे को हवा दी थी. बताया जा रहा है कि कांग्रेस के आदिवासी दांव के आगे बीजेपी आदिवासी वोटबैंक को खिसकने नहीं देना चाहती है. ऐसे में आदिवासी बेल्ट में बीजेपी की जीत की भूमिका तय करने भागवत बेणेश्वर धाम पहुंचे हैं. हालांकि भागवत का कार्यक्रम निजी बताया गया है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर मोहन भागवत और बीजेपी का आदिवासी इलाकों में 2023 के चुनावों से पहले इतना फोकस क्यों है.

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पीएम मोदी ने की थी मानगढ़ में सभा

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दरअसल राजस्थान साल 2023 की शुरूआत होते ही इलेक्शन मोड में आ गया है जहां पिछले 1 महीने के भीतर पीएम मोदी राजस्थान के 2 अहम दौरे कर चुके हैं. वहीं पिछले साढ़े चार महीने में पीएम चार बार राजस्थान आ चुके हैं. पीएम मोदी 1 नवम्बर को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम पहुंचे थे जहां गोविंद गिरी से जुड़कर आदिवासियों को साधने की कोशिश की. वहीं पीएम ने मानगढ़ में जलियांवाला बाग की तरह हुए नरसंहार को भी याद किया था. मोदी ने मानगढ धाम में यह संदेश दिया कि जिन महापुरुषों को भुला दिया गया बीजेपी उन्हें फिर से जीवंत करेगी हालांकि पीएम इस दौरे के दौरान मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा नहीं हुई.

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कितनी सीटों पर असरदार आदिवासी वोटबैंक

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बता दें कि राजस्थान में उदयपुर की 8, बांसवाड़ा की 5, डूंगरपुर की 4, सिरोही की 3 और प्रतापगढ़ की 2 सीटों पर आदिवासी वोटबैंक चुनावों को प्रभावित करता है. वहीं इसके अलावा उदयपुर और बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भी आदिवासी चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राजस्थान में 25 सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं जो कि सभी रिजर्व एसटी सीटें हैं. वर्तमान में इन 25 में से सिर्फ 8 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. इसके अलावा पूर्वी और मध्य राजस्थान में भी बीजेपी का फोकस है जहां पिछले चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा था.

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राहुल गांधी आ चुके हैं बेणेश्वर धाम

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इधर राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासी वोटों के लिए कांग्रेस की आजमाइश भी चल रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते महीने बांसवाड़ा जिले के गांगड़तलाई में किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार आदिवासियों के उत्थान और आदिवासी क्षेत्रों का विकास करने के लिए प्रतिबद्धता से जुटी हुई है. उन्होंने दावा किया कि आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास और लोगों की भलाई की दिशा में व्यापक काम हुए हैं. वहीं बीते साल कांग्रेस के चिंतन शिविर के समापन के बाद राहुल गांधी ने भी डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम पहुंचकर पूजा की थी. राहुल के आदिवासियों के प्रयाग कहे जाने वाले बेणेश्वर धाम में आने की खूब चर्चा हुई थी. ऐसे में राजस्थान में अगले साल चुनावों को देखते हुए कांग्रेस भी आदिवासी बेल्ट को साधने में जुटी हुई है.

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